भारत को ‘जानी दुश्मन’ क्यों मानता है चीन? शी जिनपिंग के दिमाग में चल रहा गेम समझ‍िए – why china and xi jinping consider india as permanent enemy dragon irked by pm modi raising border issue

नई दिल्‍ली: चीन अब कहने लगा है कि सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों का बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए। ड्रैगन का प्रस्ताव है कि सीमा विवाद को किनारे रखकर बाकी क्षेत्रों में रिश्ते सामान्‍य किए जाएं। दरअसल चीन भारत के लगातार सीमा विवाद का मुद्दा उठाने से चिढ़ गया है। चीनी इंटरलोक्‍यूटर्स ने भारतीय समकक्षों से कहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हर बार सुप्रीम लीडर शी जिनपिंग के सामने सीमा विवाद का मुद्दा नहीं उठाना चाहिए। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। दूसरे शब्दों में, चीन चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शी जिनपिंग से हर बार मिलने पर बॉर्डर पर तनाव का जिक्र नहीं करना चाहिए। ड्रैगन ने यह जताने की कोशिश की है कि जिनपिंग के पास और भी बड़े मसले हैं। भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने में उनकी दिलचस्पी नहीं है।जिनपिंग के इस रवैये का पता तो मार्च 2013 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को भी लग चुका था। डरबन की BRICS समिट में जिनपिंग पहली बार चीन के राष्ट्रपति के रूप में पहुंचे थे। भारत के प्रधानमंत्री संग उनकी मुलाकात में जिनपिंग ने गर्मजोशी नहीं दिखाई थी। उस वक्त भारत और चीन की सेनाएं देपसांग में आमने-सामने थीं। जिनपिंग की सरपरस्ती वाला चीन, भारत को ‘परमानेंट दुश्मन’ की तरह देखता है, यह बात साफ हो गई थी।दिसंबर 2019 में चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी।सीमा पर बार-बार अतिक्रमण करता है चीनअगले ही महीने, चीन ने दौलत बेग ओल्डी में पॉइंट 10 से 13 तक भारतीय पैट्रोलिंग पर रोक लगा दी। पैट्रोलिंग का अधिकार 2014-15 में बहाल हुआ मगर मई 2020 में चीनी सेना ने फिर ब्‍लॉकेड कर दिया। तब चीन की सेना गलवान, खुरंग नाला, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्‍स और पैंगोंग सो में अतिक्रमण करने लगी थी। देपसांग में पैट्रोलिंग का मसला आज तक अनसुलझा है। PLA का कहना है कि यह 2013 का मसला है। यही लाइन चीन ने देमचोक के चारडिंग निलुंग नाला (CNN) को लेकर पकड़ रखी है।सितंबर 2014 में जिनपिंग को पीएम मोदी ने अपने गृह राज्‍य गुजरात बुलाया। उसी समय PLA ने देमचोक और चूमर इलाके में अतिक्रमण किया। भारतीय सेना के साथ लंबे समय तक स्टैंड-ऑफ रहा। HT की रिपोर्ट के अनुसार, सैन्‍य कमांडरों का कहना है कि PLA ने 2005-07 में भी एक बार पैट्रोलिंग का अधिकार ब्लॉक किया था, सितंबर 2014 में CNN जंक्शन को लेकर PLA ने रुख और कड़ा कर दिया। आज भी भारतीय सेना को CNN जंक्शन पर पैट्रोलिंग का अधिकार नहीं मिला है।दिसंबर 2019 में चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी।भारत को ‘परमानेंट दुश्मन’ समझता है ड्रैगनPLA ने पूर्वी लद्दाख में करीब 50 हजार सैनिक जमा किए। रॉकेट, तोपें और टैंक तैनात कर दिए। पीएम मोदी को मामले की गंभीरता का अंदाजा है और इसी वजह से जिनपिंग से हर मुलाकात में वह स्थिति पर सफाई मांगते हैं। मगर जिनपिंग इसे नजरअंदाज करते हैं। उनकी नजर में यह उनके वक्‍त की बर्बादी है। ऐसे में चीन का यह कहना कि द्विपक्षीय संबंधों को सीमा विवाद का बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए, हास्‍यास्‍पद ही है। चीन ने लगभग हर मोर्चे पर भारत के प्रति दुश्मनी का भाव रखा है। हालिया सालों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं:चीन ने 2016 में भारत के न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप (NSG) में शामिल होने में अड़ंगा लगाया। वह अपने मोहरे पाकिस्तान को भारत के बराबर स्थान दिलाना चाहता था। चीन ने नब्बे के दशक में नॉर्थ कोरिया के रास्‍ते पाकिस्तान को न्यूक्लियर मिसाइल टेक्नोलॉजी मुहैया कराई थी।संयुक्त राष्ट्र में आतंकियों को प्रतिबंधित कराने में चीन ने बार-बार रुकावट डाली। मसूद अजहर, रऊफ असगर, सज्जाद मीर… ऐसे आतंकियों की लंबी फेहरिस्त है जिनके दामन हजारों लोगों के खून से लाल हैं, मगर चीन ने उन्‍हें बचाया।चीन ने पाकिस्तान के डीप स्टेट को खूब मदद कि ताकि वह तालिबान से पहले वालो अफगानिस्तान में काम करने वाले भारतीय इंजिनियरों को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करवा सके। अमेरिका और फ्रांस जैसे सहयोगियों की वजह से भारत इन चालों को नाकामयाब करने में सफल रहा।अगस्‍त 2019 में भारत ने अनुच्छेद 370 में बदलाव किया और धारा 35A हटाया। जम्‍मू और कश्‍मीर, लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों को दिखाते हुए नए मानचित्र का चीन ने विरोध किया और उसे विवादित इलाका बताया। चीन ने UNSC में इसके खिलाफ प्रस्ताव लाने की कोशिश की।2017 में, जिनपिंग के इशारे पर PLA ने भारत-भूटान-चीन के ट्राई-जंक्शन, डोकलाम में अतिक्रमण किया। इससे भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर को खतरा पैदा हो गया। अगर सेना फौरन एक्शन नहीं लेती तो PLA पूरे सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर प्रभुत्व स्थापित कर सकती थी।चीन ने हर मौके पर भारत को दबाने की कोशिश की है। चीन हर उस कदम के खिलाफ खड़ा हो जाता है जो दुनिया में भारत को एक बड़े खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। चीन का नेतृत्व जो कहता है और जमीन पर जो होता है, उसमें जमीन-आसमान का अंतर है। सीमा पर भारत को दबाने में नाकाम रहा चीन अब कूटनीतिक रास्‍ता अपना रहा है। भारत को अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाते हुए सभी मोर्चों पर चीन के मुकाबले को तैयार रहना चाहिए।