हाइलाइट्सप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कुशीनगर इंटरनैशनल एयरपोर्ट का किया उद्घाटनएयरपोर्ट पर पहली इंटरनैशनल फ्लाइलट कोलंबो से आई, जिसमें श्रीलंका के 4 मंत्री और करीब 100 बौद्ध भिक्षु थे सवारकोलंबो टु कुशीनगर की इस फ्लाइट का है अपना ही कूटनीतिक महत्व, भारत की कल्चरल डिप्लोमेसी का है उदाहरणश्रीलंका में चीन तेजी से अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, उसकी काट के लिए भारत कल्चरल डिप्लोमेसी भी आजमा रहानई दिल्लीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यूपी के कुशीनगर में इंटरनैशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। पहली फ्लाइट श्रीलंका से आई जिसके साथ बौद्ध भिक्षुओं के साथ-साथ वहां के 4 मंत्री भी आए हैं। कोलंबो टु कुशीनगर की यह पहली फ्लाइट वैसे तो सामान्य दिखती है लेकिन इसका अपना कूटनीतिक महत्व है। यह श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए भारत के सॉफ्ट पावर का कूटनीतिक इस्तेमाल है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 26 सितंबर को अपने श्रीलंकाई समकक्ष महिंदा राजपक्षा के साथ वर्चुअल द्विपक्षीय समिट के दौरान ही ऐलान कर दिया था कि कुशीनगर के लिए पहली इंटरनैशनल फ्लाइट श्रीलंका से आएगी जिसमें बौद्ध श्रद्धालु होंगे। आज बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में आने वाली पहली इंटरनैशनल फ्लाइट से श्रीलंका का 125 सदस्यों वाला डेलिगेशन उतरा। इसमें 4 मंत्री और एक सांसद के अलावा करीब 100 बौद्ध भिक्षु भी शामिल हैं जो अलग-अलग मतों के मशहूर मंदिरों से जुड़े हुए हैं। फ्लाइट से महात्मा बुद्ध की अस्थियां भी कुशीनगर लाई गई हैं। श्रीलंका के विदेश मंत्री जी. एल. पेइरिस ने कोलंबो टु कुशीनगर की इस फ्लाइट को भारत-श्रीलंका रिश्तों में एक मील का पत्थर करार दिया है। श्रीलंका का यह डेलिगेशन वाराणसी भी जाएगा जहां काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष प्रार्थना की जाएगी।Kushinagar News: क्या होता है अभिधम्म दिवस? कुशीनगर में पीएम मोदी सहित देश-विदेश के भिक्षु लेंगे हिस्सा, बौद्ध धर्म में इसका महत्व जानिएश्रीलंका में तेजी से बढ़ रहा चीन का प्रभावपिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति उसे हिंद महासागर में रणनीतिक तौर पर बेहद अहम बनाती है। यही वजह है कि श्रीलंका में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत की चिंता बढ़ाने वाला है। श्रीलंका के कई हाई प्रोफाइल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर चीन का तेजी से नियंत्रण बढ़ा है। श्रीलंका पर चीन का कर्ज बढ़ने के साथ ही यह आशंका भी गहराने लगी है कि जल्द ही वह चीन के आर्थिक उपनिवेश में तब्दील हो सकता है। कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से ही श्रीलंका अपने हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल के लिए चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग को पट्टे पर देने के लिए मजबूर हुआ। इसी साल जून में कोलंबो में 17 किलोमीटर एलिवेटेड हाइवे का अहम प्रोजेक्ट चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (CHEC) के हाथ लगा है।चीन की कुटिल चालों को काउंटर करने के लिए भारत की ‘कल्चरल डिप्लोमेसी’श्रीलंका को अपने चंगुल में फंसाकर चीन हिंद महासागर में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है और भारत की घेरेबंदी करने में लगा है। चीन की इसी कुटिल चाल को काउंटर करने के लिए भारत ने अपने सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल किया है। बौद्ध धर्म का जन्म भारत में ही हुआ था। यहीं पर बुद्ध को ज्ञान मिला था, यही पर उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया था और यही पर उनका महापरिनिर्वाण भी हुआ था। भारत बौद्ध धर्म से अपने इसी कनेक्शन का इस्तेमाल सॉफ्ट पावर के तौर पर कर रहा है। यह एक अलग तरह की डिप्लोमेसी का उदाहरण है- कल्चरल डिप्लोमेसी। भारत और श्रीलंका सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भाषायी बंधन से जुड़े हुए हैं। श्रीलंका में बौद्ध भिक्षुओं के सामाजिक, राजनैतिक प्रभाव से कोई इनकार नहीं कर सकता। अगर यह वर्ग अपने देश में चीन की कुटिल चालों के विरोध में खड़ा हो जाए तो बीजिंग के मंसूबे धरे के धरे रह जाएंगे।कुशीनगर का महत्वकुशीनगर बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यहीं पर महात्मा बुद्ध ने अपना आखिरी उपदेश दिया था और यहीं पर उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। इसे भारत में बौद्ध सर्किट का केंद्र बिंदु भी माना जाता है। यहां महापरिनिर्वाण मंदिर में भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर ऊंची मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में विराजमान है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए 4 प्रमुख तीर्थ हैं- नेपाल में लुंबिनी जहां महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था, बिहार का बोधगया जहां महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, यूपी का सारनाथ जहां ज्ञानप्राप्ति के बाद बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था और कुशीनगर जहां उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। कुशीनगर से लुंबिनी भी दूर नहीं है। कुशीनगर में बड़ी तादाद में जापान, श्रीलंका, ताइवान, नेपाल, भूटान, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, चीन, थाइलैंड, वियतनाम, सिंगापुर, म्यांमार जैसे देशों से बौद्ध श्रद्धालु आते हैं। अब इंटरनैशनल एयरपोर्ट की वजह से इनकी तादाद और बढ़ेगी।