राहुल गांधी की संसद के मॉनसून सत्र में ही लोकसभा में वापसी हो सकती है

नई दिल्ली: आपराधिक मानहानि केस में मिली सजा पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब अपनी संसद सदस्यता जल्द-से-जल्द बहाल करवाना चाह रहे हैं। मोदी सरनेम केस में गुजरात के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी की शिकायत पर राहुल गांधी को निचली अदालत से दो साल की सजा मिली थी जो मानहानि के मुकदमे में अधिकतम सजा है। राहुल ने निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में अपील की थी जो खारिज हो गई। चूंकि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के तहत दो साल की सजा मिलने पर न केवल जनप्रतिनिधि की संबंधित सदन की सदस्यता खत्म हो जाती है बल्कि उसके छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक भी लग जाती है। राहुल गांधी पर भी यही कार्रवाई हुई। वो केरल के वाडनाड संसदीय क्षेत्र से चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं। सजा के बाद उनकी संसद सदस्यता समाप्त हो गई थी। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी है तो लोकसभा में उनके लौटने का दरवाजा खुल गया है। तो क्या राहुल गांधी संसद के चालू सत्र में भाग ले पाएंगे? क्या उनके संसद लौटने में देरी होगी या जल्द ही वो लोकसभा में दिखने वाले हैं? आइए जानते हैं कि अब राहुल को संसद सदस्यता वापस पाने के लिए किन प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ेगा।अब लोकसभा कैसे लौट पाएंगे राहुल?चुनाव कानूनों के एक विशेषज्ञ ने इस मुद्दे पर हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक जरूर लगा दी है, लेकिन उन्हें दोषमुक्त नहीं किया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में जब तक वो आखिरी फैसला नहीं दे देता है, तब तक राहुल गांधी को गुजरात की निचली अदालत से मिली सजा पर रोक रहेगी। इसका मतलब है कि राहुल गांधी अभी सजा मुक्त हैं। चूंकि राहुल पर दो साल की सजा लागू नहीं है, इसलिए उनपर जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अयोग्यता का प्रावधान भी लागू नहीं रह सकता। उन्होंने कहा, ‘वायनाड लोकसभा सीट अब खाली नहीं है।’ जब लोकसभा सचिवालय को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कागजात मिल जाते हैं, तो वह किसी भी समय बहाली का आदेश जारी कर सकता है।मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल को सुप्रीम कोर्ट से राहत दिलाने वाले वकील कौन हैं? जानिए उनके बारे में सबकुछलक्षद्वीप के सांसद की कहानी याद है ना?लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल पीपी के साथ भी ऐसा ही हुआ था। उन्हें सजा मिलने पर अयोग्य ठहरा दिया गया, फिर सजा पर रोक या निलंबन के बाद उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई। एनसीपी सांसद फैजल को 11 जनवरी, 2023 को हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराए जाने और 10 साल की जेल की सजा सुनाए जाने पर अयोग्य घोषित कर दिया गया था। 13 जनवरी को, लोक सभा सचिवालय ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी अधिनियम) 1951 की धारा 8 (3) के तहत एक सांसद के रूप में उनकी अयोग्यता को अधिसूचित किया। इसी प्रावधान जिसके तहत राहुल को अयोग्य ठहराया गया था।हालांकि, केरल हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को फैजल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उनकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया, जिससे उनकी अयोग्यता निष्प्रभावी हो गई। फिर भी, सांसद के रूप में उनका निलंबन तुरंत रद्द नहीं किया गया था। जब उन्होंने ‘गैरकानूनी कार्रवाई’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, तभी 29 मार्च की सुनवाई से कुछ घंटे पहले लोकसभा सचिवालय ने पुष्टि की कि उनकी अयोग्यता रद्द कर दी गई है।राहुल पर सुप्रीम फैसले से चुनाव आयोग भी खुश!इस बीच कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले को वायनाड सीट पर उपचुनाव की घोषणा से पहले इंतजार करने के अपने फैसले पर लगी मुहर के रूप में देख रहा है। चुनाव आयोग के एक पूर्व पदाधिकारी ने टीओआई से कहा, ‘पिछले उदाहरण के मद्देनजर तो यह इंतजार के लायक ही था। अगर चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत के फैसले से पहले उपचुनाव कराया होता, तो पहले की स्थिति को बहाल करना मुश्किल होता। चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण और जल्दबाजी करने का आरोप लगाया जाता।’सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत तो दी लेकिन नसीहत के साथ, जानिए कैसे जेठमलानी पर भारी पड़ीं सिंघवी की दलीलेंइस बार चुनाव आयोग ने किया इंतजार का फैसलाचुनाव आयोग को कोई सीट खाली होने की तारीख से छह महीने के भीतर उपचुनाव कराने की आवश्यकता है। राहुल गांधी के मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने लोकसभा सचिवालय की तरफ से वायनाड लोकसभा क्षेत्र खाली होने की अधिसूचना मिलने के बाद तुरंत बाद उपचुनाव कराने की जगह इंतजार करने का फैसला किया। कर्नाटक चुनावों की घोषणा के दिन 29 मार्च को सीईसी से जब पूछा गया कि वायनाड उपचुनाव की घोषणा क्यों नहीं की गई, तो उन्होंने कहा था, ‘हम इंतजार करेंगे। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील के सभी उपाय समाप्त होने से पहले इसे (उपचुनाव) करने की कोई जल्दबाजी नहीं है।’सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत के साथ कड़वा डोज भी दिया, पढ़िए 3 लाइन की नसीहत में क्या कहामो. फैजल के मामले से मिली चुनाव आयोग को सीखचुनाव आयोग ने अंततः तब तक उपचुनाव निर्धारित नहीं करने का फैसला किया जब तक कि अपील की अंतिम अदालत अपना आदेश पारित नहीं कर देती। सूत्रों ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने लक्षद्वीप उपचुनाव के मामले में सबक सीख चुका था, इसलिए इस बार इंतजार करना ही सही समझा। आयोग ने मौजूदा सांसद की अयोग्यता के कुछ दिनों के भीतर लक्षद्वीप सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा कर दी थी। चुनाव प्रक्रिया के दौरान ही केरल उच्च न्यायालय ने सांसद की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था। इसके कारण निर्वाचन आयोग को लक्षद्वीप संसदीय सीट के लिए उपचुनाव करवाने का फैसला वापस लेना पड़ा था।