संख्या बल तो है नहीं फिर क्यों विपक्ष ला रहा अविश्वास प्रस्ताव? समझिए इसके पांच अहम संदेश – five important messages from the no confidence motion

1-कितना एकजुट इंडिया?अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यह देखना अहम रहेगा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ कितनी तालमेल और समन्वय के साथ मोदी सरकार पर हमला बोलता है। गौरतलब है कि विपक्षी एकजुटता की कवायद और इंडिया के अस्तित्व में आने के बाद से ही लगातार उनमें मतभेदों और दरारों की खबरें आती रही हैं। ये खबरें शरद पवार को लेकर हों, या फिर नीतीश कुमार और ममता बनर्जी को लेकर अथवा कांग्रेस और आप के बीच आपसी रस्साकशी से जुड़ी, इन सबके जरिए यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि इंडिया बन तो गया, लेकिन एकता की कमी है। ऐसे में अगर प्रस्ताव पर सदन में तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर एक सुर में सरकार को घेरते हैं और मणिपुर पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं तो यह कहीं ना कहीं विपक्षी दलों की मजबूत एकजुटता की तस्वीर होगी।2- विपक्ष मणिपुर पर फोकस रखेगा या नौ सालों पर?चूंकि विपक्ष मणिपुर पर अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है तो जाहिर है कि उसका फोकस मणिपुर पर ही रहेगा। दरअसल, बीजेपी और पीएम मोदी हर चुनाव में डबल इंजन सरकार की बात करते हैं। ऐसे में मणिपुर की घटना डबल इंजन सरकार के लिए एक कमजोर कड़ी की तरह है, जिसे विपक्ष उसी रूप में उठाने की कोशिश करेगा। इसके अलावा, विपक्ष हाल ही में हरियाणा में हुई हिंसा, महंगाई, मणिपुर पर सरकार को जुडिशरी से झटका, लोकतांत्रिक संस्थाओं पर तथाकथित हमले का आरोप, एजेंसियों का कथित राजनीतिक इस्तेमाल और नौ साल के कामकाज पर भी घेरने की कोशिश करेगा। हालांकि इसमें खतरा है कि अगर विपक्ष मणिपुर की बजाय दूसरे मुद्दों पर ज्यादा जोर देता है तो यह कहीं ना कहीं पीएम मोदी के लिए सुविधाजनक साबित होगा। तब प्रधानमंत्री मणिपुर की बजाय तमाम चीजों पर विस्तार से जवाब देंगे।3-पीएम मोदी इस मौके का उपयोग कैसे करेंगे?आने वाले आम चुनावों के मद्देनजर पीएम मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर अपने जवाब के जरिए देश में लोगों के बीच एक ट्रेंड सेट करने की कोशिश करेंगे, जिसमें वह दिखाना चाहेंगे कि देश की प्रगति के लिए काम कर रही और लगातार उपलब्धियां हासिल कर रही सरकार को विपक्ष अपनी नकारात्मक राजनीति से किस तरह नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है। अपने हालिया ‘मन की बात’ में उन्होंने इसका जिक्र भी किया। इसके अलावा, विपक्ष द्वारा कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाए जाने पर पीएम की कोशिश रहेगी कि वह ज्यादा से ज्यादा गैर बीजेपी शासित राज्यों की कानून व्यवस्था की कमियों और वहां की सरकारों के कामकाज के तरीके पर हमला बोलें। जहां एक ओर वह अपने नौ सालों के शासन की उपलब्धियों को सामने रखने की कोशिश करेंगे, वहीं विपक्षी सरकारों पर इस बात के लिए भी निशाना साधेंगे कि कैसे केंद्र सरकार की योजनाओं को वे अपने राज्यों में जमीन पर पहुंचने से रोक रहे हैं। पीएम अपने जवाब में विपक्ष पर ज्यादा से ज्यादा हमला करेंगे, ताकि वह विपक्षी आरोपों और अपने खिलाफ विपक्ष के अजेंडों का धारदार और सिलसिलेवार जवाब देकर जनता के बीच संदेश दे सकें कि विपक्ष के दावों में दम नहीं और उनकी सरकार बेहतर कर रही है।4-ग्रेटर एनडीए का ट्रेलरअविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जहां सदन में विपक्षी एकता की कसौटी तय होगी, वहीं दूसरी ओर ग्रेटर एनडीए का ट्रेलर भी दिखेगा। चर्चा के दौरान देखना होगा कि तमाम घटक दल कितनी मजबूती के साथ सरकार के साथ खड़े नजर आते हैं। इनमें अकाली दल, वाईएसआर कांग्रेस, बीजेपी और टीडीपी जैसे दलों के समर्थन से एनडीए का पलड़ा मजबूत दिखाई देगा। हालांकि एनडीए में कई ऐसे दल भी शामिल हैं, जिनका एक भी सदस्य सदन में मौजूद नहीं है। लेकिन शिवसेना और एनसीपी जैसे दलों में हुई दो फाड़ से एनडीए में आए नेताओं के जरिए बीजेपी अपने खेमे को मजबूत और एकजुट दिखाने की कोशिश करेगी।5-2024 के लिए संकेतमणिपुर पर अविश्वास प्रस्ताव के जरिए लोकसभा में विपक्ष और सरकार की जोर आजमाइश में कहीं ना कहीं 2024 के लिए भी संकेत निकलते नजर आएंगे। माना जा रहा है कि जिस तरह 2018 में अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समय पीएम मोदी ने 2023 में अपनी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की भविष्यवाणी की थी, वैसे ही इस बार वह कोई दांव खेलकर देश को फिर से अपनी सरकार की वापसी का संदेश देने की कोशिश करेंगे। वह बताने की कोशिश करेंगे कि किस तरह समूचा विपक्ष मिलकर उन्हें घेर रहा है, और वह अकेले ही इन सबसे मोर्चा ले रहे हैं।2018 में हुआ था राहुल-बनाम मोदी2018 में आए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान चर्चा में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी भाग लिया था, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी पर रफाल मामले को लेकर जमकर हमला बोला था। राहुल ने पीएम मोदी के देश का चौकीदार होने के दावे को खारिज करते हुए उन्हें रफाल सौदे में भागीदार बता दिया था। अपने जवाब में पीएम मोदी ने जमकर कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस सरकार में हुए भ्रष्टाचारों का जिक्र करते हुए नेहरू-गांधी परिवार को ठेकेदार और सौदागर बताया था। अपने भाषण में राहुल ने जिक्र किया था कि उनके मन में किसी के प्रति द्वेष नहीं है और इसे दिखाने के लिए वह अपनी सीट से उठकर पीएम मोदी की सीट पर गए। उन्होंने न सिर्फ पीएम मोदी से हाथ मिलाया, बल्कि उनके गले भी मिले। पीएम से गले मिलने के बाद जब वह अपनी सीट पर पहुंचे तो उनके आंख झपकाने का वीडियो कुछ इस तरह से वायरल हुआ कि जब पीएम ने अपना जवाब दिया तो इसमें राहुल गांधी के आंख झपकाने लेकर भी तीखा हमला बोला था।