संसद का मॉनसून सेशन शुरू होने के साथ ही विपक्ष जहां मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री के सदन में बयान की मांग कर रहा है वहीं बीजेपी सांसद पश्चिम बंगाल और राजस्थान का मुद्दा उठा रहे हैं। विपक्षी सांसद मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे तो बीजेपी सांसद पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ। बीजेपी क्यों मणिपुर और पश्चिम बंगाल की तुलना कर रही है? पीएम मणिपुर मसले पर बात क्यों नहीं कर रहे? बंगाल में क्या बीजेपी की मुश्किल बढ़ सकती है? इन तमाम मसलों पर पूनम पाण्डे ने बात की बीजेपी के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष और सांसद सुकांत मजूमदार से -1) विपक्ष जब मणिपुर का मुद्दा उठा रहा है तो आप पश्चिम बंगाल का मुद्दा उठा रहे हैं, आप कैसे तुलना कर रहे हैं मणिपुर और पश्चिम बंगाल की?मणिपुर में जो घटना घटी है बहुत दुखद घटना है, ऐसी घटना होनी नहीं चाहिए। भारत की साख को कम कर रही है। इसकी हम निंदा करते हैं, प्रधानमंत्री ने भी इसकी निंदा की है। लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक मुद्दा बना रहा है। जबकि इसमें राजनीति नहीं है, ये दो समुदाय के बीच में लड़ाई है। दूसरी तरफ अगर बंगाल में देखें तो बीजेपी कार्यकर्ताओं को नंगा करके घुमाया जा रहा है। कूच बिहार में एक नाबालिग के साथ रेप हुआ। वह लड़की मारी गई। मालदा में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके पीटा गया जिसका विडियो भी वायरल है। विपक्ष बस एक तरफ देख रहा है। मणिपुर उन्हें दिखाई दे रहा है लेकिन बंगाल नहीं दिखाई दे रहा। अगर आपको मणिपुर की निंदा करनी है तो बंगाल में महिलाओं के साथ जो बर्बरता हो रही है उसकी भी निंदा करनी चाहिए।2) यही आरोप तो आप पर भी हैं कि आप पश्चिम बंगाल या राजस्थान की बात तो कर रहे हैं, पीएम ने भी राजस्थान की बात कही, लेकिन उन्हें मणिपुर नजर नहीं आ रहा है?ये आरोप सरासर गलत है क्योंकि मणिपुर में जो हो रहा है उसे रोकने के लिए हमारी सरकार ने हर संभव प्रयास किया। वहां सेंट्रल फोर्स भेजी गई। विपक्ष के राज्य में जहां कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होती है, वे सेंट्रल फोर्स को आने नहीं देते। हम अपने राज्य में सेंट्रल फोर्स को आने देते हैं। वहां कुकी और मैतई दोनों के बीच की लड़ाई है। हम चाहते हैं कि वहां जल्द से जल्द शांति आए। जब दो समुदाय के लोग संघर्ष में उतर गए तो संभालना मुश्किल होता है। इससे पहले भी वहां ऐसी घटनाएं हुई हैं। जो दिक्कत है उसे स्वीकार करना चाहिए और उसे ठीक करना चाहिए।3) पीएम ने मणिपुर को लेकर सदन के बाहर तो बोला लेकिन सदन के अंदर बोलने में क्या दिक्कत है, जब वह हर स्पीच में महिलाओं की सुरक्षा का जिक्र करते हैं?सदन के कुछ नियम होते हैं। अगर जल शक्ति मंत्रालय का कोई मुद्दा है तो क्या उस पर गृह मंत्री बोलेंगे? ऐसा नहीं होता। वैसे ही यह मसला कानून व्यवस्था का है तो गृह मंत्री जवाब देते हैं। वह जवाब देने को तैयार भी हैं लेकिन विपक्ष जवाब सुनने को तैयार ही नहीं है। दिक्कत विपक्ष की तरफ से है। विपक्ष बच्चों की तरह कर रहा है। कोई बच्चा जब खिलौने की दुकान के सामने से जाता है तो जिद करता है कि वही खिलौना चाहिए, वैसा ही विपक्ष कर रहा है।4) हाल ही में हुए पंचायत चुनाव के नतीजों से यह लगता नहीं कि लोगों ने आपके मुद्दों को ज्यादा तव्वजो नहीं दी, आपको नहीं चुना?2018 में पंचायत चुनाव हुआ था, हम 6000 सीट जीते। तब 2019 में 18 लोकसभा सीटें जीते। इस बार 11 हजार पंचायत सीट हम जीते हैं तो हिसाब लगा लीजिए कि लोकसभा में कितनी सीटें जीतेंगे। इस हिसाब से हम 36 सीटें तो जीत ही सकते हैं। जनता बीजेपी के साथ है इसलिए ममता बनर्जी को हिंसा करनी पड़ी। बोगस वोटिंग करवानी पड़ी। अगर उन्हें अपने काम पर भरोसा होता तो यह सब करने की जरूरत नहीं पड़ती।5) लेकिन चुनाव में सेंट्रल फोर्स भी भेजी गई थी, उसके बाद ये सारी हिंसा कैसे हुई?बीएसएफ साफ बोल रही है कि हमें कोई लिस्ट नहीं दी गई कि संवेदनशील बूथ कहां हैं, कितने हैं। उन्हें बस कुल नंबर बताया गया कि कुल 10 हजार संवेनशील बूथ हैं, पर ये कौन से हैं और कौन से इलाके में हैं ये उन्हें नहीं बताया गया। उन्हें बस बैठा के रखा गया। यही ममता बनर्जी की प्लानिंग थी।6) तो आपको लगता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा हो सकता है?उस समय अलग माहौल होगा। सेंट्रल इलेक्शन कमिशन की जिम्मेदारी रहेगी। तो तृणमूल कांग्रेस जो गुंडागर्दी करती है तब वे कर नहीं पाएंगे।7) अब टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट एक गठबंधन का हिस्सा है, क्या बीजेपी की मुश्किल बढ़ेगी नहीं?बंगाल में अगर ये एक साथ लड़ते हैं तो लेफ्ट का वोट शेयर या कांग्रेस का वोट शेयर वो तृणमूल के पास नहीं जाएगा। क्योंकि वह एंटी तृणमूल वोट शेयर है। वह बीजेपी के पास आएगा। इसके बीजेपी को लाभ होगा।8) सीएए के रूल्स जल्दी बनाने की मांग को लेकर आप कई बार प्रधानमंत्री से भी मिल चुके हैं, क्या लगता है, कब तक बनेंगे रूल?सीएए लागू होगा। हम पूरे विश्वास के साथ कहते हैं कि यह लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा।