शरद पवार ने तब की थी कांग्रेस के खिलाफ बगावत, धराशायी हो गई थी वसंत दादा पाटिल की सरकार

नई दिल्‍ली: इतिहास खुद को दोहराता है। रविवार को महाराष्‍ट्र की पॉलिटिक्‍स में यह बात सच साबित होती दिखाई दी। सत्‍ता की चाहत बहुत बेरहम होती है। इसमें रिश्‍ते बौने पड़ जाते हैं। भतीजे अजित पवार के हाथों राजनीति के दंगल में चित हुए शरद पवार से बेहतर भला इसके बारे में कौन जानता होगा। रविवार को शरद पवार के साथ जो हुआ उसने उन्‍हें 1978 की याद जरूर दिलाई होगी। शायद यही वजह है कि उन्‍होंने कहा कि बगावत उनके लिए नई चीज नहीं है। वह पार्टी को दोबारा खड़ा कर देंगे। रविवार को बगावत का बिगुल बजाने वाले उनके भतीजे अजित पवार थे। लेकिन, तब शरद पवार ने बड़ा उलटफेर किया था। रविवार को पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र में 1978 में वसंत दादा पाटिल सरकार के खिलाफ शरद पवार की बगावत की याद ताजा कर दी।महाराष्ट्र में रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार समेत कुछ नेता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत सरकार में शामिल हो गए। इस कदम ने 1978 की याद दिला दी। वह भी आज ही की तरह बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम था। तब शरद पवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंत दादा पाटिल की सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था। शरद पवार लगभग 45 साल पहले कांग्रेस से बगावत करते हुए 40 विधायकों को लेकर अलग हो गए थे। इसके चलते पाटिल नीत तत्कालीन सरकार गिर गई थी।महाराष्ट्र: चिंता मत करो, उद्धव ठाकरे की मदद से हम फिर खड़े होंगे, शरद पवार से बात कर बोले संजय राउतशरद पवार बन बैठे थे सीएमपवार ने 18 जुलाई 1978 को प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इसमें कई विपक्षी दल शामिल थे। वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश जोशी ने बताया कि 1978 में विधानमंडल सत्र चल रहा था। तत्कालीन गृह मंत्री नासिक राव तिरपुडे ने मुख्यमंत्री पाटिल को उद्योग मंत्री पवार से उनकी सरकार को खतरे के बारे में चेतावनी दी थी।जोशी ने याद किया, ‘वसंतदादा ने (तिरपुडे को) जवाब दिया कि शरद अभी मुझसे मिले थे। उसी दिन बाद में वसंतदादा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।’’धुलाई मशीन’ ने काम शुरू कर दिया है… शरद पवार को समर्थन जता बीजेपी पर भड़की कांग्रेसरविवार को घूम गया चक्रमहाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े नाटकीय घटनाक्रम के तहत रविवार को राकांपा नेता अजित पवार पार्टी में विभाजन की स्थिति पैदा कर दी। वह राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए। इस कदम ने उनके चाचा शरद पवार को चौंका दिया। उन्‍होंने 24 साल पहले पार्टी की स्थापना की थी। दक्षिण मुंबई के राजभवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के आठ नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली।