जजों की लिस्ट पर नोटिफिकेशन की डेडलाइन तय हो… सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम पर सरकार से मांगी मदद – supreme court asks centre to set deadline for appointment of constitutional judges

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह संवैधानिक अदालतों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों की अधिसूचना जारी करने की एक समय-सीमा तय करे। उच्चतम न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी से कहा कि वो सरकार तक यह बात पहुचाएं। याचिकाकर्ता हर्ष विभोर सिंघल ने सर्वोच्च न्यायालय के उन तीन फैसलों का हवाला दिया जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों के जजों की उम्मीदवारी तय करने के लिए कॉलेजियम सिस्टम का आधार बने। उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी फैसले में केंद्र सरकार को अनुशंसित नामों पर चुप्पी साध लेने या यह तय करने का अधिकार नहीं दिया गया है कि लिस्ट में काट-छांट करे। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को अपनी व्यापक शक्तियों का उपयोग करके एक समय सीमा तय करनी चाहिए।तब सुप्रीम कोर्ट बेंच ने दिखाई थी सख्तीमुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका में उठाए गए संवेदनशील मुद्दे को निपटाने में शीर्ष कानून अधिकारी की सहायता की मांग की। इसी पीठ ने पिछले वर्ष नवंबर महीने में नियुक्तियों पर मतभेदों के हल करने के लिए स्टेट्समैन की तरह व्यवहार करने की सलाह दी थी। उस वक्त सरकार की तरफ से कॉलेजियम सिस्टम पर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे।’आपके के बिना तो हम जज समय की रेत में शून्य होंगे…’, जानें CJI चंद्रचूड़ ने किसलिए की वकीलों की तारीफसुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था केंद्र का कानूनकार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संवैधानिक अदालतों के न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर टकराव तब से तेज हो गया है, जब पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने चार-एक के बहुमत से संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द कर दिया था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करने के लिए नया कानून लाया था।तब सीजेआई ने जताई थी चिंतादिसंबर 2019 में तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने सरकार की निष्क्रियता पर गहरी पीड़ा व्यक्त की थी। पीठ ने कहा था, ‘यह किसी भी उचित अवधि की सारी सीमा खत्म हो गई है। लगता है समय-सीमा नाम की कोई चीज ही नहीं रह गई है… एक बार जब हम किसी एक नाम को दोबारा भेजते हैं, तो सरकार को उसे नियुक्त करना होगा।’योगी राज में 183 एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट ने मांग ली पूरी रिपोर्ट, क्या बढ़ेगी सरकार की परेशानी!केंद्र सरकार को दी थी कड़ी चेतावनीमार्च महीने में जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा था कि नियुक्तियों में ज्यादा देरी अदालत को परेशान कर रही है। बेंच ने कहा था, ‘यह बहुत गंभीर है, और किसी भी चीज से ज्यादा गंभीर। हमें कठिन निर्णय लेना होगा। ऐसा नहीं करें कि हमें कठोर रुख अपनाना पड़े। आगे और देर हुई तो हम ऐसी प्रशासनिक और न्यायिक कार्रवाई कर सकते हैं जो आपको स्वीकार्य नहीं हो सकती है।’