नई दिल्ली: सफलता की खास बात यह है कि वह मेहनत करने वालों पर फिदा हो जाती है। कर्नाटक की शरण्या मुदुंडी इसका उदाहरण हैं। शरण्या मुदुंडी को उनके गायन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। उन्होंने अंग्रेजी ओलंपियाड और मैराथन में भी अच्छा प्रदर्शन किया है और वह कराटे भी जानती हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया #Unstoppable21 जूरी ने विशाखापत्तनम की लड़की को 21 साल से कम उम्र के अदम्य 21 भारतीयों में से एक के रूप में चुना है। आज हम आपको शरण्य मुदुंडी की सफलता की वो कहानी बताएंगे जिसकी आप दाद दिए बगैर नहीं रह सकेंगे।7 साल में ही दिख गया था टैलेंटशरण्या मुदुंडी तब केवल 7 साल की थीं। उनके माता-पिता ने उनकी प्रतिभा को तब ही पहचान लिया था। Vocal Talent को छोटी सी उम्र में ही शरण्या के मां-बाप को पहचान लिया था। विशाखापत्तनम की इस गायिका ने कर्नाटक संगीत की शुरुआत कम दर्शकों के बीच की थी। देखते ही देखते उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंच बना ली। आज, 16 वर्षीय शरण्या एक निपुण गायक हैं।2020 में, उन्होंने भारत के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कारों में से एक प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (कला और संस्कृति) जीता। यह 18 वर्ष से कम आयु के असाधारण प्रतिभाओं को दिया जाता है। उन्होंने इस पुरस्कार को तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से प्राप्त किया था। उन्होंने बाल पुरस्कार समारोह के समापन समारोह में शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों के सामने भी प्रस्तुति दी थी। उनकी सुरीली आवाज ने विभिन्न वैश्विक मंचों पर भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित लिटिल मॉडल अर्थ 2017 में प्रदर्शन और जीतना और बुल्गारिया के सोफिया में लिटिल मिस ग्रांड सी इंटरकांटिनेंटल शामिल हैं।गजब प्रतिभा की धनी है यह लड़की11वीं कक्षा की छात्रा शरण्या एक ऑलराउंडर हैं। उन्होंने कराटे, मैराथन और ओलंपियाड में पदक और प्रशंसा अर्जित की है। वह कराटे में ब्राउन बेल्ट होल्डर हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कराटे चैंपियनशिप में स्वर्ण और रजत पदक भी जीते हैं। बचपन से ही दौड़ने का शौक रखने वाली शरण्या कई मैराथन पूरी कर चुकी हैं। 2016 और 2017 में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी ओलंपियाड में विजेता के रूप में उभरी, और 2015 और 2022 के बीच राष्ट्रीय ओलंपियाड में लगातार स्वर्ण या रजत पदक जीते। इसके अलावा शरण्या गिटार बजाती हैं और पेंटिंग करना भी पसंद हैं। वह लड़कियों के शिक्षा, कैंसर की रोकथाम और पर्यावरण परियोजनाओं जैसे विभिन्न जन उद्देश्यों के लिए मैराथन भी दौड़ती हैं। वह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए एक सद्भावना दूत के रूप में भी काम कर रही हैं।शरण्या के खाते में ये पुरस्कारशरण्या मुदुंडी को कला और संस्कृति (मुखर कर्नाटक संगीत) के क्षेत्र में वैश्विक बाल प्रतिभा (जीसीपी) पुरस्कार-2022 से सम्मानित किया गया था। हजारों आवेदकों में से, शरण्या को जीसीपी के लिए शीर्ष 100 में चुना गया था। दुबई में एक कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार विजेता सर रिचर्ड जे रॉबर्ट्स से भी प्रतिभा की धनी पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं। हमारे सहयोगी TOI से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि 2020 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आवास में आमंत्रित होना उनके जीवन का सबसे रोमांचक क्षण था। शरण्या ने कहा, ‘यह प्रधानमंत्री से मुलाकात एक सपना-सच होने जैसी थी। जब मोदी जी ने मुझे एक किताब और एक व्यक्तिगत घड़ी दी थी उसमें मेरा नाम और उनका हस्ताक्षर भी है। यह देखते ही मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।शरण्या अपने माता-पिता की मदद से अपनी पढ़ाई और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों को संतुलित करती हैं। शरण्या ने कहा कि मेरी माँ मुझे कार्यों को प्राथमिकता देने में मदद करती है और साथ ही अकादमिक रूप से भी मदद करती है। समय प्रबंधन और माता-पिता का समर्थन मेरे सपनों को पूरा करने में मदद करता है। उनके माता-पिता – एम सूर्यनारायण राजू और स्वाति तब और भी ज्यादा खुश हुए जब महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने घोषणा की कि शरण्या राष्ट्र की बेटी बन गई हैं।पिता ने क्या कहा सुनिएशरण्या की उपलब्धियों पर खुश होते हुए उनके पिता एम सूर्यनारायण राजू ने कहा कि हमने केवल उसकी प्राकृतिक प्रतिभा को पोषित किया है। उसकी प्रतिभा के अलावा, उसके करियर के मार्ग में कई कठिनाई आईं लेकिन शरण्या ने उन सबको पार कर लिया। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वह काफी अभयस्त भी हुई हैं। पिता रादू ने कहा कि कर्नाटक संगीत में रागों और कृतियों में महारत हासिल करने के लिए एक निश्चित स्तर की व्यावसायिकता की आवश्यकता होती है। शरण्या ग्रीस के थेसालोनिकी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बाल महोत्सव ऑफ कल्चर एंड आर्ट लिटिल मिस एंड मिस्टर यूनाइटेड वर्ल्ड 2018 जीतने वाली पहली भारतीय लड़की थीं। लिटिल मॉडल अर्थ-2019, एक छह दिवसीय गाला कार्यक्रम है, जो दुनिया भर की प्रतिभाओं को एक मंच पर लाता है। उसी ने शरण्या को अंतर्राष्ट्रीय बाल जूरी पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्हें लंदन के यूथ कनेक्ट ऑर्गनाइजेशन की ओर से 2021 का युवा आइकन घोषित किया गया था। उन्होंने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी जगह बनाई है।मां ने बेटी के लिए छोड़ दी नौकरीशरण्या की मां के त्याग को भी नकारा नहीं जा सकता। उनकी माँ एम स्वाति ने एमबीए किया और बाद में नौकरी कर ली। लेकिन बाद में अपनी बेटी के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। स्वाति ने कहा कि जब उसकी उम्र के बच्चे खिलौने से खेल रहे थे तब शरण्या ने कर्नाटक संगीत की दुनिया में एक अमिट छाप छोड़ना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी शिक्षक लीपिका रेड्डी के तहत एक संरचित संगीत शिक्षा के माहौल में और भी बेहतर प्रदर्शन किया। वह एमबीए करना चाहती है। लेकिन वह अपने संगीतमय सफर को अभी जारी रखने के मूड में हैं।