बीजेपी ने अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के दिग्गज नेताओं ने शनिवार को मंथन किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई केंद्रीय मंत्रियों और सीनियर नेताओं ने शनिवार को राजधानी स्थित पार्टी मुख्यालय में बैठक की। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नड्डा के साथ मंत्रियों के अलग-अलग समूहों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की है। नड्डा ने भी संगठन स्तर पर महासचिवों, राष्ट्रीय उपाध्यक्षों और विभिन्न मोर्चों के साथ अलग-अलग बैठकें की हैं। आइए जानते हैं कि भाजपा के सामने क्‍या चुनौती है।कलिता को असम, शारदा को मणिपुर की कमानबीजेपी ने शनिवार को असम के कामरूप जिले की रंगिया विधानसभा सीट से विधायक भाबेश कलिता को पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया। मणिपुर में सीनियर नेता शारदा देवी को प्रदेश इकाई की कमान सौंपी गई है। अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दोनों नेताओं की नियुक्ति को हरी झंडी दी। हाल ही में संपन्न असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की थी। उसने लगातार दूसरी बार राज्य की सत्ता पर कब्जा जमाया।किन राज्‍यों में होने हैं चुनाव?अगले साल फरवरी-मार्च में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर शामिल हैं। इनमें से यूपी, उत्तराखंड, गोवा में बीजेपी की सरकार है। मणिपुर में बीजेपी सरकार में शामिल है। पंजाब अकेला ऐसा है जहां कांग्रेस की सरकार है।यूपी क्यों है बीजेपी के लिए अहम?उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए अहम राज्य है। इसके बारे में कहा जाता है कि केंद्र की सत्ता की सीढ़ी इसी राज्य से गुजरती है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी उत्तर प्रदेश में एक मजबूत ताकत के रूप में उभरी। साल 2019 के पिछले आम चुनाव में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था। इसकी बदौलत प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरी बार देश की कमान संभाली।बहुकोणीय मुकाबले में किसे फायदा?यूपी में बहुकोणीय मुकाबले के आसार साफ दिख रहे हैं। इससे बीजेपी-विरोधी वोट बंट जाएंगे, जिससे बीजेपी विरोधियों से आगे हो सकती है। बंगाल में 38% वोट पाने के बावजूद बीजेपी बुरी तरह असफल रही, क्योंकि वहां स्पष्ट द्विध्रुवीय मुकाबला था, जिससे बीजेपी-विरोधी वोट टीएमसी के हिस्से में चले गए।यूपी में बीजेपी को सहयोगियों के साथ पिछले तीन चुनावों (2014 और 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा) में 45% से ज्यादा वोट मिले, जबकि प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी में प्रत्येक को करीब 20% वोट मिले और कांग्रेस को करीब 10%।बीजेपी के सामने जेडीयू की क्या है चुनौती?जेडीयू के प्रधान महासचिव और यूपी प्रभारी केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी 2022 में यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। जेडीयू गठबंधन का स्वागत करेगी। केसी त्यागी ने कहा कि अगर गठबंधन नहीं होता है, तो भी उनकी पार्टी यूपी में दो सौ सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। कहा कि जेडीयू इस बार पिछली गलती नहीं दोहराएगा।क्या किसान आंदोलन का होगा असर?पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में किसानों ने जब चुनाव प्रचार किया तो उसमें केवल बीजेपी का ही विरोध किया था। लिहाजा किसान आंदोलन में उत्तर प्रदेश, पंजाब के किसानों की बड़ी सहभागिता है। इसलिए किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि इन राज्यों में आगामी चुनाव में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।