Army Officer Implicated In False String By Tehelka,’फर्जी स्टिंग’ से लगा था कलंक, अब बेदाग आर्मी अफसर को 2 करोड़ का हर्जाना देंगे तहलका-तरुण तेजपाल – tehlaka founder taun tejpal ordered to pay rs 2 crore as damages for defaming army officer

नई दिल्ली : करीब 22 साल पहले रक्षा सौदों में कथित भ्रष्टाचार को लेकर एक न्यूज पोर्टल के कथित स्टिंग ऑपरेशन ने तहलका मचा दिया था। ‘ऑपरेशन वेस्ट एंड’ नाम के इस स्टिंग ऑपरेशन में आर्मी के एक मेजर जनरल को दिखाया गया कि उन्होंने एक डिफेंस डील के एवज में अंडरकवर जर्नलिस्ट से 10 लाख रुपये और ब्लू लेबल व्हिस्की की एक बोतल की मांग की थी। अंडरकवर जर्नलिस्ट खुद को डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर बताकर उनसे मिला था। तहलका डॉट कॉम के इस कथित स्टिंग ऑपरेशन ने तहलका मचा दिया था। स्टिंग से अपनी प्रतिष्ठा धूमिल होने और दाग लगने पर आर्मी अफसर ने ‘तहलका’, उसके संस्थापक और संबंधित पत्रकारों पर मानहानि का केस दर्ज कराया। अब 22 साल बाद दिल्ली हाई कोर्ट में मेजर जनरल की बड़ी जीत हुई है।दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूज पोर्टल तहलका डॉट कॉम, उसकी मालिक कंपनी मेसर्स बफेलो कम्युनिकेशंस, उसके संस्थापक तरुण तेजपाल और दो पत्रकारों- अनिरुद्ध बहल और मैथ्यू सैमुअल को आदेश दिया है कि वे ईमानदार आर्मी अफसर की प्रतिष्ठा धूमिल करने को लेकर उन्हें 2 करोड़ रुपये का मुआवजा दें। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने मेजर जनरल एम. एस. अहलूवालिया की तरफ से दायर मानहानि केस में शुक्रवार को फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कहा कि किसी ईमानदार सैन्य अधिकारी की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचाने का इससे बड़ा मामला नहीं हो सकता और प्रकाशन के 23 वर्षों के बाद माफी मांगना ‘न सिर्फ अपर्याप्त बल्कि बेतुका भी है।’ न्यूज पोर्टल ने कथित ‘खुलासा’ 2001 में किया था।’खोया धन तो फिर कमाया जा सकता है लेकिन प्रतिष्ठा पर दाग…’हाई कोर्ट ने कहा कि वादी की न केवल जनता की नजरों में प्रतिष्ठा धूमिल हुई बल्कि उनका चरित्र भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से खराब हुआ, जिसे बाद में किसी खंडन या निवारण से बहाल या ठीक नहीं किया जा सकता। फैसले में कहा गया है, ‘अब्राहम लिंकन ने भी उद्धृत किया है कि सच्चाई को बदनामी के खिलाफ सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। फिर भी, सत्य में उस प्रतिष्ठा को बहाल करने की क्षमता नहीं होती है जो व्यक्ति समाज की नजरों में खो देता है…। यह निराशाजनक वास्तविकता है कि खोया हुआ धन हमेशा वापस अर्जित किया जा सकता है; लेकिन किसी की प्रतिष्ठा पर एक बार जो दाग लग जाता है, वह नुकसान के अलावा कुछ नहीं देता …।’48 पेज के फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि एक ईमानदार आर्मी अफसर की प्रतिष्ठा को गंभीर चोट पहुंचाई गई।अदालत ने हालांकि कहा कि वादी (मेजर जनरल अहलूवालिया) जी टेलीफिल्म लिमिटेड और उसके अधिकारियों की ओर से मानहानि के किसी भी कृत्य को साबित नहीं कर सके, जिसने न्यूज पोर्टल के साथ एक समझौते के बाद संबंधित खबर का प्रसारण किया था।कथित स्टिंग ऑपरेशनतहलका डॉट कॉम ने 2001 में ‘ऑपरेशन वेस्ट एंड’ नाम से एक कथित स्टिंग किया था जिसमें मेजर जनरल अहलूवालिया को डिफेंस डील में कथित करप्शन में शामिल बताया था। कथित स्टिंग में दिखाया गया था कि जब अंडरकवर जर्नलिस्ट ने डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर बनकर अहलूवालिया से संपर्क किया तो उन्होंने डिफेंस डील को मंजूरी दिलाने के लिए रिश्वत के तौर पर 10 लाख रुपये और ब्लू लेवल व्हिस्की की एक बॉटल की मांग की थी। स्टिंग में आगे ये भी आरोप लगाया गया कि मेजर जनरल अहलूवालिया ने 50,000 रुपये पेशगी के तौर पर ले भी लिया।’वीडियो से छेड़छाड़ और एडिट करके फर्जी कहानी गढ़ी गई’मेजर जनरल अहलूवालिया ने हाई कोर्ट में दावा किया कि उनकी और रिपोर्टर की बातचीत के वीडियो से छेड़छाड़ की गई। कुछ चुनिंदा हिस्से हटा दए गए और कुछ एडिटोरियल कॉमेंट्स जोड़ दिए गए जो तथ्यहीन थे।आर्मी अफसर को 22 साल तक ढोना पड़ा ‘कलंक’, फैसले से धुले दागन्यूज पोर्टल के कथित स्टिंग ऑपरेशन ने एक झटके में मेजर जनरल अहलूवालिया की प्रतिष्ठा को तार-तार कर दिया। उनके दामन को दागदार कर दिया। सेना ने भी इस मामले में कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी का आदेश दे दिया। लेकिन उनके खिलाफ कुछ भी साबित नहीं हो पाया। 2 दशकों से ज्यादा वक्त तक कथित तौर पर भ्रष्ट होने का ‘दाग’ ढोने वाले आर्मी अफसर के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला बहुत बड़ी जीत है।