नई दिल्ली: मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता सुप्रीम कोर्ट (Modi Surname Verdict) ने बहाल कर दी है। तीन जजों की पीठ ने कहा कि निचली अदालत के जज ने अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया, ऐसे में अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है। यह फैसला आते ही कांग्रेस खेमे में मिठाई बंटने लगी, खुशिया मनाई जाने लगीं। फौरन अधीर रंजन चौधरी समेत कई नेता स्पीकर के पास राहुल गांधी की अयोग्यता रद्द कराने पहुंच गए। दूसरे खेमे में खामोशी दिखी। सबकी नजरें याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी के वकील और भाजपा नेता महेश जेठमलानी पर हैं कि उनका अगला कानूनी कदम क्या होगा। ‘आज तक’ से बातचीत में जब जेठमलानी से पूछा गया कि कांग्रेस नेता को अधिकतम सजा देने का क्या आधार है तो उन्होंने कहा कि बहुत सारे कारण हैं लेकिन तकलीफ की बात ये थी कि जज के ऑर्डर में 2 साल अधिकतम सजा देने की वजह शायद स्पष्ट नहीं था। कोर्ट ने कहा कि अधिकतम सजा के लिए यह तो पर्याप्त नहीं है इसलिए स्टे दिया गया। वैसे इसके कई आधार हैं कि इस केस में राहुल गांधी को क्यों अधिकतम सजा देनी चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में ये भी कहा है कि 162 साल के IPC में पहली बार किसी व्यक्ति को 2 साल की सजा मिली जिससे उसकी सदस्यता चली जाए। हम उत्साहित हैं क्योंकि शेर फिर से सदन में दहाड़ेगा।कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेतपूर्णेश मोदी के वकील ने क्या-क्या कहावरिष्ठ वकील जेठमलानी ने आगे कहा कि सेशन कोर्ट में अपील जारी है और जो आधार हैं अधिकतम सजा देने के, वो पेश किए जाएंगे। जब उनसे पूछा गया कि अब कोर्ट में क्या दलील रखी जाएगी तो उन्होंने कहा कि बहुत सी दलीलें हैं, अब समय नहीं है। यह गोपनीय बात है वकील और क्लाइंट के बीच की लेकिन जो भी कमियां थीं सेशंस कोर्ट के जजमेंट में, उचित समय पर ठीक किया जा सकता है। तब तक सेशंस कोर्ट के सामने अपील जारी है।उधर, कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, ‘हम राहुल गांधी जी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने वाले माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। यह राहुल गांधी जी का दृढ़ विश्वास है। न्याय की जीत हुई है। कोई भी ताकत जनता की आवाज को दबा नहीं सकती।’सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि टिप्पणी उचित नहीं थी और सार्वजनिक जीवन में भाषण देते समय एक व्यक्ति से सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। शीर्ष अदालत गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में मोदी उपनाम के संबंध में की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। राहुल ने सभा में टिप्पणी की थी, ‘सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?’