मशहूर पार्श्व गायिका लता मंगेशकर नहीं रहीं। शनिवार को सरस्वती पूजा थी और रविवार को मां विदा हुईं। लगता है जैसे मां सरस्वती इस बार अपनी सबसे प्रिय पुत्री को ले जाने स्वयं आई थीं। लता मंगेशकर का हमारे बीच न रहने का मतलब है वाग्देवी की एक वरद लौ का बुझ जाना। उनकी साधना आत्म यज्ञ की तरह थी। लता मंगेशकर ने 1983 में राजधानी के इंद्रप्रस्थ स्टेडियम में अपने पसंदीदा गीत सुनाकर दिल्ली को कृतज्ञ किया था।