विशुद्ध राजनीति: विपक्षी बैठक के बाद ममता खफा, राहुल का विदेश दौरा, स्पेशल सेशन पर सस्पेंस, देश की राजनीति में सब घट रहा – bjp karnataka ruckus mamata not happy after opposition meeting rahul gandhi foreign tour

​BJP के ‘बॉम्बे बॉयज’इस साल कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से वहां BJP में गुटबाजी चल रही है। बताते हैं कि वहां पार्टी में दो-दो गुट बन चुके हैं। ये दोनों गुट एक-दूसरे के खिलाफ तलवारें तान कर खड़े हैं। एक-दूसरे के खिलाफ लगातार आरोप लगा रहे हैं। इनमें एक गुट को दूसरा गुट ‘बॉम्बे बॉयज’ कहकर बुलाता है। ‘बॉम्बे बॉयज’ गुट के नेता वे हैं, जो कांग्रेस छोड़कर BJP आए थे और तब BJP की सरकार बनी थी। अब उनमें से कई विधायक दोबारा चुनकर आए हैं। इस गुट के नेताओं का आरोप है कि BJP उन्हें बाहरी नेताओं की तरह ट्रीट कर रही है। मतलब, उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा है। वहीं, दूसरे गुट के नेताओं का कहना है कि ‘बॉम्बे बॉयज’ गुट के नेताओं को पार्टी में उनसे कहीं अधिक तरजीह मिली। उन्हें मनमाफिक सीट चुनने की आजादी दी गई। इससे पार्टी के पुराने नेताओं में असंतोष पनपा। विधानसभा चुनाव में हार के बाद इन ‘बॉम्बे बॉयज’ गुट के कुछ नेताओं के फिर कांग्रेस की ओर मुड़ने की अटकलों के साथ दोनों के बीच तनाव बढ़ गया है। बताते हैं कि इस गुट के कुछ नेताओं की पिछले दिनों राज्य में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात भी हुई है।​ममता का परहेजविपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की मुंबई में हुई मीटिंग में इस बार पश्चिम बंगाल की सीएम और TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी कई मौकों पर उखड़ी-उखड़ी दिखीं। खासकर जाति जनगणना के सवाल पर तो वह साफ-साफ इसके विरोध में दिखीं। गठबंधन के दूसरे नेताओं ने उन्हें इसका मतलब समझाने की कोशिश तो की, लेकिन वह नहीं मानीं। इसका नतीजा यह हुआ कि मीटिंग के बाद इसका जिक्र प्रस्ताव में शामिल ही नहीं किया जा सका। इसके बाद मंगलवार को दिल्ली में I.N.D.I.A. गठबंधन की एक और मीटिंग हुई, जिसमें TMC के विरोध के कारण यह मुद्दा प्रस्ताव में शामिल नहीं किया जा सका। TMC सूत्रों का कहना है कि प्रस्ताव पर सहमत होने से पहले उन्हें उनके राज्य में होने वाले इसके असर को समझना होगा। पार्टी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में शुरू से ऐसे मुद्दे दोधारी तलवार की तरह रहे हैं। वहां जातीय राजनीति अधिक हावी नहीं रही है। TMC के एक नेता ने कहा कि उन्हें राज्य में मुस्लिम वोट के अलावा ब्राह्मणों का भी काफी वोट मिलता रहा है। ऐसे में वह हड़बड़ी में कोई ऐसा कदम नहीं उठाएंगी जो उन्हें अपने ही घर में नुकसान पहुंचाए। इस तरह के हालात में अब I.N.D.I.A. गठबंधन के लिए इस मुद्दे पर आम सहमति बनना कठिन लग रहा है। हालांकि गठबंधन के दूसरे नेता TMC के इस रुख के लिए एक ‘चुनावी रणनीतिकार’ को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।​राहुल गए विदेशइधर जब दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन हो रहा है, उसी समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी की विदेश यात्रा भी शुरू हो चुकी है। इस बार वह यूरोपीय देशों के दौरे पर रहेंगे और इंग्लैंड के अलावा फ्रांस और नॉर्वे भी जाएंगे। सियासी गलियारों में उनकी इस यात्रा की टाइमिंग को लेकर भी चर्चा हो रही है। जहां पार्टी के अंदर एक गुट का तर्क है कि ऐसी टाइमिंग से राहुल गांधी को कोई कवरेज नहीं मिलेगा। वहीं दूसरे गुट के नेताओं का कहना है कि ठीक ऐसा ही चाहते थे राहुल गांधी। वह देश के बाहर NRI और थिंक टैंक नेताओं से संवाद कर उनके साथ समझ बनाना चाहते हैं, क्योंकि पिछले कुछ सालों में BJP उनके लिए पहली पसंद हो गई है और वे पूरी तरह उनके साथ दिखते हैं। ध्यान रहे, राहुल गांधी के पिछले दो विदेशी दौरों को लेकर काफी सियासी विवाद हुआ और BJP ने यहां तक आरोप लगाया कि इन दौरों में उन्होंने भारत विरोधी लोगों से भी मुलाकात की।​भारत भी, इंडिया भीपिछले हफ्ते एक और सियासी घमासान हुआ। घमासान का मुद्दा था कि क्या देश का सिर्फ एक नाम भारत ही इस्तेमाल किया जाए। विपक्ष ने कहा कि I.N.D.I.A. गठबंधन के नाम से घबराकर BJP देश का नाम सिर्फ भारत रख रही है। इसके पीछे हाल में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की ओर से जारी कुछ चिट्ठियों का हवाला दिया गया। इस चर्चा ने शुरू में तो जोर पकड़ा, लेकिन BJP ने तुरंत इस विवाद को समाप्त करने की दिशा में पहल की। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों और नेताओं को इस मुद्दे से दूर रहने की सलाह दी। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि नाम बदलने की कोई मंशा नहीं है और पहले से ही संविधान में भारत और इंडिया- दोनों नामों का प्रयोग करने की अनुमति है। दरअसल, BJP इस विवाद को आगे इसलिए नहीं बढ़ाना चाहती क्योंकि इसका असर दक्षिण और नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में क्या होगा, इसे लेकर अभी कोई खास अंदाजा नहीं है। इधर BJP एक साथ कई मोर्चों पर लड़ना भी नहीं चाहती। मगर विपक्ष इस मसले पर BJP को बख्शने को तैयार नहीं दिख रहा। वह इस मामले को दूसरी दिशा में मोड़ रहा है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि संविधान बदलने के बाद BJP इसकी तमाम चीजों को बदलेगी, जिनमें आरक्षण भी शामिल है।​शीत सत्र पर सस्पेंससंसद के विशेष सत्र को लेकर इस बार विपक्षी नेता पूरी तरह से पशोपेश में पड़े हैं। उन्हें इसके अजेंडे का कोई आइडिया ही नहीं लग पा रहा है। लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि अजेंडा जो भी हो, इस बार उन्हें I.N.D.I.A. गठबंधन की एकता तो दिखानी ही होगी। यह उनके लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में सत्र में अजेंडे से अधिक चिंता I.N.D.I.A. को एकजुट रखने की है। दरअसल, संसद के मॉनसून सत्र में I.N.D.I.A. गठबंधन लगातार एकजुट होकर सरकार पर हमलावर रहा, लेकिन सत्र के अंतिम दिनों में गठबंधन के अंदर ही राजनीतिक दलों में आपसी मतभेद उभरने लगे थे। फिर भी उस दौरान किसी तरह से वे एकजुट रहे, लेकिन अब असली चुनौती पांच दिनों के सत्र में है। उधर, सियासी हलकों में चर्चा गर्म है कि संसद के इस पांच दिनों के सत्र के बाद शायद इस बार का शीतकालीन सत्र आयोजित ही न हो। इसके पीछे तर्क है कि तब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सिर पर होंगे और कांग्रेस, BJP सहित कई राजनीतिक दल उसमें व्यस्त होंगे।