आज चीन के साथ 19वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत होनी है। ये बातचीत काफी अहम है और माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच किसी सहमति पर बात बन सकती है। अगले सप्ताह पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने वाले हैं। पूर्वी लद्दाख में LAC के पास बने गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की एक और बातचीत सोमवार को होने जा रही है। वैसे तो यह बातचीत का 19वां दौर है लेकिन इसे खास महत्व दिया जा रहा है तो उसकी कई वजहें हैं। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब अगले सप्ताह ही साउथ अफ्रीका में ब्रिक्स देशों की शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की आमने-सामने मुलाकात होने वाली है। यही नहीं, अगले महीने यानी सितंबर में भारत में हो रहे G-20 देशों के शिखर सम्मेलन में भी राष्ट्रपति शी शामिल होने वाले हैं। ऐसे में दोनों तरफ जल्द से जल्द सहमति की गुंजाइश तलाशने को लेकर एक पॉजिटिव दबाव बनने की उम्मीद स्वाभाविक हो जाती है। याद किया जा सकता है कि 2017 में डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच ढाई महीने से चला आ रहा गतिरोध पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी की तय मुलाकात से कुछ ही दिन पहले दूर हुआ था। तब ब्रिक्स देशों की ही चीन में होने वाली शिखर बैठक में दोनों नेता मिलने वाले थे। लेकिन यह बात भी सही है कि 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में असामान्य गिरावट आई।हालांकि लगातार बातचीत से LAC के कुछ विवादास्पद स्थानों पर सेना को पीछे ले जाने पर सहमति हासिल की जा चुकी है, लेकिन आज भी कुछ जगहों को लेकर विवाद बना हुआ है, साथ ही सीमा पर दोनों तरफ 50 हजार से ज्यादा सैनिक भी तैनात हैं। ऐसे में देशों के रिश्तों में विश्वास का संकट बना हुआ है। चीन का जोर इस बात पर है कि LAC के विवाद को दरकिनार करते हुए दोनों देश रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिश करें, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक LAC पर 2020 से पहले की यथास्थिति नहीं कायम की जाती तब तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। अभी तो सबसे बड़ा सवाल है कि रिश्तों में आ चुके विश्वास के संकट को कैसे हल किया जाए, कौन से ऐसे कदम उठाए जाएं जिनसे विश्वास बहाली में मदद मिले और सीमा पर तैनात सैनिकों में टकराव की स्थिति न बने। लेकिन विवाद कितना भी गंभीर हो, मसला कितना भी जटिल हो, बातचीत के जरिए उसे सुलझाया जा सकता है और विवाद सुलझाने का यही सबसे अच्छा तरीका है। भारत और चीन के संदर्भ में अच्छी बात यह है कि सर्वोच्च नेतृत्व के स्तर पर पहले बेहतरीन पर्सनल केमिस्ट्री रही है और आज भी परस्पर संवाद को लेकर सकारात्मकता की भावना बनी हुई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह सकारात्मकता बातचीत की मेज पर संवाद को सही दिशा देगी और दोनों पक्षों को सहमति तक पहुंचने में मदद करेगी।एनबीटी डेस्क के बारे मेंएनबीटी डेस्क CorrespondentNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें