पर्सनल डिजिटल डेटा प्रॉटेक्शन विधेयक क्या है विस्तार से जानें

नई दिल्ली: बहुत दिनों से लंबित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रॉटेक्शन बिल, 2023 को गुरुवार को संसद में पेश कर दिया गया। इस विधेयक में डेटा की हैंडलिंग और प्रॉसेसिंग करने वाली संस्थाओं के दायित्वों के साथ-साथ व्यक्तियों के अधिकारों को भी निर्धारित किया गया है। इसमें नियमों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं पर अधिकतम 250 करोड़ रुपये और न्यूनतम 50 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद भारत के अंदर जमा किए गए डेटा पर इसके नियम लागू हो जाएंगे। यदि कोई बाहरी कंपनी या संस्था, भारत में व्यक्तियों को वस्तु या सेवा प्रदान करने के लिए डेटा लेती है तो ये नियम भारत के बाहर उस कंपनी या संस्था पर भी लागू होंगे।डेटा प्रॉटेक्शन बिल की प्रमुख बातें► जो कंपनियां यूजर्स के डेटा से डील करती हैं, उन्हें पर्सनल डेटा को सुरक्षित करने के उपाय करने होंगे, भले ही डेटा किसी थर्ड पार्ट डेटा प्रॉसेसर के पास स्टोर किए गए हों।► अगर डेटा लीक हुआ तो कंपनियों को डेटा संरक्षण बोर्ड (डीपीबी) और संबंधित यूजर्स को सूचित करना होगा।► बच्चों के साथ-साथ दिव्यांग लोगों के उनके अभिभावों के डेटा का उपयोग अभिभावकों की सहमति के बाद ही किया जाएगा।► कंपनियों को एक डेटा संरक्षण अधिकारी नियुक्त करना होगा और इसकी जानकारी उसे अपने यूजर्स को देनी होगी।► केंद्र सरकार के पास अधिकार होगा कि वह भारत के बाहर किसी भी देश या क्षेत्र में भारतीयों का पर्सनल डेटा ट्रांसफर करने से रोक सके।► डीपीबी के फैसलों के खिलाफ अपीलों की सुनवाई दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा की जाएगी।► डीपीबी समन कर सकता है, शपथ के तहत लोगों की जांच कर सकता है, पर्सनल डेटा के साथ काम करने वाली कंपनियों की पुस्तकों और दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकता है।► डीपीबी उल्लंघन की प्रकृति और गंभीरता, प्रभावित पर्सनल डेटा के प्रकार पर विचार करने के बाद दंड पर निर्णय लेगा।► यदि डीपीडीपी विधेयक के प्रावधानों का दो बार से अधिक उल्लंघन किया जाता है तो डीपीबी सरकार को इंटरमीडियरी तक पहुंच रोकने की सलाह दे सकता है।► डेटा लीक, पर्सनल डेटा की सुरक्षा या डीपीबी और यूजर्स को उल्लंघन के बारे में सूचित करने में विफलता पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।यूजर्स के अधिकार► भारत के अंदर या बाहर डेटा को सरल भाषा में स्पष्ट, सुपाठ्य सूचना के साथ स्पष्ट सहमति के बाद ही प्रॉसेस किया जाएगा; भारत के बाहर भारतीयों का पर्सनल डेटा प्रॉसेस करने का स्पष्ट कारण बताना होगा।► यूजर्स कभी भी अपने डेटा प्रॉसेस करने के लिए दी गई सहमति को वापस ले सकता है, जिसके बाद कंपनियों को व्यक्तिगत डेटा की प्रॉसेसिंग तुरंत रोककर उसे डिटील करना होगा।► सहमित वापस लेने की लागत और सहमित वापस लेने से होने वाला नुकसान यूजर उठाएगा।कंपनियों के उत्तरदायित्वकंपनियां सिर्फ वही पर्सनल डेटा प्रॉसेस कर पाएंगी…► जिसके लिए यूजर्स की सहमति प्राप्त की गई है, बाकी किसी पर्सनल डेटा से छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है।► यदि सरकार या उसकी एजेंसियों को भारत की संप्रभुता और अखंडता या राज्य की सुरक्षा के हित में पर्सनल डेटा की प्रॉसेसिंग की आवश्यकता है।► यदि सरकार या उसकी एजेंसियों से किसी व्यक्ति का पर्सनल डेटा इस आधार पर मांगा जाता है कि भारत में लागू किसी कानून के तहत दायित्वों को पूरा करने के लिए उस व्यक्ति के डेटा की जरूरत है।► किसी भी कानून के तहत अदालत द्वारा पारित किसी भी फैसले, डिक्री या आदेश का पालन करने लिए पर्सनल डेटा का यूज किया जा सकता है।► यदि मेडिकल इमर्जेंसी में, महामारी, बीमारियों के प्रकोप और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए पैदा हुए किसी अन्य खतरे के दौरान चिकित्सा सहायता या स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उपाय करने के लिए पर्सनल डेटा की जरूरत हो।पर्सनल डेटा बिल को लेकर मुख्य चिंताएं► दोहराए जाने वाले अपराधों के मामले में सरकार और उसकी एजेंसियों को यह छूट दिया जाना कि केंद्र ऐसे मामले में किसी भी डेटा फिडूसिअरी को ब्लॉक कर सकता है।► ‘सही नीयत से की गई कार्रवाई’ पर केंद्र, बोर्ड और उसके सदस्यों को इस विधयेक में कार्रवाई से संरक्षण प्राप्त है।► कारोबारियों को चिंता सता रही है कि ‘यूजर्स की सहमति’ लिए जाने का प्रावधान उन पर बड़ा आर्थिक बोझ बढ़ा देगा।एक यूजर के रूप में आप पर क्या फर्क पड़ेगा?अगर डिजिटल पर्सनल डेटा प्रॉटेक्शन बिल संसद से पास होकर कानून का रूप अख्तियार कर लेता है तो एक यूजर के रूप में आपके सामने कुछ नई बातें होंगी। आपको ज्यादा स्पष्ट प्राइवेसी नोटिस मिल सकता है, आपके पास ‘मेरा डेटा यूज नहीं करें’ यह कहने का ऑप्शन होगा, डेटा का दुरुपयोग होने पर आपको अलर्ट मिलेने के साथ-साथ डेटा को देखने और उसे ठीक करने का अधिकार मिलेगा। जैसे…► वेबसाइट और ऐप्स आपके डेटा का उपयोग करने से पहले अनुमति मांगेंगे।► प्रचार के लिए ईमेल या मेसेज भेजने से पहले कंपनियां, राजनीतिक दल या संस्थाएं आपसे अनुमति मांगेंगी।► नया कानून लागू होने के बाद ऑनलाइन बिजनस आपको आपके डेटा और वे इसका उपयोग कैसे करते हैं, इसके बारे में बताएंगे।