लखनऊ यूपी के चुनाव में अहम हो चुका ब्राह्मण फैक्टर फिलहाल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का भी कवच बना हुआ है। पार्टी नेतृत्व यह तय नहीं कर पा रहा है कि टेनी को मंत्रिपरिषद में बनाए रखने में ज्यादा नुकसान होगा या हटाए जाने पर। यही वजह है कि लखीमपुर कांड में अजय मिश्र टेनी के पुत्र के खिलाफ एसआईटी की रिपोर्ट के कोर्ट में दाखिल हो जाने के बाद विपक्ष के आक्रामक हुए तेवर पर दबाव में आने के बजाय सरकार और बीजेपी नेतृत्व राजनीतिक नफा-नुकसान का आंकलन कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, सरकार और पार्टी नेतृत्व को यूपी से यह फीडबैक भेजा गया है कि अगर अजय मिश्र के साथ मजबूती के साथ खड़ा हुआ जाता है तो पार्टी के पक्ष में ब्राह्मणों की गोलबंदी बढ़ सकती है। यही ‘फीडबैक’ दिल्ली में अजय मिश्र टेनी की ताकत बन गया है। बावजूद इसके कि उनके आचरण को लेकर केंद्रीय नेतृत्व के बीच सख्त नाराजगी है। वैसे प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव से यह भी पूछा गया है कि अगर विपक्ष इस्तीफे की मांग को मुद्दा बनाता है तो अन्य जातियों के बीच उसका क्या असर देखा जा सकता है? दिल्ली को अभी इस जवाब की प्रतीक्षा है।इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जुलाई महीने में उन्हें केंद्रीय मंत्रिपरिषद में अगर जगह मिली थी तो यूपी चुनाव में ब्राह्मणों को गोलबंद करने के इरादे से ही मिली थी। पार्टी नेतृत्व राज्य में विपक्ष द्वारा बनाई जा रही इस धारणा की धार को कुंद करना चाह रहा था कि योगी सरकार में ब्राह्मणों को नजरअंदाज किया जा रहा है। UP Chunav 2022: अजय मिश्रा टेनी के सवाल पर चिढ़ गए केशव प्रसाद मौर्य, देखें वीड‍ियोसरकार के खिलाफ ब्राह्मण समाज की नाराजगी को धार देने की कोशिश इस हद तक है कि माफिया विकास दूबे के एनकाउंटर को भी ‘ब्राह्मण एंगल’ दिया गया। राज्य में बीएसपी अपने चुनाव अभियान की पूरी थीम ही ब्राह्मण पर केंद्रित किए हुए तो समाजवादी पार्टी भी ब्राह्मण सम्मान की बात कर रही है। आम आदमी पार्टी तो खुलकर यूपी सरकार पर ‘ठाकुर परस्त’ होने का आरोप लगा रही है। लखीमपुर मामले में SIT रिपोर्ट के बाद विपक्ष हुआ हमलावर, गृह राज्य मंत्री के इस्तीफे पर अड़ा, हंगामे के बाद लोकसभा की कार्यवाही स्थगितयूपी के तराई इलाके मजबूत ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले अजय मिश्र टेनी को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह देते हुए बीजेपी ने एक तो ब्राह्मणों की गोलबंदी अपने हक में देखी थी और दूसरे तराई इलाके में किसान आंदोलन का भी सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा था, उसे भी बेअसर करने की कोशिश थी। लेकिन अक्टूबर महीने में लखीमपुर में किसानों पर जीप चढ़ा देने की घटना में उनके बेटे का नाम आने के बाद स्थितियों में बदलाव आ गया है और उनका मंत्रीपद लगातार खतरे में बना हुआ है।अजय मिश्र टेनी (फाइल फोटो)