नई दिल्ली: ओडिशा (27.3%) में सेकेंड्री स्कूल लेवल पर ड्रॉपआउट रेट सबसे ज्यादा है। इसके बाद मेघालय (21.7%), बिहार (20.5%), और असम (20.3%) का नंबर है। जबकि स्कूली शिक्षा के इस स्तर पर ऑल इंडिया ड्रॉपआउट रेट 12.6 फीसदी है। पश्चिम बंगाल, पंजाब, नागालैंड, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में ड्रॉपआउट रेट 15 फीसदी से ज्यादा है। ये आंकड़े कई लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। इनकी मदद से ड्रॉपआउट रेट पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है। सरकारें इसके लिए अपने-अपने स्तर पर कोशिश कर सकती हैं।इस बारे में राज्यसभा को जानकारी दी गई है। शिक्षा मंत्रालय आंकड़ों के हवाले से ऐसा बताया गया है। इसमें अलग-अलग स्तर पर ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (जीईआर) और ड्रॉपआउट रेट को लेकर राज्य-वार डेटा शेयर किया गया।NEP: नौंवी से 12वीं क्लास के लिए नया फ्रेमवर्क इसी महीने के आखिर तक!15% से ज्यादा ड्रॉपआउट रेट वाले राज्यसेकेंड्री स्कूल लेवल पर जिन राज्यों में ड्रॉपआउट दर 15 फीसदी से ज्यादा है उनमें आंध्र प्रदेश (16.3%), गुजरात (17.9%), पंजाब (17.2%) और पश्चिम बंगाल (18%) शामिल हैं। प्राइमरी लेवल पर सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट रेट मणिपुर (13.3%) में है। इसके बाद मेघालय (9.8%) और अरुणाचल प्रदेश (9.3%) का स्थान है। इसी तरह अपर प्राइमरी लेवल पर सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट रेट मेघालय (10.6%) में है। इसके बाद असम (8.8%) और पंजाब (8%) का नंबर है।Jharkhad: ‘पुलिस अंकल की ट्यूटोरियल क्लासेज’, माओवादी प्रभावित सिमडेगा में संवर रहा है विद्यार्थियों का भविष्यइंटीग्रेटेड सिस्टम पर आधारित है डेटासंसद में साझा किया गया डेटा स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSEL) की एकीकृत जिला सूचना प्रणाली शिक्षा प्लस (UDISE+) सिस्टम के अनुसार है। इसे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से प्रदान किए गए स्कूली शिक्षा के विभिन्न संकेतकों पर डेटा रिकॉर्ड करने के लिए विकसित किया गया है।