नई दिल्ली : चीन का देश से बाहर अगला मिलिट्री बेस कंबोडिया में हो सकता है। भारत के एकदम करीब, एक्स्टेंडेड पड़ोस में। इससे भारत की न सिर्फ साउथ-ईस्ट एशिया में बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में चुनौतियां बढ़ गई हैं। चीन की आक्रामक और विस्तारवादी नीतियों से पहले से ही दक्षिण चीन सागर में तनाव की स्थिति रहा करती है। दुनिया की सबसे बड़ी नेवी वाला चीन लगातार अपने प्रभाव को बढ़ाने में लगा है। इस नए मिलिट्री बेस से वह न सिर्फ दक्षिण चीन सागर बल्कि हिंद महासागर में भी खुराफात कर सकता है जो भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात है। चीन पहले से ही अफ्रीकी देश जिबूती में मिलिट्री बेस बना चुका है जो अब ऑपरेशनल है। ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ में स्थित इस बेस से चीनी युद्धपोतों की हिंद महासागर तक सीधी पहुंच हो गई है।ये बेस पिछले कुछ सालों से बन रहा था और अब पूरा होने के करीब है। ब्रिटेन स्थित शीर्ष थिंक टैंक चैदम हाउस ने पिछले हफ्ते आई अपनी रिपोर्ट में कंबोडिया में चीन की तरफ से बनाए जा रहे नेवल बेस की सैटलाइट तस्वीरें प्रकाशित की थी। तस्वीरों में कई नई इमारतें और बेस के चारों और विशाल चारदीवारी दिख रही हैं। ये बेस गल्फ ऑफ थाइलैंड के नजदीक है। कंबोडिया का बेस स्ट्रेट ऑफ मलक्का (मलक्का जलसंधि) से भी कोई खास दूर नहीं है। स्ट्रेट ऑफ मलक्का रणनीतिक और व्यापारिक तौर पर काफी अहम है। ये हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर को जोड़ने वाला एक प्रमुख चेकपॉइंट है। यह दुनिया के कुछ सबसे ज्यादा व्यस्त समुद्री मार्ग में से एक है। हर साल दुनियाभर में समुद्र के रास्ते होने वाले व्यापार का करीब एक चौथाई यही से होता है।चीन बन रहा बड़ा खतराचीन की नेवी दुनिया की सबसे बड़ी नेवी है। इसके पास 350 से ज्यादा युद्धपोत हैं। अगले 3 सालों में इनकी संख्या बढ़कर 460 से ऊपर हो सकती है। इसके अलावा उसके पास समुद्र में गश्त के लिए 85 गश्ती जहाज हैं जिनमें से कई एंटी-शिप मिसाइलों से लैस हैं। चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है, इससे क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ रही है। अपनी विस्तारवादी और धौंस वाली नीतियों के जरिए चीन दुनिया में शांति के लिए बड़े खतरे के तौर पर उभर रहा है।कंबोडिया में चीन जो मिलिट्री बेस बना रहा उसकी नवंबर 2021 की सैटलाइट तस्वीर (फोटो क्रेडिट: चैदम हाउस)दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में समुद्री क्षेत्रों पर अधिकार को लेकर उसके दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के साथ काफी समय से विवाद चल रहे हैं। चीन ने सैन्य अड्डा बनाने की नीयत से यहां कई कृत्रिम द्वीप तक बना रखे हैं। इस बीच कंबोडिया में चीन का बनाया मिलिट्री बेस साउथ-इस्ट एशिया और ताइवान स्ट्रेट में बीजिंग की ताकत को और बढ़ा दिया है। ये साउथ-इस्ट एशिया में चीन का पहला नेवी बेस होगा। पिछले साल नवंबर में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा था चीन कंबोडिया, म्यांमार और थाइलैंड में अपना सैन्य अड्डा बना सकता है।मिलिट्री बेस की जनवरी 2023 की सैटलाइट तस्वीर (फोटो क्रेडिट- चैदम हाउस)चैदम हाउस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले डेढ़ साल में कंबोडिया के प्रधानमंत्री हून सेन ने बेस के नजदीक एयर डिफेंस सिस्टम, जनरल कमांड की सुविधाओं और नौसैनिक रेडार लगाने के लिए 157 हेक्टेयर जमीन का आवंटन किया है।मिलिट्री बेस की जून 2023 में ली गई सैटलाइट तस्वीर (फोटो क्रेडिट- चैदम हाउस)हिंद महासागर में भी चीन करता रहता है हरकतेंभारत रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अंडमान-निकोबार द्वीप से हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों पर नजर रखता है। यहां से वह युद्धपोत के साथ-साथ नेवी के एयरक्राफ्ट के जरिए हिंद महासागर की हर हलचल की निगरानी करता है। चीन हिंद महासागर में खुराफात से बाज नहीं आता। पिछले साल भारत की आपत्ति के बावजूद उसने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर अपने सर्विलांस शिप यूआन वांग 5 का डेरा जमाया था। बाद में वह सर्विलांस शिप लौट तो गया लेकिन चीन का एक और सर्विलांस शिप युआन वांग 6 अभी दक्षिणी हिंद महासागर में मौजूद है।काउंटर के लिए भारत भी लगातार सक्रियचीन को काउंटर करने के लिए भारत भी लगातार सक्रिय है। वह भी कंबोडिया के संपर्क में है। 3 महीने पहले मई में कंबोडिया के राजा भारत दौरे पर आए थे। दक्षिणपूर्वी एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए भारत ने हाल ही में वियतनाम को अपना युद्धपोत आईएनएस कृपाण दिया है और फिलीपिंस के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ाने की कवायद की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में मलयेशिया का दौरा किया था और इसी साल वह इंडोनेशिया का भी दौरा कर सकते हैं। 2020 में भारत ने म्यांमार को आईएनएस सिंधुवीर दिया था। कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए भारत मॉरीशश के अलालेगा द्वीप पर मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर भी तैयार कर रहा है।