हक की बात: चार्जशीट लीक होगी तो आरोपी ही नहीं, पीड़ित के अधिकारों का भी होगा उल्लंघन… सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात – rights are not affected so charge sheet cannot be made public why did the supreme court say this

नई दिल्ली: अगर आप किसी आपराधिक मामले में पीड़ित या आरोपी हैं तो सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी आपके लिए काफी अहम है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ किया कि पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट (आरोपों की फेहरिस्त) पब्लिक दस्तावेज नहीं है। जांच एजेंसी को यह निर्देश नहीं दिया जा सकता है कि इस दस्तावेज को वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों की जांच के आधार पर को चार्जशीट दायर की जाती है, उसे पब्लिक करने के लिए नहीं कहा जा सकता। शीर्ष अदालत में अर्जी दाखिल कर चार्जशीट को पब्लिक के लिए उपलब्ध कराने की गुहार लगाई गई थी।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिका खारिज कर दी। बेंच ने कहा कि प्रशांत भूषण ने दलील दी है कि FIR अपलोड करने के संबंध में जजमेंट है। यूथ बार असोशिएशन से संबंधित केस में शीर्ष अदालत ने FIR के मामले में फैसला दिया था। शीर्ष अदालत ने भूषण की दलील पर गौर करने के बाद कहा कि FIR मामले में आदेश है लेकिन चार्जशीट मामले में ऐसा निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है।हक की बात : क्या है वसीयत, क्यों है जरूरी, इसके बिना मौत पर संपत्ति का क्या होगा…ये बातें सबको जाननी ही चाहिएपीड़ित के अधिकार भी प्रभावित हो सकते हैंसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूथ बार असोशिएशन के केस में जो आदेश दिया गया था, वह FIR अपलोड के लिए था। उसे चार्जशीट तक नहीं बढ़ाया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार आरोपी निर्दोष होते हैं और कोर्ट से उन्हें कानूनी मदद मिली हुई है, ऐसे में उन्हें प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है। चार्जशीट को पब्लिक के लिए वेबसाइट पर अपलोड करने की जो दलील है वह CrPc स्कीम के उलट है। इससे आरोपी के अधिकार भी प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही विक्टिम के अधिकार भी प्रभावित हो सकते हैं।