नई दिल्ली: कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक पूरे देश में… कुछ साल पहले अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब खुलेआम यह बात कही थी, तो पाकिस्तान हिल गया था। पूरा पाकिस्तान पीएम के एक शब्द पर ‘अटक’ गया था। जी हां, भाजपा के कई नेता और राष्ट्रवादी लोग ‘अटक से कटक तक भारत’ का नारा बुलंद करते रहे हैं। एक बार फिर अटक चर्चा में है। हाल में अरेस्ट किए गए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अटक जेल में ही डाला गया है। गर्मी के मौसम में पाकिस्तान में बिजली संकट चल रहा है, ऐसे में इमरान को लैंप की रोशनी और पंखे में रात काटनी पड़ रही है। खैर, इसी बहाने भारत में कटक चर्चा में आ गया है। जी हां, भारत में जो लोग अटक का इतिहास जानते हैं वे अटक शहर का नाम सुनकर इतिहास की बातें करने लगे हैं। आखिर कहां है अटक और भारत में इतनी तवज्जों क्यों दी जाती है? इसके पीछे एक गौरवशाली इतिहास है।कहां है अटकइस्लामाबाद से पेशावर जाते समय पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का आखिरी शहर अटक पड़ता है। इसके ठीक बाद खैबर-पख्तूनख्वा की सरहद शुरू हो जाती है। देखने में भारत का यह कोई छोटा कस्बा लगता है। डिस्ट्रिक्ट जेल अटक 1904 में बनाई गई थी, तब बंटवारा नहीं हुआ था। इस जेल में 540 कैदियों को रखे जाने की व्यवस्था है लेकिन अभी 800 से ज्यादा कैदी रखे गए हैं। इनमें से इमरान खान भी एक हैं। यहां सी-क्लास के आम कैदियों को रखा जाता है। नीचे गूगल मैप में देखिए कहां है अटक।अटक का इतिहासअब अटक का इतिहास जान लेते हैं। इसी से पता चलता है कि भारतीयों के दिल में अटक क्यों बसता है। 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद मुगल साम्राज्य बिखर गया। उसके बाद 11 और मुगल शासक हुए लेकिन वे कमजोर साबित हुए। हालांकि महाराष्ट्र में पेशवा और पंजाब में सिख ताकतवर बने रहे। बालाजी विश्वनाथ, बाजीराव और बालाजी बाजीराव के काल में भारत की गद्दी का प्रभुत्व अटक से कटक तक रहा। इस दौरान अटक में जंग लड़ी गई, जिससे अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली को पीछे धकेला गया।1758 में पेशवा नाना साहेब के नेतृत्व में मराठा फौज ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अटक किले पर भगवा लहराने की योजना बनाई। इसे 16वीं शताब्दी में अकबर ने बनवाया था। उस समय वहां दुर्रानी शासन था। यह किला ऐसी जगह पर था जो खैबर पास का प्रवेश द्वार कहा जाता था। यह ट्रेड रूट दक्षिण एशिया और मध्य एशिया को जोड़ता था।न एसी, न नौकर… पंजाब की अटक जेल में यूं गुजर रही इमरान खान की रात, पाकिस्तान में हाई अलर्टपानीपत की लड़ाई तक उत्तर भारत में मराठा हावी रहे। अहमदशाह अब्दाली 1747, 1748 और 1752 में लगातार हमले कर रहा था। दिल्ली समेत कई शहर लूटे गए। नजीब खान को दिल्ली में प्रतिनिधि बनाकर अब्दाली अफगानिस्तान लौट गया। इसके बाद मराठा फौज आगे बढ़ी।मुगल भी चाहते थे मराठा लाहौर को अब्दाली के शासन से मुक्त कराएं। मराठा और सरदारों की बड़ी फौज को देखकर अब्दाली का बेटा भाग खड़ा हुआ। 19 अप्रैल 1758 को लाहौर पर मराठा का शासन हुआ। 28 अप्रैल 1758 को अटक में भी मराठाओं ने भगवा लहराया।हालांकि यह पहली बार नहीं था जब भारत के नक्शे में अटक आया। इससे सैकड़ों साल पहले मौर्य शासन में भी अटक और कांधार समेत पूरा इलाका भारत का हिस्सा हुआ करता था। इसे ही अखंड भारत कहा जाता है। अटक से कटक की दूरी करीब 2,000 किमी है।