मेडिकल कॉन्फ्रेंस के बहाने पांच-सितारा होटलों में कॉकटेल डिनर अब गुजरे जमाने की बात हो सकती है। नैशनल मेडिकल कमिशन (NMC) ने डॉक्टर्स के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। डॉक्टर्स किसी ऐसे सेमिनार, वर्कशॉप या कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हो जाएंगे जिन्हें फार्मा कंपनियों या संबंधित हेल्थ सेक्टर ने डायरेक्ट या इनडायरेक्ट स्पांसर किया हो। इन नियमों के उल्लंघन पर डॉक्टरों का लाइसेंस तीन महीने तक के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। NMC के नए प्रफेशनल कंडक्ट रेगुलेशंस की धारा 35 में डॉक्टरों और उनके परिवार को फार्म कंपनियों या उनके प्रतिनिधियों से कंसल्टेंसी फीस या हॉनरेरियम लेने पर भी बैन लगा दिया गया है। नए नियमों के तहत, डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इसका विरोध किया है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोमवार को इस संबंध में एक बैठक बुलाई है। समझिए, डॉक्टरों पर दवा कंपनियों के प्रभाव को कम करने के लिए क्या-क्या नियम बनाए गए हैं।