सत्‍ता पक्ष भारी पड़ा या विपक्ष? अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के पहले दिन का स्कोर कार्ड देख‍िए – no confidence motion debate in lok sabha day 1 highlights avishwas prastav bahas mein kya hua

यशवंत देशमुख, सोशल एक्‍सपर्टबहस की सबसे खास बातआज की डिबेट में विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई और सुप्रिया सुले ने अपनी बात बहुत अच्छे तरह से रखी। सत्ता पक्ष की ओर से उम्मीद के मुताबिक काफी तीखी चीजें बोली गई। हालांकि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर काफी हो- हल्ला देखने को मिला। कुछ व्यक्तिगत टिप्पणी की गई, जिससे बचा जा सकता था। बीजेपी सांसद ने चुनावी तरीके से बयान दिया है, यह चुनावी राजनीति के हिसाब से बेशक अहम हो लेकिन सदन में चर्चा के लिहाज से ठीक नहीं है।विपक्ष का सबसे कमजोर और सबसे मजबूत पक्षविपक्ष का सबसे मजबूत पक्ष उसके वक्ता रहे, जो ज्यादा संयमित और प्रमुखता से बोले। विपक्ष ने जिन वक्ताओं का चयन किया, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभाई है। चाहे गौरव गोगोई हो या कोई सुप्रिया सुले, सभी ने अपनी बात अच्छी तरह से रखी। मणिपुर मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया गया। सुप्रिया सुले का बयान अहम रहा कि क्या विपक्ष कोई काम नहीं करता या हम जीतकर नहीं आए है? विपक्ष के साथ इस तरह का बर्ताव क्यों किया जाता है? महत्वपूर्ण बात यह रही कि कई विपक्ष के सदस्यों ने स्थानीय भाषा हिंदी न होते हुए भी हिंदी में भाषण दिया। जहां तक कमजोर पक्ष की बात है तो विपक्ष के पास नंबर नहीं है। अभी पहले दिन डिबेट में वो धार कम नजर आई है।सरकार का सबसे मजबूत और सबसे कमजोर पक्षसरकार का सबसे मजबूत पक्ष तो प्रधानमंत्री का अजेंडा रहा है। पीएम मोदी के अजेंडे में नॉर्थ ईस्ट प्राथमिकता में रहा है। उन्होंने नॉर्थ ईस्ट को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए काफी काम किया है। जब सत्ता पक्ष के पास पीएम की छवि है, लोगों का विश्वास उस चीज को सुनने में है। बेशक पीएम ने मणिपुर की घटना पर तुरंत कुछ नहीं बोला था और वे मणिपुर नहीं गए हैं लेकिन अभी भी विपक्ष उनको इस मुद्दे पर पूरी तरह से घेर नहीं पा रहा है। सत्ता पक्ष का कमजोर पक्ष उनके वक्ताओं के बोलचाल का तरीका है। बीजेपी के पुराने वक्ताओं को देखें तो मुरली मनोहर जोशी. अरूण जेटली, सुषमा स्वराज, प्रमोद महाजन, जसवंत सिंह जोशी से तुलना करेंगे तो अंतर समझ आएंगे. ये जिस तरीके से बात करते थे, वह तरीका अब नजर नहीं आता है।बहस में एक्स फैक्टर क्या रहा और किसे कितने अंक पक्ष व विपक्षसत्ता पक्ष व विपक्ष को दोनों को 10 में से 5-5 नंबर देना चाहूंगा। बहस का वह स्तर नहीं दिखा कि बहुत जबर्दस्त बहस हुई है। एक्स फैक्टर की गैरहाजिरी दिखी। आज राहुल गांधी होते तो एक्स फैक्टर होता। अभी क्वार्टर फाइनल व सेमीफाइनल चल रहा है लेकिन गुरुवार को जब पीएम व राहुल गांधी बोलेंगे तो एक्स फैक्टर होंगे।स्पीकर ऑफ द डेदोनों साइड से कोई एक- एक पिक करना होगा। सबसे अच्छी विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई की बात अच्छी लगी। सत्ता पक्ष की ओर से लगता है कि गृह मंत्री अमित शाह सबसे आक्रामक तरीके से बोल रहे हैं। गृह मंत्री ने जिस तरीके से दिल्ली बिल से लेकर मणिपुर वाले मुद्दे पर उन्होंने जिस आक्रामक तरीके से फ्रंटफुट पर बैटिंग की है, वह रूचिकर है। काबिलेतारीफ है। बीजेपी पर अटैक हो रहा है तो अमित शाह ने खुद आगे आकर जवाब दिया है।