दीवार पर टंगी तस्वीर 1971 की है। तब ढाका में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना ने बिना शर्त सरेंडर किया था। तारीख थी 16 दिसंबर, 1971। ढाका का रेस कोर्स मैदान इसका साक्षी बना था।। उस वक्त घड़ी में शाम के 4 बजकर 31 मिनट हो रहे थे।हमेशा अच्छे रहे रिश्तेबांग्लादेश के गठन के बाद से वह हमारा मित्र देश रहा। भारत और बांग्लादेश एक दूसरे को हर मंच पर सपोर्ट करते रहे हैं। इसके उलट पाकिस्तान इस दोस्ती से चिढ़ता है। वह मानता है कि भारत के कारण ही वह टुकड़ों में बंट गया। जबकि सच यह है कि इसमें उसकी नीतियां ज्यादा बड़ी जिम्मेदार थीं। इन नीतियों के कारण ही पूर्वी पाकिस्तान (आज बांग्लादेश) में विद्रोह की आग भड़की।क्यों चुभ रही होंगी ये तस्वीरें1971 की जंग ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। दुनिया में एक नया मुल्क बांग्लादेश अस्तित्व में आया। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब भारत और बांग्लादेश की सेनाओं के प्रमुख मिल रहे हों तो पाकिस्तान के सीने में क्यों आरी चल रही होगी।शफीउद्दीन को गार्ड ऑफ ऑनरबांग्लादेश के आर्मी चीफ एसएम शफीउद्दीन अहमद को साउथ ब्लॉक लॉन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उनके साथ भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे मौजूद रहे। 1971 में पाकिस्तानी सेना के सरेंडर के करीब एक घंटे बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा में ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि ढाका अब आजाद बांग्लादेश की आजाद राजधानी है। इसी के साथ दुनिया के नक्शे पर एक नए देश के जन्म की घोषणा हुई थी।तस्वीर में भारतीय सेना की गौरव गाथातस्वीर में पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी सरेंडर के दस्तावेज पर दस्तखत कर रहे हैं। बगल में इंडियन आर्मी के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा बैठे हुए हैं। उस अभूतपूर्व सरेंडर में पाकिस्तान के करीब 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इसके साथ ही पूर्वी पाकिस्तान एक आजाद मुल्क बांग्लादेश बन गया।फख्र की यादें हुई ताजाभारत और बांग्लादेश के सेना प्रमुखों की मुलाकात के दौरान पीछे दीवार पर टंगी तस्वीर ने फख्र की यादें ताजा कर दीं। 1971 की यह तस्वीर तब की है जब ढाका में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना ने बिना शर्त सरेंडर किया था।