नई दिल्ली: दिल्ली वाला बिल गुरुवार लोकसभा में पास हो गया। बिल पर पूरे दिन चर्चा हुई और इसमें कुल पक्ष-विपक्ष के 26 सांसदों ने हिस्सा लिया। चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि संसद में अब तक इस सत्र में 9 बिल पास हुए लेकिन विपक्ष की ओर से हंगामा जारी रहा और कहते रहे कि पीएम आकर जवाब देंगे। आज क्या हो गया? अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि लोकतंत्र की चिंता है? यदि लोकतंत्र की चिंता है तो हर बिल महत्वपूर्ण है।देश की चिंता है तो किसानों से जुड़ा बिल आया उस पर कुछ क्यों नहीं बोला। इनको न लोकतंत्र की चिंता है न किसान की चिंता है और न देश की चिंता है। इनको गठबंधन की चिंता है। इनको एक छोटी पार्टी की चिंता है। वहीं आम आदमी के एक मात्र लोकसभा सदस्य सुशील रिंकू को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के सामने कागज फाड़कर फेंकने के लिए वर्तमान मॉनसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया।अमित शाह ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विपक्षी दलों की ओर से कहा जा रहा है कि भारत देख रहा है मैं कहता हूं देखना भी चाहिए। आपके दोहरे चरित्र को भारत देख रहा है। शाह ने कहा कि इनके लिए जनता महत्वपूर्ण नहीं। एक छोटी पार्टी भाग न जाए इसकी चिंता है। ये इसलिए साथ आए हैं कि केजरीवाल गठबंधन से भाग न जाए।नेहरू नहीं चाहते थे दिल्ली को मिले पूर्ण राज्य का दर्जा….संसद में बोले गृहमंत्री अमित शाहअमित शाह ने कहा कि मैंने पहले दिन से कहा कि मणिपुर पर जितनी चर्चा करनी है कर लो। मैं दूंगा जवाब। उनको एक ही दिक्कत है जनता के मन में भ्रांति पैदा कर दो। जनता है सब जानती है। सदन जनता को गुमराह करने की जगह नहीं। सभी लोग राज्य के अधिकार, राज्य के अधिकार कह रहे हैं लेकिन दिल्ली तो राज्य है ही नहीं। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दोनों अलग-अलग है। चुनाव लड़ने से पहले नियम पढ़ लिए होते तो आज नहीं कहते कि अधिकार नहीं है। हम नहीं इसको बनाए हैं।पहले झगड़ा नहीं हुआ लेकिन अब झगड़ा करने का स्वभाव ही है तो क्या कर सकते हैं। दिल्ली में मंत्री के सिग्नेचर से कैबिनेट नोट जा रहा है। नियम के हिसाब से कुछ नहीं चल रहा है इसलिए नियम बनाने पड़ रहे हैं। वहीं इससे पहले विपक्ष की ओर से बोलते हुए कई सांसदों ने इस बिल का विरोध किया और कहा कि एक राज्य के अधिकार को समाप्त किया जा र हा है।