नई दिल्ली: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले दोनों तरफ से कमर कसने की तैयारी हो रही है। विपक्ष का नया गठबंधन I.N.D.I.A. और एनडीए के बीच सीधी लड़ाई है। चुनाव चाहे विधानसभा का हो या लोकसभा का, लड़ा हमेशा मु्द्दों पर जाता है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव भी कई मुद्दों पर लड़ा जाएगा। इसमें एक सबसे प्रमख मुद्दा है महंगाई जिसपर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। टमाटर-प्याज के बढ़ते दाम, एलपीजी सिलेंडर का महंगा होना, चावल की कीमतों का बढ़ना राजनीतिक रण में मोदी सरकार के लिए बाधा बन रहे थे। लेकिन, अब लगता है केंद्र सरकार ने इससे निपटने में काफी हद तक सफलता पाई है। चुनाव से 8 महीने पहले टमाटर-प्याज की कीमतों में कंट्रोल, एलपीजी सिलेंडर के दामों में कटौती, चावल के निर्यात में कटौती ने सरकार को लड़ने के लिए नया हथियार दे दिया है। महंगाई पर मोदी सरकार के 5 वार ने इस ओर तो इशारा कर ही दिया है कि वह इसे लेकर कितनी सीरियस है।कंट्रोल में है महंगाईभारत की कोर मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 3 साल के निचले स्तर पर नरम हो गई है। लेकिन वहीं, खुदरा मुद्रास्फीति चिंताजनक थी क्योंकि यह जुलाई में 15 महीने के उच्च स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसने केंद्र को कुछ बड़े कदम उठाने के लिए प्रेरित किया क्योंकि केंद्र सरकार को ये फीडबैक मिले हैं कि अगर इस पर नियंत्रण नहीं किया तो आने वाले 5 विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव में यह एक चुनौती साबित हो सकता है।Opinion : मोदी सरकार में जनता खुश, ‘नेता’ बेदम; यूं भारत का भविष्य गढ़ रहे हैं प्रधानमंत्रीइनके दामों में कटौती कर साध लिए महिला वोटरबीते महीनों में दाल-चावल की कीमतें, प्याज के आयात निर्यात पर भारी शुल्क लगाना, टमाटर की कीमतों में पिछले पखवाड़े में कमी और अंत में, एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में कटौती। ये सभी कदम महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए भी हैं, जो खाने-पीने की चीजों और एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव महसूस कर रही थीं। महिला मतदाता भाजपा सरकार की एक महत्वपूर्ण समर्थक रही हैं, जिसमें पीएम आवास योजना और उज्जवला जैसी योजनाएं मोदी के पहले कार्यकाल की USP भी हैं। खुदरा मुद्रास्फीति को कम करने के लिए किए गए कदमों से, केंद्र को राज्य चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है। हाल ही में कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में गैस की कीमतों ने भाजपा को परेशान किया था। नतीजा यह था कि कांग्रेस ने दोनों ही राज्यों में जीत हासिल की थी।प्रशांत महासागर के खौलते पानी से लोकसभा चुनाव में हो सकता है खेल! एलनीनो का कनेक्शन समझिएप्याज-टमाटर पर इस तरह की कटौतीप्याज से पहले टमाटर की आसमान छूती कीमतों ने आम लोगों के साथ सरकार को भी परेशान किया था। किसी-किसी राज्य में तो इसके दाम 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे। इसके बाद सरकार ने 90 रुपये प्रति किलो की दर से देश के सेलेक्टेड हिस्सों में बेचना शुरु किया था। इसके बाद धीरे-धीरे टमाटर के दाम कम होने लगे। सरकार ने उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाले दरों पर टमाटर उपलब्ध कराए थे। अब टमाटर 40 से 60 रुपये किलो तक बिकना शुरू हो गया है। प्याज की कीमतें भी इस अगस्त बढ़ना शुरू हो गई थीं। बढ़ती कीमतों को देखते हुए मोदी सरकार ने 21अगस्त के बाद से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दर पर प्याज बेचना शुरू किया। यह एक दिन बाद आया जब केंद्र ने प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया ताकि घरेलू बाजार में इसकी स्टॉक सुनिश्चित हो सके और त्योहारी सीजन से पहले कीमतों को कम किया जा सके।केंद्र ने घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि के कारण 20 जुलाई को गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद 1,200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम मूल्य की बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।