Ajit Pawar,…तो इसलिए मुख्यमंत्री नहीं बन पा रहे हैं अजित पवार, जानिए BJP की वो ‘शर्त’, किसने कही ये बात – maharashtra politics bjp put a condition before ajit pawar for chief minister post

मुंबई: शरद पवार के भतीजे अजित पवार जब से बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सरकार में शामिल हुए हैं। तब से लगातार यह खबर सामने आ रही है कि जल्द ही वे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनेंगे। हालांकि, सरकार में शामिल होकर उन्हें एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। अजित पवार को लेकर महाराष्ट्र की जनता समेत सियासी दलों में भी यह कौतूहल था कि अजित पवार इसके पहले चार बार डिप्टी सीएम रह चुके हैं। फिर पांचवी बार उन्होंने राज्य का उपमुख्यमंत्री बनना क्यों पसंद किया? इसको लेकर एक नई जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजित पवार के सामने यह शर्त रखी है कि अजित पवार तभी मुख्यमंत्री बन सकते हैं। जब एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार भी उनके साथ आएं। इसीलिए अजित पवार उनका समर्थन पाने के लिए लगातार शरद पवार से मिल रहे हैं। राज्य के नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने नागपुर में मीडिया से बात करते हुए यह दावा किया है।साथ ही वड्डेटीवार ने आगे कहा कि ‘अजित पवार ने शरद पवार से मुलाकात की होगी और अपने साथ आने के लिए गुजारिश की होगी। लेकिन हम तीनों पार्टियां (महाविकास अघाड़ी) एक साथ हैं। वडेट्टीवार ने कहा कि शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात को लेकर थोड़ी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। लेकिन आज बीड में शरद पवार के भाषण से लोगों का वह भ्रम भी दूर हो जाएगा।विजय वड्डेटीवार ने और क्या कहा?अजित पवार पर निशाना साधते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि यह सत्ता के लिए उठापटक है। जहां विचार और विकास को तिलांजलि दे दी गई है। वडेट्टीवार ने यह भी कहा है कि ऐसा देखा गया है कि यहां केवल कुर्सी ही महत्वपूर्ण है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि शरद पवार की भूमिका बदलेगी। उन्होंने पहले ही अपनी भूमिका साफ़ कर दी है। विजय वड्डेटीवार ने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि शरद पवार अब इंडिया की बैठक में भी अपनी भूमिका स्पष्ट करेंगे। हमें विश्वास है कि शरद पवार अपनी भूमिका नहीं बदलेंगे।अजित गुट का पलटवारहालांकि, विजय वडेट्टीवार के इस दावे को अजित पवार के गुट ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। अजीत गुट के प्रवक्ता उमेश पाटिल ने कहा कि विजय वडेट्टीवार का बयान बचकाना है। प्रधानमंत्री मोदी ने अजित पवार के सामने कोई शर्त नहीं रखी है। बीजेपी को लगा कि लोकसभा चुनाव जीतने के लिए अजित पवार जैसा जन नेता उनके साथ होना चाहिए। अजित पवार को बीजेपी ने इस उम्मीद से अपने साथ जोड़ा है कि राज्य के विकास में तेजी आएगी। शरद पवार और अजित पवार की कई बार मुलाकात हो चुकी है। कभी-कभी आपको सार्वजनिक जीवन में एक अलग भूमिका निभानी पड़ती है।इसका मतलब यह नहीं है कि व्यक्तिगत रिश्ते टूट गए हैं। शरद पवार और अजित पवार को एक-दूसरे के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार क्यों करना चाहिए, सिर्फ इसलिए कि उनके राजनीतिक विचार अलग-अलग हैं? ये पवार साहब के संस्कार नहीं हैं। उमेश पाटिल ने सवाल उठाया कि क्या शरद पवार और अजित पवार को एक-दूसरे के खिलाफ तलवार उठानी चाहिए क्योंकि उन्होंने राजनीति में अलग-अलग रुख अपनाया है।