नई दिल्ली: देश में मॉनसून का सफर लगभग दो तिहाई पूरा हो गया है लेकिन आम लोग ही नहीं मौसम वैज्ञानिक भी हैरान हैं कि इस बार आखिर हुआ क्या? हिमाचल, उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों से भारी बारिश की खबरें आती हैं तो वहीं कई राज्यों में औसत से कम बारिश हुई है। लोग पूरी तरह कन्फ्यूज हैं कि कहां बारिश हो रही और कहां नहीं। कई विशेषज्ञ इसका कारण जलवायु परिवर्तन को बता रहे हैं। जून की शुरुआत में चक्रवात बिपरजॉय के कारण केरल में मॉनसून के आगमन में देरी होने के साथ इसके दक्षिणी भारत और अन्य हिस्सों में आगे बढ़ने की गति भी धीमी रही। मॉनसून के मौसम का करीब दो तिहाई सफर पूरा हो चुका है और संकेत मिले हैं कि इस बार 8 साल की सबसे कम बारिश होगी। अगस्त का महीना जो अब समाप्त होने वाला है और इस महीने में पूरे देश में 50% तक बारिश कम हुई है।मॉनसून पर शुरुआत में काफी हद तक चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का असर देखने को मिला। मौसम विज्ञानियों की मानें तो शुरुआत में चक्रवात की तीव्रता तेजी से बढ़ी और अरब सागर के असामान्य रूप से गर्म होने के कारण इसकी तीव्रता बरकरार रही। वे इस बात पर जोर देते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती तूफान तेजी से तीव्र हो रहे हैं और लंबे समय तक अपनी क्षमता बरकरार रख रहे हैं। जून और जुलाई के महीने में बारिश के कुछ ऐसे आंकड़ें आए जिससे हैरानी हुई।- 21 जून 1961 के बाद पहली बार 25 जून को दिल्ली और मुंबई, दोनों महानगरों को एक साथ मॉनसून की दस्तक- जून में देशभर के 377 जगहों बहुत भारी (115.6 मिमी से 204.5 मिमी) दर्ज हुई- यह आंकड़ा पिछले 5 वर्षों में सबसे अधिक है- जुलाई में भारी बारिश की संख्या में वृद्धि, 1,113 जगहों पर भारी बारिशअगस्त में इतनी कम बारिश कभी नहीं हुईबात की जाए अगस्त के महीने की तो अगस्त महीने में ही देश में 50% तक बारिश कम हुई और सितंबर में भी ऐसे ही हालात बन रहे हैं। सितंबर में भी ऐसा हुआ तो साल 2015 के बाद यह सबसे कम बारिश होगी। मौसम विज्ञानियों ने बताया कि इसके पीछे मौसमी वजह अल नीनो है, जिसके कारण अगस्त के बाद सितंबर में भी कम बारिश की आशंका जताई गई है। जब से मौसम विभाग ने रेकॉर्ड रखना शुरू किया, (123 वर्षों से) तब से अगस्त में इतनी कम बारिश कभी नहीं हुई। इस साल का अगस्त इतिहास का दूसरा सबसे ड्राई अगस्त बनने की राह पर है।दिल्ली में भीषण गर्मी का दिख रहा असर, मुंबई में भी बारिश कमराजधानी दिल्ली में गर्मी का असर दिखाई पड़ रहा है। पारा भले ही 40 के नीचे है लेकिन लोगों को मई-जून जैसी गर्मी का अहसास हो रहा है। स्काईमेट के अनुसार 2002 के बाद से मॉनसून के दौरान यह राजधानी का सबसे लंबा ड्राई स्पैल हो सकता है। जून जुलाई में अच्छी बारिश हुई लेकिन अगस्त में बारिश कम हुई है। अभी मॉनसून की जो बारिश सामान्य से 8 प्रतिशत अधिक बनी हुई है उसके आगे कम होने की आशंका है। मुंबई में अच्छी बारिश होने के आसार बहुत कम हैं। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, मुंबई में मॉनसून के जोर पकड़ने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि बारिश देने के लिए कोई सिस्टम ही तैयार नहीं हो रहा है।देश में मॉनसून की क्या है स्थितिपूरे देश में मॉनसून की स्थिति की बात की जाए तो पूरा सीजन ही इस बार बदला-बदला सा है। 1970 के बाद दिल्ली में बाढ़ आई तो उत्तराखंड और हिमाचल का हाल सभी देख रहे हैं। हिमाचल, गुजरात और राजस्था की बात की जाए तो यहां सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। लद्दाख में 181 प्रतिशत, हिमाचल में 38 प्रतिशत, गुजरात में 20 तो राजस्थान में 18 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है। वहीं बिहार, झारखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, केरल इन राज्यों में कम बारिश दर्ज की गई है। केरल में 47 तो बिहार में 25 फीसदी तो यूपी में 13 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।