जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म किए चार साल हो चुके हैं। ऐसे में पूछा जा रहा है कि इस बीच वहां क्या बदला है और लालचौक पर चल रहे काम का क्या संदेश है। लोग यह भी जानना चाहते हैं कि वहां चुनाव कब होंगे। ऐसे तमाम पहलुओं पर पूनम पाण्डे ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की। पेश हैं अहम अंश:लाल चौक के आसपास काफी काम हो रहा है। क्या प्रॉजेक्ट है यह?श्रीनगर की पहचान लाल चौक से रही है। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत यहां नए सिरे से निर्माण कार्य किया जा रहा है। लाल चौक के आसपास जो निर्माण हो रहा है, उसे हम 14 या 15 अगस्त को राष्ट्र के नाम समर्पित करेंगे। किसी भी शहर की सांस्कृतिक धरोहर और विरासत बरकरार रखते हुए आधुनिक आर्किटेक्चर का निर्माण करना जरूरी है, हम वही कर रहे हैं। हमने पोलो-व्यू मार्केट डिवेलप किया। उसके आसपास के मार्केट भी उसी तरह बनाए जा रहे हैं। देश के बड़े-बड़े शहर हमारे मॉडल को फॉलो करना चाहते हैं। हमने झेलम नदी के किनारे जो झेलम रिवरफ्रंट डिवेलप किया है, वह झील की मौलिकता को ध्यान में रखकर किया गया है।आर्टिकल 370 हटाने से सच में शांत हो गया जम्मू-कश्मीर? चार साल में क्या-क्या बदला जान लीजिएलाल चौक का पॉलिटिकल महत्व भी है। क्या लाल चौक पर जो निर्माण कार्य हो रहा है, वह कोई संदेश भी देता है?इस दृष्टि से देखने की जरूरत नहीं है। कई काम हुए हैं। झेलम के 11 घाटों का पुनर्निर्माण हुआ है। 2014 की बाढ़ में कई हेरिटेज इमारतों को नुकसान हुआ था। अब कई बिल्डिंग्स का पुनरुद्धार हुआ है। पूरे श्रीनगर को नया रूप देने की कोशिश हो रही है। आप लोगों से बात करें, वह कह रहे हैं कि 30-35 साल में ऐसा सुंदर श्रीनगर हमने नहीं देखा। जम्मू-कश्मीर बहुत आगे निकल गया है। अतीत की घटनाओं से बाहर निकलने की जरूरत है।आर्टिकल 370 खत्म किए 4 साल हो गए हैं। क्या बदला है?स्ट्रीट वायलेंस पूरी तरह खत्म हो गई है। पाकिस्तान के इशारे पर पहले आतंकी साल में 150 दिनों के बंद की कॉल देते थे और उसकी वजह से स्कूल, बिजनेस, ट्रैफिक सब बंद रहता था। ये सब अब इतिहास की बातें हो गई हैं। पहले लोग अंधेरा होने से पहले किसी तरह घर पहुंच जाएं, यही उनकी प्राथमिकता होती थी। लेकिन अब रात 9 बजे भी झेलम के किनारे युवा आइसक्रीम खाते, गिटार बजाते, टहलते नजर आते हैं। रात 9 बजे शॉपिंग करते लोग भी दिख जाएंगे। आम आदमी अपनी मर्जी से जीने को स्वतंत्र है। डेढ़ लाख करोड़ रुपये के हाईवे और टनल के प्रॉजेक्ट चल रहे हैं। दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज बन गया है। अगले साल जम्मू-कश्मीर रेल मार्ग कन्याकुमारी से जुड़ जाएगा। 2 एम्स, 7 नए मेडिकल कॉलेज, दो कैंसर इंस्टिट्यूट, बड़ी संख्या में नर्सिंग स्कूल और हेल्थ वेलनेस सेंटर भी जम्मू-कश्मीर को मिले हैं। हेल्थ पैरामीटर में जम्मू-कश्मीर नैशनल एवरेज से बेहतर परफॉर्म कर रहा है।सुरक्षा हालात सुधरे हैं तो क्या सिक्यॉरिटी फोर्स में कुछ कमी करने पर विचार किया जा रहा है? क्या राष्ट्रीय राइफल की संख्या कम की जाएगी?यह फैसला इस आधार पर नहीं होता है। उसका आकलन करके जब जरूरत होगी, तो जरूर कम किया जाएगा। 34 साल बाद मोहर्रम का जुलूस शांतिपूर्वक निकला है। खासतौर पर आठवें और 12 वें दिन, जो पहले बैन था। मैं यहां के नागरिकों का धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने शांतिपूर्ण ढंग से भाग लिया। किसी भी धार्मिक आयोजन को लेकर हमारी नीति बिल्कुल साफ है, शांतिपूर्ण ढंग से करिए- पूरी आजादी है। एक फाइन लाइन है कि भारत की अखंडता और एकता के सवाल पर कोई समझौता किसी से नहीं हो सकता है।’अगर आर्टिकल 370 पर्मानेंट, तब भी उसे हटाने का कोई तरीका तो होगा?’ सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन की सुनवाई की खास बातेंजम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होंगे? विपक्षी पार्टियों के नेता भी लगातार यह सवाल पूछ रहे हैं?सवाल पूछना राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं का काम है। देश की संसद में दिए आश्वासन का महत्व क्या है, यह सब बेहतर जानते हैं। गृह मंत्री ने संसद में भरोसा दिया था कि सबसे पहले डीलिमिटेशन होगा, फिर चुनाव और सही वक्त आने पर स्टेटहुड। कई लोग व्याकुल हैं और बार-बार यही मुद्दा उठाते हैं। डीलिमिटेशन हो गया, नई मतदाता सूची भी बन गई। निर्वाचन आयोग जब चुनाव का फैसला करेगा, जम्मू-कश्मीर प्रशासन उसका पालन करेगा। संवैधानिक पद पर रहते हुए अगर कुछ लोग उसकी मर्यादा नहीं समझते, देश की संसद में रहे हैं फिर भी संसद में दिए आश्वासन को नहीं समझते तो उसका इलाज किसी के पास नहीं है।जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग के मामले बढ़े हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?टारगेट किलिंग बढ़ी है, ना मैंने यह माना है और ना ही यह सचाई है। छिटपुट घटनाएं रह-रहकर हो जाती हैं। आम लोगों की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। पहले बहुत सारी घटनाएं होती थी। लोग मान लेते थे कि यह तो होना ही है। अब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं तो एक भी घटना नहीं होनी चाहिए। यह अपेक्षा स्वाभाविक है और हम वह स्थिति पैदा करना चाहते हैं कि ऐसी कोई घटना ना हो। अगर क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े देखें तो जम्मू-कश्मीर में अपराध बाकी राज्यों की तुलना में बहुत नीचे हैं। लाइन ऑफ कंट्रोल पर संघर्षविराम है पर पाकिस्तान और आतंकी तंजीमें कोशिश करने में लगी रहती हैं। हमारे सुरक्षा बल उन्हें नाकाम कर रहे हैं। बड़ा परिवर्तन यह भी है कि मोदी जी की सरकार की नीति पहले की तरह नहीं है। पहले कोशिश होती थी कि शांति को थोड़े दिनों के लिए खरीद लिया जाए। मोदी सरकार की नीति है कि जम्मू-कश्मीर में स्थायी रूप से शांति स्थापित करनी है। केवल बंदूक चलाने वाले आतंकी को ही नहीं, उस पूरे इकोसिस्टम को नेस्तनाबूद करने की पुख्ता रणनीति गृह मंत्री के नेतृत्व में बनी है और उस पर काम हो रहा है। सुरक्षाबलों में बहुत अच्छा समन्वय है।