नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है। इनमें खासतौर से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। ये तीनों ही राज्य 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी के गेम प्लान के लिए अहम हैं। जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें से सिर्फ मध्य प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है। इसके उलट राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस का शासन है। एमपी में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने कई कल्याणकारी स्कीमें शुरू की हैं। इन स्कीमों पर बीजेपी की वापसी की उम्मीदें टिकी हुई हैं। यह और बात है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वहां की राज्य सरकारों की ओर से शुरू की गईं ऐसी ही स्कीमों ने बीजेपी की टेंशन बढ़ाई हुई है।दिसंबर 2018 और मार्च 2020 के बीच के अंतराल को छोड़ मध्यप्रदेश में बीजेपी 2003 से शासन कर रही है। हालांकि, चौहान सरकार की कल्याणकारी स्कीमों खासकर लाडली बहना योजना को लोगों के बीच जैसी लोकप्रियता मिली है, उससे भगवा पार्टी का मनोबल बढ़ा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पड़ोसी राज्य राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी कल्याणकारी स्कीमों की ऐसी ही लोकप्रियता से बीजेपी चिंतित है।सूत्रों के मुताबिक, ‘मजबूत पार्टी संगठन और सीएम चौहान की ओर से शुरू की गईं कल्याणकारी स्कीमों के जरिये बीजेपी मध्यप्रदेश में सत्ता विरोधी लहर को दरकिनार कर आगे बढ़ रही है।’ एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘चौहान की लाडली बहना स्कीम गेम चेंजर बनने जा रही है। हमारे आकलन में इसने लोगों के दिलों पर पहले ही कब्जा कर लिया है।’ बीजेपी सरकार की मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के तहत 23 से 60 साल की आयु की विवाहित महिलाओं को उनके वित्तीय सशक्तिकरण के लिए हर महीने 1,000 रुपये की राशि उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। जुलाई के दूसरे हफ्ते में बीजेपी सरकार ने 1.25 करोड़ महिलाओं को दूसरी किस्त ट्रांसफर की।शिवराज सिंंह चौहान ‘मास्टर कैंपेनर’इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई को लेकर मतदाताओं के बीच बढ़ती बेचैनी को ध्यान में रखते हुए चौहान सरकार कुछ नई सब्सिडी की भी घोषणा कर सकती है। इसमें रसोई गैस भी शामिल है। कई बीजेपी नेताओं ने कहा कि चौहान ‘मास्टर कैंपेनर’ हैं। उनमें जो परख और सहनशक्ति है, वह उन्हें प्रतिद्वंद्वियों से अलग करती है। चौहान के मुख्य प्रतिद्वंद्वी कमलनाथ के लिए उनकी बराबरी करना मुश्किल है। चौहान के खिलाफ कोई जनाक्रोश नहीं है। सिर्फ एक ‘थकान’ है। लेकिन लोकप्रिय योजनाओं के साथ उनमें इससे उबर जाने की क्षमता है।मध्यप्रदेश में अपनी चुनावी रणनीति के तहत बीजेपी यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि मुश्किल सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई हो। विशेष रूप से आदिवासी और उन निर्वाचन क्षेत्रों में जहां कांग्रेस को पारंपरिक रूप से बढ़त मिलती है। बसपा के अलावा जय आदिवासी युवा संगठन (JAYS) जैसे कई छोटे दल और आदिवासी संगठन भी मैदान में हैं। JAYS ने 230 सीटों में से 80 पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वहीं, बसपा ने पहले से ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा करना शुरू कर दिया है।हर स्तर पर काम कर रही है बीजेपीसंगठनात्मक स्तर पर बीजेपी ने पहले ही मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव को प्रभारी और सह-प्रभारी नियुक्त किया है। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी नामित किया है। उन्हें पार्टी की अभियान प्रबंधन समिति का संयोजक नियुक्त किया गया है। तोमर ग्वालियर चंबल क्षेत्र से आते हैं।मध्यप्रदेश बीजेपी में आंतरिक मतभेदों को दूर करने के लिए राज्य नेतृत्व कई नेताओं को पार्टी ढांचे में समायोजित करने की कोशिश कर रहा है। उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। पार्टी ने हाल ही में जिलों में चुनाव प्रभारी भी नियुक्त किए हैं। कर्नाटक में हार का सामना कर चुकी बीजेपी शुरुआती दौर में चौहान सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार पर कांग्रेस के अभियान का मुकाबला करना चाहती है। राज्य पुलिस ने हाल ही में बीजेपी शासन पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाने वाली पोस्ट को लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा, कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के सोशल मीडिया हैंडलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।राजस्थान और छत्तीसगढ़ की अलग कहानीहालांकि, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कहानी अलग है। इन राज्यों में मुख्यमंत्री गहलोत और सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकारों की कल्याणकारी स्कीमों से बीजेपी खेमे में कुछ टेंशन है। उदाहरण के लिए राजस्थान में जहां बीजेपी अपनी संभावनाओं को लेकर आशावादी बनी हुई है। वहीं, पार्टी चिरंजीवी योजना की लोकप्रियता से चिंतित है। इंडियन एक्सप्रेस ने एक बीजेपी नेता के हवाले से कहा कि चिरंजीवी की व्यापक कवरेज और लोकप्रिय सार्वजनिक प्रतिक्रिया ने राजस्थान में कांग्रेस का मनोबल बढ़ाया है। पार्टी को इसका मुकाबला करने के लिए रणनीति बनानी होगी।