शरारत, शराफत के बीच सोनिया जी… जब संसद में सुषमा स्वराज ने बताई थी लोकतंत्र की खूबी – sushma swaraj bhashan before 2014 chunav people sharing again

नई दिल्ली: इस बार संसद के मॉनसून सत्र का ज्यादातर समय हंगामे और शोरशराबे के चलते बर्बाद हुआ। नेताओं में नोकझोंक, तीखे हमलों से देश में गलत संदेश गया। ऐसे में कुछ लोगों को सुषमा स्वराज का 2014 में दिया भाषण याद आ रहा है। सोशल मीडिया पर 2 मिनट के शेयर हो रहे वीडियो में सुषमा कहती हैं, ‘मैं बहुत प्यार से कह रही हूं। मेरे भाई कमलनाथ अपनी शरारत से इस सदन को उलझा देते थे और आदरणीय शिंदे जी अपनी शराफत से उसे सुलझा देते थे। इस शरारत और शराफत के बीच बैठी हुईं सोनिया जी की मध्यस्थता, आदरणीय प्रधानमंत्री जी की सौम्यता, आपकी सहनशीलता और आडवाणी जी की न्यायप्रियता के कारण ये सदन चल सका।’ उस दिन लोकसभा में खूब तालियां बजी थीं।सुषमा ने आगे कहा था, ‘आज के दिन मैं अपने पूर्व नेता सदन को भी याद करना चाहूंगी आदरणीय प्रणब मुखर्जी को, लोकतांत्रिक संस्थाओं में जिनकी आस्था ने भी इस सदन को चलाने में बहुत कारगर भूमिका निभाई। ये इसलिए हुआ क्योंकि भारतीय लोकतंत्र के मूल में एक भाव है। और वो भाव क्या है? वो भाव ये है कि हम एक दूसरे के विरोधी हैं मगर शत्रु नहीं है।’भाजपा की दिवंगत नेता ने तब कहा था कि हम विरोध करते हैं विचारधारा के आधार पर। हम विरोध करते हैं नीतियों के आधार पर। हम विरोध करते हैं कार्यक्रमों के आधार पर… लेकिन प्रखर से प्रखर आलोचना भी भारतीय लोकतंत्र में एक दूसरे के व्यक्तिगत संबंधों में आड़े नहीं आती।उन्होंने कहा था, ‘भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष के रूप में आडवाणी जी से मैं मार्गदर्शन लेने जाती थी। वह हमेशा मुझे एक ही निर्देश देते थे सदन की गरिमा के अनुरूप ही आचरण करना है। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हमेशा उन्होंने मुझे सुझाव दिया और मैं इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहूंगी कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में जो भूमिका मैं निभा सकी, वह आदरणीय आडवाणी जी के आशीर्वाद के कारण ही पाई हूं।’सुषमा ने आम चुनाव 2014 से ठीक पहले लोकसभा में यह भाषण दिया था। 6 अगस्त को सुषमा स्वराज की पुण्यतिथि थी। उनके मशहूर भाषण अक्सर शेयर होने लगते हैं।