Anubhav Shakya | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 7 Sep 2023, 6:14 amRSS प्रमुख मोहन भागवत ने अखंड भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत से अलग हुए देश फिर से साथ आना चाहते हैं। एक छात्र से उन्होंने कहा कि आपके बूढ़े होने से पहले अपना देश अखंड भारत बन जाएगा। नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का अखंड भारत पर बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि देश की परिस्थितियां बदल रही हैं। जो देश भारत से अलग हुए उन्हें अपनी गलती का अहसास हो रहा है और वो फिर से भारत से जुड़ना चाहते हैं। एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वो ये तो नहीं बता सकते कि देश कब तक अखंड भारत बनेगा, लेकिन आपके बूढ़े होने से पहले ये देखने को मिलेगा। बता दें कि आरएसएस चीफ महाराष्ट्र के नागपुर में एक छात्रावास में स्टूडेंट से संवाद कर रहे थे।बताया कब बनेगा अखंड भारतइस दौरान छात्रावास के एक स्टूडेंट ने भागवत से सवाल किया कि भारत देश को अखंड भारत के रूप में कब तक देख पाएंगे। इसके जवाब में भागवत ने कहा, ‘कब तक ये मैं नहीं बता सकता, इसके लिए ग्रह-ज्योतिष देखना पड़ेगा… मैं जानवरों का डॉक्टर हूं। लेकिन ये बताता हूं कि अगर आप उसको करने जाएंगे, तो आपके बूढ़े होने से पहले आपको दिखेगा।’भारत से जुड़ना चाहते हैं अलग हुए देश’उन्होंने आगे कहा कि देश में परिस्थितियां ऐसे करवट ले रही हैं। जो भारत से अलग हुए उनको लगता है कि उनसे गलती हो गई। फिर से भारत से जुड़ना चाहिए। लेकिन वो मानते हैं कि फिर से भारत होना यानी नक्शे की रेखाएं खत्म करना। ऐसा नहीं है उससे नहीं होगा। भारत होना यानी भारत के स्वभाव को स्वीकार करना। भारत का स्वभाव स्वीकार नहीं था, इसलिए भारत का विखंडन हुआ। जब ये स्वभाव वापस आ जाएगा तो सारा भारत एक हो जाएगा। अपने जीवन से सब पड़ोसी देशों को ये सीखना होगा। ये काम हमें करना होगा और हम कर रहे हैं। हम मालदीव को पानी पहुंचाते हैं, श्रीलंका को पैसा पहुंचाते हैं, नेपाल को भूचाल में मदद करते हैं, बांग्लादेश को मदद करते हैं। सबकी मदद कर रहे हैं।Mohan Bhagwat: बोलने और लिखने में भारत कहें, यही देश का पुराना नाम, गुवाहाटी में बोले, मोहन भागवत’भारत भूमि का अंग है दक्षिण एशियाई देश’भागवत ने किस्सा सुनाते हुए कहा कि 1992-93 में सार्क का अध्यक्ष बनते वक्त श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति प्रेमदासा ने कहा था कि दुनिया के बड़े देश छोटे देशों को निगलते हैं। इसलिए हमें सावधान रहकर सबको एक होना चाहिए। दक्षिण एशिया के देशों के लिए ये कठिन काम नहीं है। आज हम दुनिया में अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं, लेकिन वास्तव में हम एक ही भारत भूमि के मुख्य अंग हैं। अगर ये भाग उत्पन्न हो जाए कि भारत मेरी माता है मैं उसका पुत्र हूं। हमारे पूर्वज समान हैं। हमारे मूल्य जिनके आधार पर संस्कृति बनती है वो सर्वत्र समान हैं।Anubhav Shakya के बारे मेंNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें