नई दिल्ली: नासा की पूर्व वैज्ञानिक डॉ. मिला मित्रा ने आगामी सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इस मिशन के नाम में प्रयोग किये गए ‘एल-1’ का मतलब समझाते हुए इसके नाम के पीछे का उद्देश्य बताया। इसी के साथ उन्होंने इस मिशन पर भेजे जा रहे रॉकेट पीएसएलवी की ज़रुरत को बताया और अन्य देशों से इस मिशन की भिन्नता की जानकारी साझा की। इसरो सूर्य के अध्ययन के लिए तैयार भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला ‘आदित्य-एल1’ को 2 सितंबर को दिन में 11:50 पर श्रीहरिकोटा से लॉन्च करेगा। इस अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) और एल1 पॉइंट पर सौर वायु की स्थिति का जायजा लेने के लिए तैयार किया गया है। एल1 पॉइंट पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। इसरो ने बताया कि सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 पॉइंट के चारों ओर की कक्षा में रहकर सूर्य का अध्ययन करना है। यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि आदित्य-एल1 पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी है।Curated by Deepak Verma|TimesXP Hindi|29 Aug 2023TimesXP HindiNewsAdityal1 Mission Isro Solar Exploration Explained By Ex Nasa Scientist Dr Mila Mitra Watch Video