भारतीय न्याय संहिता में कितने बदल जाएंगे कानून, जुर्म और सजा पर क्या होंगे नए नियम, देखिए पूरी लिस्ट – important changes in bhartiya nyay sanhita 2023

​भारतीय न्याय संहित (IPC)-राजद्रोह (Sedition/treason) को खत्म किया गया है। सरकार के खिलाफ नफरत, अवमानना, असंतोष पर दंडात्मक प्रावधान नहीं होंगे, लेकिन राष्ट्र के खिलाफ कोई भी गतिविधि दंडनीय होगी।- सामुदायिक सेवा को सजा के नए स्वरूप के तौर पर पेश किया गया है।- आतंकवादः भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है और इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है।- संगठित अपराध के लिए नई धारा जोड़ी गई है। किसी सिंडिकेट की गैर-कानूनी गतिविधि को दंडनीय बनाया गया है। सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों, अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधि के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं।- शादी, रोजगार, प्रमोशन, झूठी पहचान आदि के झूठे वादे के आधार पर यौन संबंध बनाना नया अपराध है।- गैंगरेप के लिए 20 साल की कैद या आजीवन जेल की सजा होगी। अगर पीड़िता नाबालिग है तो आजीवन जेल/मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।- नस्ल, जाति, समुदाय आदि के आधार पर हत्या से संबंधित अपराध के लिए नए प्रावधान के तहत लिंचिंग के लिए न्यूनतम सात साल की कैद या आजीवन जैल या मृत्युदंड की सजा होगी।- स्नैचिंग के मामले में गंभीर चोट लगती है या स्थायी विकलांगता होती है तो ज्यादा कठोर सजा दी जाएगी।- बच्चों को अपराध में शामिल करने पर कम से कम 7-10 साल की सजा होगी- हिट-एंड-रन के मामले में मौत होने पर अपराधी घटना का खुलासा करने के लिए पुलिस/मैजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं होता है, तो जुर्माने के अलावा 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CrPC)-जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर का कानून में प्रावधान किया गया है। कोई भी एफआईआर पुलिस स्टेशन की सीमा के बाहर, लेकिन राज्य के भीतर दर्ज हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एफआईआर दर्ज की जा सकती है।- हर जिले और हर पुलिस स्टेशन में किसी भी गिरफ्तारी की सूचना देने के लिए पुलिस अधिकारियों को नामित किया गया है। अपराध के पीड़ित को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के बारे में जानकारी दी जाएगी।- यौन हिंसा की पीड़िता का बयान महिला न्यायिक मैजिस्ट्रेट द्वारा उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में दर्ज किया जाएगा। इस दौरान पीड़िता के माता-पिता या अभिभावक मौजूद रह सकते हैं।- चोरी, घर में जबरन घुसना जैसे कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य कर दी गई है। जिन मामलों में सजा 3 साल तक है, उनमें मैजिस्ट्रेट लिखित में कारण दर्ज करने के बाद संक्षिप्त सुनवाई कर सकता है।- आरोप पत्र दाखिल करने के बाद आगे की जांच के लिए 90 दिन का समय। 90 दिनों से अधिक का विस्तार केवल कोर्ट की अनुमति से ही दिया जाएगा।- बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला सुनाया जाएगा। विशेष कारणों से यह अवधि 60 दिनों तक बढ़ाई जा सकती है।- दूसरे पक्ष की आपत्तियों को सुनने के बाद कोर्ट द्वारा सिर्फ दो स्थगन (adjournments) दिए जा सकते हैं। और विशेष कारणों से उन्हें लिखित रूप में दर्ज किया जाना चाहिए।- यदि सक्षम प्राधिकारी 120 दिनों के भीतर निर्णय लेने में विफल रहता है तो सिविल सेवक का अभियोजन आगे बढ़ाया जाएगा।- पहली बार अपराध करने वालों को एक तिहाई सजा काटने के बाद स्वत: जमानत। आजीवन कारावास या मौत की सजा पाए व्यक्ति को यह छूट नहीं मिलेगी।- राज्य सरकारों द्वारा गवाह सुरक्षा योजनाएं बनाई जाएंगी। सुरक्षा पर फैसला एसपी स्तर का अधिकारी लेंगे। इसके लिए राज्य से अनुमति की जरूरत नहीं होगी।-यदि सजा 10 साल या उससे अधिक (आजीवन कारावास और मृत्युदंड सहित) है तो दोषियों को घोषित अपराधी घोषित किया जा सकता है। भारत के बाहर उनकी संपत्ति की कुर्की और जब्ती के लिए नया प्रावधान बनाया गया है।- सज़ा को कम करने के नियम निर्धारित- मौत की सज़ा को उम्रकैद में, उम्रकैद को 7 साल सज़ा, 7 साल की सज़ा को 3 साल की सज़ा में।- नए प्रावधान के तहत घोषित अपराधियों पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जाएगा।- कोर्ट के आदेश के बाद अपराध की आय से संबंधित संपत्ति की जब्ती।- फोटोग्राफी/विडियोग्राफी की तारीख से 30 दिनों के भीतर पुलिस स्टेशनों में पड़ी केस संपत्ति का निपटारा।भारतीय साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट)- ‘दस्तावेज’ के तहत इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर में फाइलें, स्मार्टफोन/लैपटॉप संदेश; वेबसाइट, लोकेशन डाटा; डिजिटल उपकरणों पर मेल संदेश शामिल हैं।- एफआईआर, केस डायरी, चार्ज शीट और फैसले का डिजिटलीकरण जरूरी। साथ ही समन और वॉरंट जारी करना और तामील करना। शिकायतकर्ता और गवाहों की जांच, साक्ष्य की रिकॉर्डिंग, मुकदमेबाजी और सभी अपीलीय कार्यवाही।- सभी पुलिस स्टेशनों और अदालतों द्वारा बनाए जाने वाले ईमेल के लिए रजिस्टर। इसमें पार्टियों के ई-मेल आईडी, फोन नंबर और अन्य विवरण शामिल हों।- पुलिस की ओर से किसी भी संपत्ति की तलाशी और जब्ती अभियान की विडियो रिकॉर्डिंग। रिकॉर्डिंग बिना किसी देरी के संबंधित मैजिस्ट्रेट को भेजी जाएगी।- सात साल या उससे अधिक वर्षों की जेल की सजा वाले सभी मामलों में फॉरेंसिक विशेषज्ञ हो। इसके लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 5 साल के भीतर बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा।​