नई दिल्ली: असदुद्दीन ओवैसी। भारतीय राजनीति में एकमात्र बड़ा मुस्लिम चेहरा बनने की जुगत में भिड़ा वह शख्सियत जिसे भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा (BJP) के अन्य विरोधी दल संदेह की नजर से देखते हैं। अक्सर उन्हें भाजपा की ‘बी टीम’ तक कह दिया जाता है क्योंकि उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को मूलतः मुसलमान ही वोट करते हैं। मुसलमान मतदाताओं का एक हिस्सा ओवैसी की पार्टी अपनी ओर खींच लेता है, चुनावों में इसका खामियाजा भाजपा विरोधी दलों को भुगतना पड़ता है। हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनकी एआईएमआईएम पर यही आरोप है कि वो चुनावों में अपने कैंडिडेट खड़ा करके परोक्ष रूप से भाजपा को मदद करते हैं। इसी कारण वो हर मुद्दे पर भाजपा का विरोध करके भी विपक्षी खेमें में ‘अछूत’ से हैं। विपक्षी दलों के नए गठबंधन I.N.D.I.A (इंडिया) हो या फिर अभी जारी संसद सत्र में सत्ता विरोधी गुटबंदी, ओवैसी और उनकी पार्टी से विपक्षी दलों ने कोई राब्ता नहीं किया। इस पर ओवैसी ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में खुलकर अपनी राय रखी है। ओवैसी एक से बढ़कर एक, तंज कसने के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने अखबार के सवालों पर न केवल सत्ता पक्ष बल्कि विपक्ष को भी खूब आड़े हाथों लिया है।संसद ठप करने से सरकार को ही मिलती है मददमणिपुर मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में बयान देने की विपक्ष की मांग पर ओवैसी कहते हैं कि संसद चलना बहुत जरूरी है। वो कहते हैं कि प्रधानमंत्री का संसद में बोलना अलग बात है, असल बात है कि संसद चले। अगर संसद चलेगी तभी विपक्ष अपनी बात रख सकता है, सरकार की आलोचना कर सकता है और देश के सामने सरकार की नाकामियों की पोल-पट्टी खोल सकता है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री बोलते हैं या नहीं, यह अलग बात है। अडानी मामले के कारण पिछला सत्र पूरी तरह से बर्बाद हो गया था। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया, और फिर क्या हुआ? कुछ भी नहीं। यह दफन हो गया। हम संसद में चर्चा नहीं रोक सकते, क्योंकि इससे सरकार को मदद मिलेगी। मैंने कहा कि अगर पीएम नहीं आते हैं तो मैं खड़ा होकर कहूंगा कि पीएम भाग गए।’ओवैसी ने बताया कि मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में उन्होंने मणिपुर हिंसा में जान गंवाने वालों, बलात्कार की शिकार महिलाओं, बेघर हुए 50 हजार लोगों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि बैठक में उन्होंने कुछ ऐसा करने का सुझाव दिया जिससे मणिपुर वासियों को संदेश जाए कि देश उनके हालात को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा, ‘हमें सरकार से सवाल पूछने और उसकी आलोचना करने का अवसर भी नहीं गंवाना चाहिए।’अब तो संसद… मॉनसून सत्र में जारी हंगामे के बीच असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्षी दलों से क्या कहाअविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे ओवैसी?ओवैसी, विपक्षी गठबंधन की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे या विरोध? एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि वो तो तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर (KCR) की पार्टी भारतीय राष्ट्र समिति (BRS) की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर दस्तखत कर चुके हैं। इसलिए मोदी खिलाफ के अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वो विपक्षी दलों के साथ नहीं है। उन्होंने कहा कि वो मोदी सरकार का विरोध करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि कथित धर्मनिरपेक्ष दलों के समर्थक हैं।जब नंबर नहीं तो क्यों अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है विपक्ष? पीएम मोदी पर फर्क न पड़ने की वजह समझ लीजिएपूर्ण बहुमत में मोदी सरकार, फिर भी अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रहा विपक्ष? समझिए इसके मायनेभाजपा के खिलाफ, लेकिन विपक्ष के साथ नहींओवैसी ने विपक्षी गठबंधन इंडिया की ताकत और उसके भविष्य पर भी अपनी बेबाक राय दी। उन्होंने कहा कि विरोधी दलों के गुट ने उनकी पार्टी से संपर्क नहीं किया और उन्हें खुद से दूर रखा, फिर भी एआईएमआईएम, भाजपा का विरोध करती रहेगी। उन्होंने कहा, ‘हम निश्चित रूप से हरसंभव कोशिश करेंगे कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री न बनें। इन दलों को यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि वे जो कहते हैं, वो करें भी क्योंकि (2019 में) 186 लोकसभा सीटों में से जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला था, कांग्रेस केवल 15 या 16 सीटें ही जीत सकी।’ उन्होंने इस हार में उनकी पार्टी एआईएमआईएम का हाथ भी होने के आरोपों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘500 लोकसभा सीटों में से, हमने केवल तीन सीटों पर चुनाव लड़ा, और दो पर जीत हासिल की। हम तीसरी कांग्रेस से हार गए, वो भी बिहार में जहां सिर्फ उसी सीट (किशनगंज) पर एकजुट विपक्ष को जीत मिली थी।’विपक्ष के I.N.D.I.A. गठबंधन पर बीजेपी सांसद ने ये क्या कह दिया?इंडिया में शामिल होने का ओवैसी को मिला था ऑफर?ओवैसी खुद को विपक्षी गुट से संभवतः इसलिए भी दूर दिखाने पर जोर दे रहे हैं क्योंकि जब विपक्ष के 26 दलों ने मिलकर नया गठबंधन इंडिया बनाया तो उनकी पार्टी को कोई ऑफर नहीं मिला। ओवैसी को यह बात खल गई लगती है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन के बारे में कहा, ‘यह राजनीतिक चौधरियों का एक सम्मानित क्लब है। भाजपा के प्रति हमारा विरोध पहले दिन से है।’ उन्होंने आंतकवाद विरोधी कानून यूएपीए में संशोधन विधेयक की याद दिलाते हुए कहा कितब कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों ने भाजपा का समर्थन किया था। बात विधेयक की हुई तो उनसे मौजूदा मॉनसून सत्र में भी विधेयकों के धड़ाधड़ पेश किए जाने पर भी ओवैसी ने घोर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि मुझे तो संसद में काम-काज रोका जाना ही पसंद नहीं है। ओवैसी ने कहा कि विपक्ष हंगामा करके चर्चा की प्रक्रिया को रोक देता है, इससे सरकार को मदद मिल जाती है। सत्तापक्ष हो-हंगामे के बीच महत्वपूर्ण विधेयक पेश कर देता है और बहस के बिना जिम्मेदारियों से साफ-साफ बच जाता है। उन्होंने इशारों में कहा कि विपक्ष की गलत नीतियों की वजह से सरकार चुभते सवालों का सामना करने से बच रही है।बात कुछ और है… अविश्वास प्रस्ताव पर कैसे विपक्ष और सरकार के बीच चल रहा नहले पर दहले का खेलसंसद में कौए ने भी करा दी जंग! ‘झूठ बोले कौआ काटे’ के जवाब में राघव चड्ढा बोले- रामचंद्र कह गए सिया से…यूसीसी पर ओवैसी ने गिनाए एक-से-बढ़कर एक पेचएआईएमआईएम चीफ ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को देश की विविधता, धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक अधिकारों के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि ये सभी अधिकार हमें संविधान से मिले हैं जिसे यूसीसी के जरिए खत्म नहीं किया जा सकता है। ओवैसी ने कहा, ‘यह संविधान के अनुच्छेद 25,26 और 29 के खिलाफ है। हम अन्य तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की राय नहीं जानते हैं, लेकिन हमने अपना मत विधि आयोग को दे दिया है। हम देखेंगे कि क्या सामने आता है।’ उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, यूसीसी पर पूर्वोत्तर समेत दूसरे प्रदेशों के आदिवासियों ने भी विरोध प्रदर्शन किया है। क्या सरकार 11.5 करोड़ आदिवासियों को यूसीसी से बाहर रखा जाएगा और रखा जाएगा तो फिर ये कैसा यूसीसी होगा? इसका मतलब तो यही है कि आप किसी एक धर्म (ओवैसी का इशारा इस्लाम की तरफ है) को टार्गेट कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यदि आप केवल एक धर्म को लक्षित करने वाला कानून लाते हैं, तो वह स्वयं समानता के अधिकार, जीवन के अधिकार के साथ-साथ अनुच्छेद 19,25,26 और 29 का उल्लंघन है।’ ओवैसी ने हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) से लेकर उत्तराधिकार अधिनियम, हिंदू अल्पसंख्यक और अभिभावक अधिनियम आदि का हवाला देकर भी सवाल उठाए।