अमित आनंद चौधरी, नई दिल्ली: ‘सभी चोरों का नाम मोदी क्यों है?’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके इस बयान पर मिली दो वर्ष जेल की सजा पर रोक लग गई। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि गुजरात की निचली अदालत ने अपने आदेश में यह नहीं बताया कि आखिर मानहानि के इस केस में अधिकतम सजा क्यों दी गई और हाई कोर्ट भी निचली अदालत के फैसले को जायज ठहराते हुए इस मुद्दे पर चुप ही रहा। एक तरफ राहुल गांधी को मिली राहत और दूसरी तरफ गुजरात की निचली अदालत और वहां के हाई कोर्ट को लगी लताड़ से कांग्रेस पार्टी में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है जो चर्चा में नहीं आ पाया और वो है- सुप्रीम कोर्ट की ही एक टिप्पणी या कह लें राहुल गांधी को दी गई सलाह। देश जिस सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी को मानहानि केस में राहत दी है, उसी ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने जो कहा, वो गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को यह भी याद दिलाई कि वो एक पब्लिक फीगर हैं, ऐसे में इस तरह की बातें करना सही नहीं है।कोई संदेह नहीं राहुल गांधी ने जो कहा, नहीं कहना चाहिए था: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) का कथित बयान अच्छा नहीं है। सार्वजनिक जीवन में एक व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय कुछ हद तक संयम बरतने की अपेक्षा की जाती है… याचिकाकर्ता को सार्वजनिक भाषण देते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी।’ हालांकि, उसने यह भी स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं कर रहा है।Supreme Court On Rahul Gandhi: लोअर कोर्ट ने राहुल गांधी को अधिकतम सजा क्यों दी? जानिए राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहागुजरात से आए फैसलों पर रोकदरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक तो लगा ही दी, उसने यह भी कह दिया कि गुजरात की निचली अदालत ने बिना कोई कारण बताए मानहानि के लिए अधिकतम सजा सुनाकर गलत किया। फिर गुजरात हाई कोर्ट ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया, जिसने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी। इसने कहा कि निचली अदालत ने इस एंगल पर गौर तक नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के आदेश ने न केवल एक व्यक्ति (राहुल गांधी) के अधिकार को प्रभावित किया, बल्कि वायनाड के पूरे जनसमुदाय के अधिकारों को भी प्रभावित किया क्योंकि संसद में उनका प्रतिनिधित्व खत्म हो गया।राहुल गांधी से टला बड़ा संकटदो साल की सजा के लिए राहुल को आठ साल के लिए चुनावी क्षेत्र से प्रतिबंधित किया जाना पड़ता। दरअसल, लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (3) में कहा गया है कि ‘ऐसे दोषी व्यक्ति को इस तरह की सजा की तारीख से चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराया जाएगा और दो साल की सजा पूरी हो जाने के बाद अलग से छह साल की और अवधि के लिए वह अयोग्य ही रहेगा।’ पीठ ने कहा, “हमारा विचार है कि अधिनियम की धारा 8 की उपधारा (3) का प्रभाव व्यापक है। वह न केवल याचिकाकर्ता के सार्वजनिक जीवन में बने रहने के अधिकार को प्रभावित करता है, बल्कि मतदाताओं के अधिकारों को भी प्रभावित करता है, जिन्होंने उसे अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना है… उपरोक्त पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और विशेष रूप से यह कि निचली अदालत के जज ने मामले में अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया, वर्तमान अपील की सुनवाई लंबित रहने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की आवश्यकता है।’ सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर दलील दी कि ऐसा नहीं करने पर मानहानि केस में अधिकतम सजा दिए जाने के कारण धारा 8 (3) के तहत अयोग्यता का प्रावधान लागू हो जाता है, इसलिए इसका सिर्फ राहुल गांधी नहीं, उनके निर्वाचन क्षेत्र की जनता पर भी व्यापक असर पड़ेगा।Rahul Gandhi Latest News: वो वकील जिसने राहुल गांधी को दिलाई थी सजा, जानिए क्या है उसका कानूनी प्लानराहुल को राहत, अदालतों को फटकारसुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए गुजरात के ट्रायल जज की खिंचाई भी की। उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘विशेष रूप से, जब कोई अपराध गैर-संज्ञेय (Non-congisable), जमानती (Bailable) और शमनीय (Compoundable) होता है, तो निचली अदालत के जजे से कम-से-कम कुछ कारण बताने की अपेक्षा की जाती है कि मौजूदा तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर उन्हें अधिकतम दो साल की सजा देना क्यों आवश्यक लगा। हालांकि अपीलीय अदालत (Trail Court) और उच्च न्यायालय (High Court) ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका खारिज करते हुए अपने-अपने आदेश में कई पन्ने रंग दिए, लेकिन उनके आदेशों में इन पहलुओं को छुआ भी नहीं गया है।’ निचली अदालत द्वारा पारित और मामले में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे गए आदेशों पर कटाक्ष करते हुए पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट से आने वाले कुछ निर्णय बड़े दिलचस्प हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ‘इसके बारे में जितना कम कहा जाए, उतना ही बेहतर है।’संसद में राहुल गांधी की वापसी का रास्ता साफ, चुनाव भी लड़ेंगे… ‘सुप्रीम’ फैसले का कांग्रेस नेता के लिए मतलब समझिएसिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अपराधी नहीं हैं राहुल गांधीराहुल गांधी की तरफ से दलीलें दे रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना बिल्कुल उपयुक्त है क्योंकि राहुल को आठ साल तक (चुनाव लड़ने से रोक के जरिए) चुप नहीं कराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी की इस दलील पर सहमति जताई। सिंघवी ने आगे कहा कि राहुल के बयान का उद्देश्य किसी भी समुदाय को बदनाम करना नहीं था और इसमें नैतिक गिरावट जैसा मामला भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह इतिहास का पहला मामला था जहां जमानती, गैर-संज्ञेय और शमनीय अपराध में अधिकतम सजा सुनाई गई है। सिंघवी ने निचली अदालत के इस सोच का विरोध किया कि राहुल की पृष्ठभूमि आपराधिक है। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में जोर देकर कहा कि राहुल गंधी अपराधी नहीं हैं और उन्हें कभी भी किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है।राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, अब क्या करेंगे पूर्णेश मोदी? इस केस अभी क्या बचा है, जानेंराहुल की याचिका के विरोध में यह दलीलउधर, राहुल गांधी के खिलाफ शिकायतकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि राहुल को अवमाननापूर्ण टिप्पणी (राफेल मामला) करने के लिए शीर्ष अदालत ने ही फटकार लगाई थी और मोदी समुदाय के खिलाफ उनकी टिप्पणी भी उसी वर्ष (2029) की गई थी।