पटना : लोक जनशक्ति पार्टी में भतीजे चिराग पासवान और चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर खींचतान खत्म नहीं हो रही है। दोनों के बीच सुलह कराने के लिए बीजेपी के नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी दो बार पशुपति कुमार पारस से मिल चुके हैं। मगर पशुपति पारस का कहना है कि वह हमेशा से ही रामबिलास पासवान के राजनीतिक उत्तराधिकारी रहे हैं। ऐसे में चिराग को सिर्फ नेता इसलिए नहीं माना जा सकता है कि वह रामबिलासजी का बेटा है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में पशुपति पारस ने कहा कि चिराग पासवान के तानाशाही रवैये के कारण पार्टी में बंटवारा हुआ।चिराग पासवान को बताया तानाशाहपशुपति पारस ने बताया कि रामबिलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान पार्टी के नेशनल प्रेसिडेंट बने थे। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले लोजपा के पांच सांसदों ने एनडीए के साथ चुनाव लड़ने की सिफारिश की थी, मगर चिराग पासवान ने किसी की नहीं सुनी। नरेंद्र मोदी के हनुमान बताकर भी लालगंज, राघोपुर, हसनपुर समेत कई सीटों पर बीजेपी के खिलाफ कैंडिडेट खड़ा कर दिया। पार्टी 136 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। जीता हुआ विधायक भी बाद में जेडी-यू में शामिल हो गया।Bihar: ‘पार्टी टूटने के बाद मैंने चाचा के बारे में कुछ नहीं कहा’, चिराग ने बताया हाजीपुर सीट में कौन सा फैक्टर करेगा काम’रामबिलास ने मुझे हाजीपुर के चुना था ‘केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने खुद को रामबिलास पासवान का स्वाभाविक उत्तराधिकारी बताया। उन्होंने दावा किया कि वह हमेशा ही पार्टी के लिए कार्यक्रम आयोजित करते रहे। पुराने वाकये को याद करते हुए पारस ने बताया कि अलौटी विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद रामबिलास पासवान ने उन्हें अलौली सीट से चुनाव लड़वाया। इसके बाद 2019 में जब उन्होंने हाजीपुर सीट से भी उन्हें ही कैंडिडेट बनाया। ये उदाहरण हैं कि रामबिलास पासवान ने अपनी जिंदगी में उन्हें उत्तराधिकारी के लिए चुना था। पशुपति कुमार पारस ने कहा कि रामबिलास पासवान ने ही चिराग को चुनाव लड़ने के लिए जमुई भेजा था। अगर अब चिराग हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं, इसका मतलब है कि वह अपने पिता के आदेश का पालन नहीं करना चाहते हैं।Bihar Politics: मर्ज हो जाएगी पार्टी या अकेले रह जाएंगे चाचा पशुपति पारस! जानिए अंदर खाने में क्या चल रहाजब बीमार थे रामबिलास, तब चिराग ने किया अपमानउन्होंने बताया कि बीजेपी के सीनियर नेता चाहते हैं कि चिराग से उनका समझौता हो जाए, जो संभव नहीं है। वह किसी भी सूरत में चिराग को माफ नहीं करेंगे। पशुपति कुमार पारस ने कहा कि जब रामबिलास पासवान बीमारी के कारण हॉस्पिटल में एडमिट थे, तब वह उनसे मिलने गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि तब चिराग ने उन्हें अपने बड़े भाई से मिलने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के लिए जेल गए। भूखे भी रहे, मगर चिराग तो चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुआ। उसे सारी सुविधाएं थाली में सजाकर मिलीं। वह सिर्फ रामबिलास पासवान का बेटा होने के कारण हमारा नेता कैसे हो सकता है?