2024 के आम चुनाव के लिए सचिन तेंडुलकर को मिली बड़ी जिम्मेदारी, चुनाव आयोग के साथ साइन होगा एमओयू

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले और खेल की दुनिया में राज करने वाले सचिन तेंडुलकर को अब नई जिम्मेदारी मिलने जा रही है। यह जिम्मेदारी उन्हें क्रिकेट से इतर आम चुनाव के लिए मिलेगी। चुनाव आयोग उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए अपना नैशनल आइकन के रूप में साइन करेगा। सचिन 2024 के चुनाव में आम लोगों को ज्यादा से ज्यादा वोट देने के लिए जागरुक करेंगे। बता दें कि सचिन राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे और अरुण गोयल के प्रतिनिधित्व वाले चुनाव आयोग और सचिन तेंदुलकर के बीच आज एक MOU पर हस्ताक्षर किया जाएगा। एमओयू के अनुसार, क्रिकेटर चुनाव आयोग के प्रयासों को बढ़ावा देंगे। सचिन वोटिंग को लेकर मतदाताओं के बीच जागरूकता बढ़ाएंगे। यही नहीं सचिन वोटर्स को एक-एक वोट का मूल्य और महत्व के बारे में भी शिक्षित करेंगे।चुनाव आयोग ने सचिन के जुड़ने पर क्या कहाचुनाव आयोग ने बताया कि यह सहयोग सचिन तेंदुलकर के युवा जनसांख्यिकी के साथ बेजोड़ प्रभाव को भुनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इसकी मदद से आगामी चुनावों में, विशेष रूप से 2024 आम चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है। इस साझेदारी के माध्यम से, चुनाव आयोग (ईसीआई) नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं और शहरी आबादी और चुनावी प्रक्रिया के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करेगा। इस तरह शहरी और युवा उदासीनता के मुद्दों को भी हव करने की कोशिश होगी।सचिन से पहले ये बने थे आइकनचुनाव आयोग विभिन्न क्षेत्रों से प्रसिद्ध भारतीयों के साथ साझेदारी करता है और उन्हें मतदाताओं को चुनाव में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के लिए अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में नामित करता है। पिछले साल, आयोग ने अभिनेता पंकज त्रिपाठी को अपना ‘राष्ट्रीय प्रतीक’ माना था। 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में, पोल पैनल ने पूर्व भारतीय कप्तान एम एस धोनी, बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान और ओलंपिक पदक विजेता मेरी कॉम जैसे दिग्गजों को अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में साइन किया था।अच्छा नहीं रहा है संसद का रेकॉर्डसचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट के मैदान पर कई रिकॉर्ड बनाए हैं, लेकिन 2012 से 2018 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में उनके प्रदर्शन पर कई लोगों ने सवाल उठाए। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सदन में केवल 8% उपस्थिति दर्ज कराई थी। उन्होंने किसी भी संसदीय बहस में भाग नहीं लिया और अपने 6 साल के कार्यकाल में केवल 22 प्रश्न पूछे। हालांकि, उन्होंने अपने एमपीएलएडी फंडों को अच्छी तरह से खर्च किया, जो जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु में बाढ़ राहत से लेकर उत्तराखंड और महाराष्ट्र में स्कूलों के पुनर्निर्माण और मुंबई में सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण तक के कारणों से संबंधित थे। उन्होंने संसदीय आदर्श ग्राम योजना के तहत आंध्र प्रदेश के एक गांव को भी गोद लिया था।