नई दिल्ली : भारत रत्न से सम्मानित और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है। राजनीति में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मतभेद आम बात है। एक दल का नेता दूसरे दल के नेता की आलोचना करता है। इसके बावजूद उसके गुणों की प्रशंसा भी समान रूप से करता है। भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसे कई नेता हैं। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी उसी श्रेणी के नेता है। हालांकि, मौजूदा दौर की राजनीति में ऐसे नेता बेहद कम हो चुके है। मौजूदा राजनीतिक दौर में आलोचना के साथ ही भाषा के स्तर में गिरावट साफ नजर आती है। इस बात पर का जिक्र प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने भी किया। अटल बिहारी वाजयेपी ने सदन में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुए इस पर चिंता जताई थी।आलोचना पर नेहरू ने की थी तारीफअटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि ऐसा नहीं था कि नेहरू जी से मतभेद नहीं थे। उनका कहना था कि मतभेद चर्चा में भी गंभीर रूप से उभर कर सामने आते थे। वाजपेयी ने एक बार पंडित नेहरू से कह दिया था कि आपका एक मिलाजुला व्यक्तित्व है। आपमें चर्चिल भी है और चेंबरलेन भी। पंडित नेहरू इस बात पर नाराज नहीं हुए थे। उस भाषण के बाद शाम को पंडित नेहरू की अटल बिहारी वाजपेयी से किसी बेंक्वेट में मुलाकात हुई। अटल से मिलने पर नेहरूजी ने कहा कि आज तो बड़ा जोरदार भाषण दिया। इसके बाद हंसते हुए चले गए। वाजपेयी ने अपने भाषण में कहा था कि आजकल ऐसी आलोचना करना दुश्मनी को दावत देना है।नेहरू की तस्वीर हटाने पर ऐतराजतत्कालीन पीएम वाजपेयी का कहना था कि यदि आजकल लोगों की ऐसी आलोचना कर दी जाए तो लोग बोलना बंद कर देंगे। अटल बिहारी वाजपेयी का कहना था कि क्या एक राष्ट्र के नाते हम लोग मिलकर काम नहीं कर सकते। यह पहली बार नहीं था जब अटल बिहारी ने वाजपेयी की तारीफ की है। अटल वाजपेयी के मन में पंडित नेहरू को लेकर विशेष सम्मान था। यह सम्मान उस समय भी दिखा जब वाजपेयी इमरजेंसी के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री बने। जनता पार्टी की सरकार बनने पर नौकरशाहों की तरफ से सभी सरकारी दफ्तरों से कांग्रेसी प्रतीकों, तस्वीरों को हटावाया जा रहा था। अधिकारियों को लगता था कि ऐसा नहीं करने से गांधी विरोधी सत्ता में आई सरकार के मंत्री नाराज हो जाएंगे। वाजपेयी जब अपने ऑफिस में पहुंचे तो वहां एक जगह खाली दिखाई दी। उन्होंने तुरंत अपने सचिव को बुलाया। वाजपेयी ने कहा कि यहां पर नेहरूजी की तस्वीर हुआ करती थी, वो कहां गई? मुझे तुरंत वो वापिस चाहिए।’आज एक सपना खत्म हो गया’पंडित नेहरू शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण कौशल के मुरीद थे। वाजपेयी के मन में भी उनके लिए उतना ही सम्मान था। पंडित नेहरू के निधन के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कविता के जरिये नेहरू को भावुक श्रद्धांजलि दी थी। अटल ने कहा था, ‘ आज एक सपना खत्म हो गया। एक गीत खामोश हो गया। एक लौ हमेशा के लिए बुझ गई। अटल ने कहा था कि यह एक चिराग की ऐसी लौ थी जो पूरी रात जलती थी। हर अंधेरे का सामना किया और हमे रास्ता दिखाया।