नई दिल्ली: हाल ही में तीन राज्यों के आए नतीजों से बीजेपी उत्साहित है। पूर्वोत्तर में बेहतर प्रदर्शन के बाद अब पार्टी की नजर दक्षिण के राज्यों पर है। पार्टी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में यहां पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। दक्षिण के राज्यों में लोकसभा की करीब 129 सीटें हैं और इनमें से बीजेपी के पास महज 29 सीटें ही हैं। इन 29 सीटों में 25 सीटें अकेले कर्नाटक से है। BJP की नजर अब दक्षिणी राज्यों की 129 संसदीय सीटों में अधिक से अधिक सेंध लगाने पर टिकी है। हाल ही में पूर्वोत्तर में मिली जीत और दक्षिणी राज्यों में 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव से बीजेपी उत्साहित है। बीजेपी की नजर इस बार दक्षिण में सिर्फ कर्नाटक और तेलंगाना पर ही नहीं है। पार्टी की योजना में तमिलनाडु भी शामिल है। हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों पर नजर रहेगी। दो राज्यों के चुनाव से मिल जाएगा संकेतBJP शासित कर्नाटक और भारत राष्ट्र समिति (BRS) शासित तेलंगाना में इस साल के अंत में जो विधानसभा चुनाव होंगे। इन चुनावों से इस बात का संकेत मिल जाएगा कि दक्षिण में कमल के खिलने के लिए माहौल अनूकूल है या नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल में पार्टी के विजयी होने का विश्वास प्रकट किया है, जहां भाजपा से एक सांसद और एक विधायक हैं। बीजेपी तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति के लिए एक चुनौती बनकर उभरी है। वह हाल के दो-तीन विधानसभा उपुचनावों में विजयी हुई और उसने 2020 के हैदराबाद नगम निगम के चुनाव में उम्दा प्रदर्शन किया। इससे 2024 के चुनाव में ताकतवर बीआरएस को टक्कर देने का पार्टी का मनोबल बढ़ा है।साउथ में नरेंद्र मोदी को चुनौती देने में जुटे ये नेताकेसीआर भी केंद्र से बीजेपी को हटाने की कोशिश में जुट गये हैं। उधर, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) के अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को एक ऐसे नेता के रूप में पेश किया जा रहा है जो भाजपा को चुनौती देने के लिए गैर-भाजपा मतों को एकजुट कर सकते हैं। कुछ ही समय पहले इसी मकसद से केसीआर ने अपनी पार्टी का टीआरआएस से बदलकर बीआरएस किया और दिल्ली में पार्टी का एक ऑफिस भी खुला। केसीआर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ विपक्षी एकजुटता की कोशिश में लगे हैं। हालांकि कौन अगुवाई करेगा और कौन साथ आएगा अभी स्पष्ट नहीं है। कुछ ही दिनों पहले तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कहा कि बीजेपी को सत्ता में नहीं आना चाहिए। नरेंद्र मोदी को फिर प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए। उनकी पार्टी का यह रुख है।साउथ में सीटों का क्या है समीकरणलोकसभा में बीजेपी के पास जो 29 सीटे हैं वे कर्नाटक और तेलंगाना से हैं। भाजपा ने 2019 में कर्नाटक में 28 में से 25 लोकसभा सीट जीती थी और मांड्या में उसके समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने भी बाजी मारी थी। तेलंगाना से चार सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे, लेकिन तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश से इस सदन में भाजपा का कोई प्रतिनिधि नहीं है। लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं को विश्वास है कि द्रविड़ राजनीतिक के केंद्र तमिलनाडु में चीजें बीजेपी के पक्ष में जाने लगी हैं। उदाहरण के तौर पर पार्टी नेता बताते हैं कि 2021 के विधानसभा चुनाव में द्रमुक लहर के बावजूद भाजपा ने चार निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी। उनमें एक तो इरोड जिले में है, जो द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता ई वी रामसामी पेरियार का जन्मस्थल है।पार्टी की प्रदेश इकाई ने 2024 के आम चुनाव में 15 सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भाजपा महसूस करती है कि तमिलनाडु में 2024 के लोकसभा चुनाव पहले के चुनाव से भिन्न होंगे। बीजेपी कर्नाटक के बाद तेलंगाना को अगले एक ऐसे राज्य में रूप में देखती है, जहां उसे लगता है कि राज्य की सत्ता में उसके आने की संभावना है। (एजेंसी इनपुट के साथ)