नई दिल्ली: मोदी सरकार के 18 से 22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र बुलाने पर खलबली मच गई है। इस विशेष सत्र से सबसे ज्यादा आपत्ति विपक्ष को है। उसका कहना है कि सरकार अपनी मर्जी से संसद चलाना चाहती है। बिना कोई विशेष कारण के संसद का विशेष सत्र बुलाने पर अटकलों का बाजार भी गर्म हो गया है। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि सरकार फिर महत्वपूर्ण बिल जैसे समान नागरिक संहिता, एक देश-एक चुनाव, महिला आरक्षण बिल या जम्मू और कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाल करने जैसे बिल पेश कर सकती है। लेकिन, अभी तक खुलकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब देश की सत्ता संभाल रही किसी सरकार ने विशेष सत्र न बुलाया हो। आंकड़े गवाह हैं कि आजादी के बाद से अब तक कई बार ऐसे मौके आए जब केंद्र सरकार को विशेष सत्र बुलाना पड़ा। एक नजर उसी पर-संसद के विशेष सत्र का तिया पांचाभारतीय संसद के विशेष सत्रों का इतिहास दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला बहस या चर्चा के साथ होने वाले उचित विशेष सत्र और दूसरा बिना किसी बहस के होने वाले मध्यरात्रि सत्र। इन सत्रों का एजेंडा या तो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय स्वतंत्रता जैसे ऐतिहासिक विरासत का जश्न मनाने का होता है या फिर किसी बिल को पारित करने का। साल 2017 में जीएसटी रोलआउट के मामले में ऐसा ही कुछ हुआ था।कब-कब बुलाए गए विशेष सत्र, इतिहास जान लीजिए14-15 अगस्त, 1947: भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय संसद का पहला सत्र ब्रिटिश अधिकारियों से भारतीय लोगों को सत्ता सौंपने के साक्षी के रूप में आयोजित किया गया था। भारत ने 200 वर्षों के उपनिवेशवाद के बाद अपनी स्वतंत्र, संप्रभु यात्रा शुरू की थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने Tryst With Destiny भाषण में भी इसका उल्लेख किया था।नवंबर 1962: प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत सरकार ने तत्कालीन जनसंघ नेता अटल बिहारी वाजपेयी के अनुरोध पर विशेष सत्र बुलाया था। एजेंडा भारत-चीन युद्ध की स्थिति पर चर्चा करना था। युद्ध के दौरान ही यह विशेष बैठक हुई थी, जिसमें 8 और 9 नवंबर को नेहरू के टिप्पणियों और वाजपेयी के तीखे बयानों के साथ बहस हुई थी।14-15 अगस्त, 1972: यह दिन अपने आप में खास था। तत्कालीन केंद्र सरकार ने भारत की स्वतंत्रता के 25 वर्षों के जश्न के आयोजित किया था।9 अगस्त, 1992: यह संसद का एक मिडनाइट स्पेशन सेशन था। यह सत्र भारत छोड़ो आंदोलन की 50 वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए आयोजित किया था। महात्मा गांधी ने 8 अगस्त, 1942 को अपने ‘करो या मरो’ भाषण के साथ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था, जिसने भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद को गहरा जख्म दिया था।14-15 अगस्त, 1997: स्वतंत्रता के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मध्यरात्रि सत्र का आयोजन किया गया था।26-27 नवंबर, 2015: डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, लोकसभा और राज्यसभा में दो दिवसीय विशेष सत्र भारतीय संविधान के वास्तुकार को श्रद्धांजलि देने के लिए साल भर चलने वाले समारोहों का हिस्सा था। विषय संविधान के प्रति अपनी राजनीति की प्रतिबद्धता पर चर्चा करना था। उसी वर्ष, भारत सरकार ने डॉ. अंबेडकर के विचारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उनकी जयंती समारोह के एक भाग के रूप में 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया।