नई दिल्ली: भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को उतरने वाला है और इससे पहले इस मिशन को लेकर एक और अच्छी खबर सामने आई। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल से संपर्क स्थापित हुआ है। दोनों के बीच दोतरफा संवाद हुआ है। इसरो की ओर से ट्वीट करके इसकी जानकारी दी गई। इसरो ने लिखा स्वागत है दोस्त-चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया है। भारत ने छह सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 मिशन के तहत प्रज्ञान रोवर लेकर जा रहे विक्रम लैंडर के साथ चांद की सतह पर पहुंचने का प्रयास किया हालांकि चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर लैंडर से संपर्क टूट गया। चंद्रयान-2 से अनुभव लेते हुए इस बार चंद्रयान-3 के लिए कई कई सुधार किए गए हैं। मिशन के सफल होने की काफी उम्मीद है। ऐसे में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से चंद्रयान-3 का संपर्क होने का क्या मतलब है और इसका मिशन पर क्या कोई असर पड़ेगा।चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल से संपर्क स्थापित होने पर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चंद्रयान-3 मिशन के लिए अच्छी बात है। चंद्रमा की कक्षा में ऑर्बिटर 2 और चंद्रयान 3 के लैंडर से संपर्क स्थापित हुआ यह अच्छी बात है। चंद्रमा की कक्षा के आर्बिटर 2 के डेटा और चंद्रयान 3 के डेटा को कम्पेयर कराया जा सकता है। क्या कुछ एरर है इसकी तुलना की जा सकता है। इससे चंद्रयान-3 के लैंडिंग में मदद मिलेगी।दोनों के बीच संपर्क स्थापित हुआ है इससे वैज्ञानिक कितने आश्वस्त हुए हैं। इसको लेकर खगोलशास्त्रियों का कहना है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं। हर बार पुरानी चुनौती से आगे जाना होता है। इस बार नई चुनौती है लेकिन तैयारी भी उसी प्रकार से की गई है। रूस का मिशन फेल हुआ इससे डरने की जरूत नहीं है। हमारा लास्ट मिनट में जो चंद्रयान-2 फेल हुआ था। उससे काफी कुछ सीखा है। सेल्फ करेक्शन से सिस्टम को पहले से बेहतर बनाया गया है। अगले 48 घंटे काफी महत्वपूर्ण है।इसरो की तैयारी इस बार अधिक है। सुनिश्चित किया गया है कि कहीं कोई कमी नहीं रह जाए। तस्वीरें जो आ रही हैं वह बहुत शानदार हैं। एक बार जो गिरता है वही तो संभलता है। इस बार कोई अड़चन नहीं आनी चाहिए। तैयारी परफेक्ट हुई है। जिस जगह पर लैंडर को उतरना है वहां लैंड करने के बाद 3-4 घंटे का कूलिंग टाइम है मतलब स्टे इट इज। उसके बाद प्रज्ञान बाहर आएगा।चंद्रयान-3 ने बिल्कुल अभी भेजीं अद्भुत तस्वीरें, चंदा मामा के बिल्कुल करीब पहुंच गया अपना यानभारत और रूस दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने की होड़ में थे। रूस का यान अब दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है और भारत के लोगों को 23 अगस्त को इस दौड़ में अपने देश के सफल होने की उम्मीद है। रूस का लूना-25 अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। रूस ने 1976 के सोवियत काल के बाद पहली बार इस महीने की शुरुआत में अपना चंद्र मिशन भेजा था। इस अंतरिक्ष यान को सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। इसकी प्रतिस्पर्धा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 से थी जिसे 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरना है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि है जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है।