नई दिल्ली : दिल्ली के अध्यादेश की जगह लेने वाले बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस मंजूरी के बाद अब बिल के सदन में पेश होने का रास्ता साफ हो गया है। आम आदमी पार्टी पहले ही इस अध्यादेश से जुड़े बिल का सदन में विरोध करने का फैसला कर चुकी है। इस बिल के विरोध को लेकर विपक्षी दलों का भी समर्थन है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला आने के बाद केंद्र सरकार ने यह अध्यादेश जारी किया था। इस अध्यादेश में दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाई और तबादलों के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करने का प्रावधान है।संसद के मॉनसून सत्र में हंगामाइस समय संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। ऐसे में सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा सचिवालय की तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि इस संसद सत्र के दौरान सरकारी कार्यों की संभावित सूची में 21 नए विधेयकों को पेश और पारित करने के लिए शामिल किया गया है। इसमें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 भी शामिल है। हालांकि, अभी संसद में मणिपुर मुद्दे को लेकर लगातार चौथे दिन भी हंगामा हुआ। ऐसे में बिल को पेश करने और पारित कराने में सरकार को मशक्कत करनी होगी।Delhi Ordinance Case: दिल्ली अध्यादेश मामले की अब संविधान पीठ में होगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट का फैसलासुप्रीम कोर्ट में है मामलादिल्ली सरकार ने इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए मामले को संविधान पीठ को रेफर कर दिया है। इस मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पांच जजों की पीठ का गठन करेंगे। इससे पहले पिछली सुनवाई में ही शीर्ष अदालत की तरफ से इस मामले को संविधान पीठ को रेफर करने के संकेत दे दिए गए थे। मामले की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया था।