नई दिल्ली: राजनीति का वह दौर अलग था। विचारों में मतभेद जरूर होते थे। लेकिन, यह आपसी मनमुटाव तक नहीं पहुंचते थे। कट्टर विरोधी होने के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी का देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पंसद करते थे। अटल भी नेहरू को उतना ही सम्मान देते थे। यही परंपरा आगे भी जारी रही जब इंदिरा गांधी के हाथों में देश की कमान आई। इंदिरा कई बड़े मसलों पर अटल से राय-मशविरा लेने से कतई कतराती नहीं थीं। यह तस्वीर उसी की बानगी है। यह जनसंघ के दिनों की है। तब शिमला समझौते को लेकर जनसंघ तीखा विरोध कर रहा था। अटल बिहारी वाजपेयी उन दिनों जनसंघ के सबसे कद्दावर नेताओं में शुमार थे। इंदिरा ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था। बंद कमरे के बजाय इंदिरा ने बाहर जाकर उनसे अकेले में बात करने का फैसला किया। अचानक बारिश शुरू हो गई। इंदिरा ने तब अटल के सिर पर अपना छाता रखा था। यह पूरा किस्सा बेहद दिलचस्प है।तस्वीर में क्या दिखता है?ऑर्गनाइजर के पूर्व संपादक और जाने-माने लेखक शेषाद्रि चारी इस पूरे किस्से के बारे में एक टीवी चैनल से जिक्र किया था। शेषाद्रि को इस तस्वीर की कहानी अटल जी ने ही बताई थी। तस्वीर में अटल बिहारी वाजपेयी इंदिरा को कुछ समझाते हुए दिखते हैं। इंदिरा गांधी ने इस दौरान छाता पकड़ा हुआ है।संसद के भीतर जब दिल्ली के संग्राम में अटल और नेहरू बन गए ढाल, शाह और ओवैसी के बयानों से समझिएतस्वीर की आगे की कहानीयह तस्वीर शिमला समझौते के बाद की है। जनसंघ इसकी कड़ा विरोध कर रहा था। इंदिरा गांधी ने इसे लेकर बातचीत के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को आमंत्रित किया था। वह इस पर बात करना चाहती थीं। शिमला समझौते पर विरोध होने के बावजूद अटल इंदिरा के अनुरोध को टाल नहीं पाए। तब वह प्रधानमंत्री थीं। अटल उस कुर्सी की गरिमा को अच्छी तरह से जानते और समझते थे।’नेहरू ने मेरा यह लहजा…,’ उस दिन ऐसा क्या हुआ कि अटल बिहारी सोनिया गांधी पर गुस्से से लाल हो गए थेअटल जब इंदिरा से मिलने पहुंचे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री ने फैसला किया कि वे कमरे में बैठकर बात नहीं करेंगे। कमरे से बाहर आते हुए अचानक बूंदाबांदी शुरू हो गई। फौरन इंदिरा के लिए छाता लाया गया। आखिर वह प्रधानमंत्री थीं। उन्होंने छाता अपने हाथ में पकड़ लिया। फिर अटल को भीगता देख इंदिरा ने वही छाता उनके सिर के ऊपर रख दिया।