​पन्नों में दफन राज, डायरियां जिन्होंने देश की सियासत को हिला दिया​ – secret diaries and scams in indian politics

बोफोर्स वाली डायरी1987 में स्वीडिश रेडियो ने दावा किया कि कंपनी ने सौदे के लिए भारत के वरिष्ठ राजनेताओं और रक्षा विभाग के अधिकारियों को घूस दिए थे। दावा किया गया कि इसमें 60 करोड़ रुपये घूस दिए गए। दरअसल, ये मामला भी कुछ यूं पकड़ में आया कि इसकी भी एक डायरी में एंट्री थी। दरअसल, बोफोर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्टिन आर्डोबो की डायरी में इस डील के बारे में कई अहम जानकारियां थीं। इस डायरी में हाथ से लिखे नोट, मीटिंग के मिनट्स तक थे। पूर्व पीएम वीपी सिंह ने राजीव गांधी के कार्यकाल में इस मुद्दे को उठाया था। इसके कारण राजीव गांधी को 1989 में सत्ता गंवानी पड़ी और वीपी सिंह देश के पीएम बने थे। इस मामले में इटली के कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोकी का नाम आया थाष क्वात्रोकी गांधी परिवार से नजदीकी थी। इस बारे में सीबीआई ने आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया था। मामला एबी बोफोर्स के तत्कालीन अध्यक्ष मार्टिन आर्डबो, कथित बिचौलिये विन चड्ढा और हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ दर्ज हुआ था। इस मामले में देश में खूब बवाल मचा था। यहां तक कि 2017 में तो सीबीआई फिर से सुप्रीम कोर्ट चली गई और शीर्ष अदालत से बोफोर्स का केस फिर से खोलने की अनुमति मांगी। हालांकि, कोर्ट ने सीबीआई की मांग को ठुकरा दिया था।जैन हवाला डायरी पर देश में मचा था कोहराम1996 में हवाला कांड के खुलासे ने देश के कई नेताओं के करियर पर दाग लगाया था। 3 मई 1991 को सीबीआई ने कई हवाला कारोबारियों के 20 ठिकानों पर छापा मारा था। इसमें भिलाई इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक सुरेंद्र कुमार जैन के महरौली स्थित फॉर्म हाउस पर भी छापे की कार्रवाई हुई थी। 1993 में 22 जून को सुब्रमण्यन स्वामी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि आडवाणी ने हवाला कारोबारी जैन से 2 करोड़ रुपये लिए थे। दरअसल, 1991 में पुलिस को जैन के घर से दो डायरी मिली थी। जिसमें कोडवर्ड में 60 से ज्यादा राजनेता, नौकरशाह और कारोबारियों के नाम थे। इसमें दावा किया गया कि 1988 से लेकर 1991 तक सरकारी ठेकों और अन्य फेवर के लिए पैसे दिए गए थे। 1996 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार स्पेशल हवाला कोर्ट का गठन किया गया था। इसके बाद पी वी नरसिम्हा राव सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्रियों माधवराव सिंधिया, वीसी शुक्ला और बलराम जाखड़ को इस्तीफा देना पड़ा था। बीजेपी अध्यक्ष आडवाणी ने भी संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और घोषणा की कि जबतक वह इस मामले में बरी नहीं हो जाते, चुनाव नहीं लड़ेंगे। 8 अप्रैल 1997 को कोर्ट ने आडवाणी और शुक्ला को बाइज्जत बरी कर दिया। इसके अलावा कई इस मामले में शामिल अन्य आरोपियों को भी सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।डायरी में एंट्री और फंसे पूर्व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हाकोयला घोटाले मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा मुश्किल में फंसे थे। दरअसल, सिन्हा के घर की डायरी में कुछ एंट्री की गई थी। कहा गया कि रंजीत सिन्हा से कोयला आरोपी मिले थे।डायरी और वीरभद्र पर लगे आरोप2012 में इनकम टैक्स विभाग ने इस्पात इंडस्ट्री परिसर में रेड मारा था। यहां से मिली कुछ डायरियों में कैश के लेन-देन का का जिक्र था। वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ था। डायरी में सेब की ढुलाई में स्कूटर, तेल के टैंकर और मारूति 800 का इस्तेमाल किया गया था। 2008 से 2012 के बीच कहा गया था कि सेब की ढुलाई में 6.5 करोड़ रुपये खर्च हुए। जिन गाड़ियों से सेब की ढुलाई कराने का दावा किया गया उनमें 4 टाटा मोटर टिपर्स, एक टाटा मोटर तेल का टैंकर, 2 बजाज के ऑटो स्कूटर, 3 मारूति सुजुकी 800 कारें, एक होंडा की बाइक और एक बजाज पल्सर बाइक का जिक्र किया गया था। इस मामले में वीरभद्र की काफी फजीहत हुई थी।