देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से जेल रिफॉर्म को लेकर जवाब दाखिल करने को कहा है, कोर्ट ने यह भी पूछा कि आप लोगों का ओपन जेल के बारे में क्या ख्याल है

नई दिल्ली: जेल रिफॉर्म के लिए सुप्रीम कोर्ट की कमिटी के सुझाव पर शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्यों से जवाब दाखिल करने को कहा है। शीर्ष अदालत को बताया गया कि जेल में तय संख्या से काफी ज्यादा कैदी हैं, साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर आदि के सवाल भी उठाए गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेल में कैदियों की भारी संख्या बहुत बड़ा मुद्दा है और यह समय लेगा। ऐसे में कोर्ट ने ओपन जेल सिस्टम के बारे में ऑप्शन देखने को कहा और कहा कि राजस्थान में यह चल रहा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तारीख तय की है।सुप्रीम कोर्ट में कमिटी ने जेल रिफॉर्म पर अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसे शीर्ष अदालत ने रेकॉर्ड पर ले लिया है और कोर्ट सलाहकार गौरव अग्रवाल से कहा है कि रिपोर्ट की कॉपी केंद्र और राज्य सरकारों के वकील को मुहैया कराएं। कोर्ट ने केंद्र और तमाम राज्य सरकारों के वकीलों से कहा है कि वे कमिटी के सुझाव पर अपना जवाब दाखिल करें। सुप्रीम कोर्ट को पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरसी लाहौटी ने 2013 में लेटर लिखकर कहा था कि देशभर के 1382 जेलों में अमानवीय स्थिति है। इस लेटर पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था और इसे PIL में बदलते हुए मामले की सुनवाई शुरू की थी।कमिटी ने और क्या कहा?सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट में कमिटी ने कहा है कि जेल में जगह से काफी ज्यादा कैदी बंद हैं। महिलाओं और बच्चों के अधिकार, ट्रांसजेंडर कैदी, ओपन जेल और फांसी की सजा पाए मुजरिमों से संबंधित मसले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई में वह महिला और बच्चों के डिटेंशन, ट्रांस जेंडर कैदी और फांसी की सजा पाए कैदियों के मसले पर सुनवाई करेगा। अन्य मुद्दों में कैदियों के लिए मेडिकल सुविधा, वोकेशनल ट्रेनिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि हैं। जस्टिस हीमा कोहली की अगुवाई वाली बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। गौरतलब है कि 25 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने जेल रिफॉर्म को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस ए. राय की अगुवाई में तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया था।रिफॉर्म की क्यों पड़ रही ज़रूरत?दो साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि तिहाड़ में रिफॉर्म की तुरंत जरूरत है और वहां के मैनेजमेंट को बेहतर करने की दरकार है। जेलों में तय जगह से ज्यादा भीड़ बड़ी चिंता है। इनमें 67 फीसदी विचाराधीन कैदियों की संख्या है। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे केसों का निपटारा जल्द किए जाने की जरूरत है। तिहाड़ के रिफॉर्म के मामले के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में देश भर के जेलों के रिफॉर्म का मामला भी चल रहा है। 2013 में पूर्व चीफ जस्टिस आरसी लाहौटी ने सुप्रीम कोर्ट को लेटर लिखकर कहा था कि देश भर की जेलों में अमानवीय स्थिति है। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमिटी ने भी रिपोर्ट दे दी है, जिस पर केंद्र और राज्यों के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट अहम सुनवाई करने वाला है। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट जेल रिफॉर्म को लेकर जो आदेश देगा, वह आने वाले दिनों में जेलों में बंद कैदियों की खराब हालत बदलने में मील का पत्थर साबित होगा।