नई दिल्ली: ओपन कोर्ट में इस्तीफा देकर जस्टिस रोहित बी देव ने सबको चौंका दिया। वह बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में जज के पद पर पोस्टेड थे। इस्तीफे से कुछ घंटों पहले ही उन्हें ट्रांसफर किए जाने की सूचना मिली थी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस देव को पैरंट हाई कोर्ट से हटाकर इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का फैसला किया था। हालांकि, जज ने इस्तीफे का कारण ‘निजी वजहें’ बताया। सुप्रीम कोर्ट सूत्रों ने हमारे सहयोगी ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ को बताया कि कॉलेजियम ने जज को ट्रांसफर करने का फैसला खुफिया रिपोर्ट के बाद लिया। इस रिपोर्ट में कुछ घटनाओं का जिक्र था। कथित रूप से इन घटनाओं के चलते अक्टूबर 2022 की उस न्यायिक कार्यवाही पर शक हुआ जिसके बाद नक्सली-समर्थक जीएन साईबाबा और चार अन्य आरोपियों को बरी किया गया था। गढ़चिरौली सेशंस कोर्ट ने साईबाबा और चार अन्य को UAPA के तहत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली गतिविधियों में संलिप्त पाया था। सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था जस्टिस देव का फैसलाजस्टिस देव ने अपने फैसले के पीछे एक तकनीकी कारण बताया था कि साईबाबा के खिलाफ केस चलाने के लिए UAPA की धारा 45 के तहत अनुमति नहीं ली गई थी। 19 अप्रैल, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने साईबाबा को रिहा करने के हाई कोर्ट के फैसले को पलटा। मामले को फिर से विचार के लिए HC के पास वापस भेजा गया। सुप्रीम कोर्ट ने HC के चीफ जस्टिस से यह मामला किसी और जज को सौंपने को भी कहा था।SC कॉलेजियम ने जस्टिस रोहित को बताया कि इलाहाबाद HC में उनके ट्रांसफर के पीछे साईबाबा केस से जुड़े खुफिया इनपुट्स हैं। जस्टिस देव को 4 दिसंबर, 2025 को रिटायर होना है। जस्टिस देव से इतर, कॉलेजियम ने 23 अन्य जजों को भी उनके मूल हाई कोर्ट से दूसरी जगह भेजा है। कॉलेजियम ने यह फैसला इन जजों पर लगे आरोपों को ध्यान में रखते हुए किया।जिस कॉलेजियम ने जस्टिस देव को ट्रांसफर करने का फैसला लिया, उसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल रहे। जस्टिस देव को 5 जून 2017 को बॉम्बे हाई कोर्ट का जज बनाया गया था। वह सीनियरिटी लिस्ट में 17वें नंबर पर हैं।सात दिन का कूलिंग-ऑफ पीरियडप्रक्रिया के अनुसार, HC जज को दूसरे हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने के बाद कॉलेजियम सात दिन का वक्त देता है। इस दौरान संबंधित जज ट्रांसफर पर हामी, आदेश में बदलाव या पुनर्विचार की रिक्वेस्ट कर सकते हैं। जवाब मिलने के बाद कॉलेजियम उनके विचारों को CJI समेत 5 सबसे सीनियर जजों के सामने रखता है। कॉलेजियम SC के उन जजों से भी राय लेता है जिनका पैरंट HC उन हाई कोर्ट्स में हैं जहां से या जहां के लिए जज का ट्रांसफर हो रहा है।