पूर्ण राज्य की हैसियत! – election preparations in jammu and kashmir

जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर सरकार की तैयारियां पूरी हैं। लेकिन इसके बाद भी अभी इसमें वक्त लग सकता है। विधानसभा से पहले पंचायत और नगर पालिकाओं के चुनाव करवाए जाने हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि वहां केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थाई है, जब स्थिति ठीक होगी तो इसे पूर्ण राज्य बना दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा खत्म किए जाने से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ कहा उससे दो बातें बिलकुल स्पष्ट हैं। एक तो यह कि जम्मू-कश्मीर का केंद्रशासित इकाई का दर्जा एक अस्थायी चीज है और जब भी स्थितियां अनुकूल होंगी उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। दूसरी बात यह कि राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार गंभीर है और इससे जुड़ी सारी तैयारियां लगभग पूरी कर चुकी है। हालांकि केंद्र सरकार की ही बातों से यह भी संकेत मिलता है कि सारी तैयारियों के बावजूद विधानसभा चुनावों में थोड़ा वक्त लग सकता है क्योंकि पहले पंचायत चुनाव और नगरपालिकाओं के चुनाव करवाए जाने हैं। वैसे दोनों मुद्दों पर सरकार अपना यही रुख पहले भी सार्वजनिक कर चुकी है और इसलिए कुछ लोग पूछ सकते हैं कि इसमें नया क्या है। अव्वल तो यह कि सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार का कुछ कहना वैसे भी अहम है और इसकी तुलना कहीं और कही गई सरकार की वैसी ही बातों से नहीं की जा सकती। दूसरी बात यह कि मौजूदा माहौल में पहली बार सरकार ने कहा है कि चुनाव से जुड़ी तमाम तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं और अब चुनाव तिथियों की घोषणा करने की औपचारिकता ही बच गई है जो चुनाव आयोग अपने हिसाब से कभी भी पूरी कर सकता है। मगर ज्यादा बड़ा मुद्दा जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे का है जिस पर सरकार अभी तक कोई टाइमफ्रेम बताने की स्थिति में नहीं आ पाई है।सवाल है कि इसके पीछे आखिर क्या वजह हो सकती है। जहां तक अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेषाधिकार को खत्म किए जाने की बात है तो संवैधानिक और कानूनी कसौटियों पर उसे परखने का काम सुप्रीम कोर्ट कर रहा है, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा कोई ऐसी बात नहीं है जो सीधे तौर पर उससे जुड़ी हो। राज्य में कानून-व्यवस्था और आतंकी गतिविधियों के मोर्चे पर खुद सरकार के मुताबिक जबर्दस्त सुधार है। जम्मू-कश्मीर की संवेदनशील स्थिति को लेकर कोई संदेह नहीं हो सकता लेकिन नॉर्थईस्ट से लेकर पंजाब तक तमाम सीमावर्ती राज्य हैं जहां देश कानून-व्यवस्था, आतंकवाद और अलगाववाद से जुड़ी गंभीर चुनौतियां झेल चुका है। एक ही बात है जो जम्मू-कश्मीर को थोड़ा अलग करती है और वह है अनुच्छेद 370 से जुड़े कानूनी और संवैधानिक सवालों का पेंडिंग रहना। हो सकता है सरकार चाहती हो कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की दिशा में कदम उठाने से पहले अनुच्छेद 370 के मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला देख लिया जाए। बहरहाल, यह समझना होगा कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल होने की बात वहां के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली के साथ ही उसके पूर्ण राज्य के दर्जे से भी अभिन्न रूप में जुड़ी है।एनबीटी डेस्क के बारे मेंNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें