गाजियाबाद कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर अगस्त में आने की आशंकाएं जताई जा रही हैं। देश के कई हिस्सों में कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के मरीजों के मिलने से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी टेंशन में हैं। इस बीच गाजियाबाद जिले में कोरोना टेस्टिंग भी कम हो गई है, जिसे लेकर एक्सपर्ट ने चिंता जताई है कि टेस्टिंग कम हो गई तो तीसरी लहर का समय से पता नहीं चल पाएगा। इसके अलावा एक और गंभीर बात है कि जिले में वैक्सीनेशन की रफ्तार भी कम हो रही है। इन परिस्थितियों को देखते हुए अगले 2 से 3 सप्ताह में स्थिति गंभीर होने की बात कही जा रही है।जिले में छूट लगातार बढ़ने के साथ ही बाजारों में भीड़ भी बढ़ती जा रही है। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का प्रयोग ना के बराबर है। ऐसे में कोरोना के अब तक के सबसे ज्यादा घातक डेल्टा प्लस वेरिएंट के मरीज मिलने से अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीर दिख रही है पर उस दिशा में काम नहीं दिख रहा। अधिकारी दावा कर रहे हैं कि जिले में संक्रमण से निपटने के लिए पूरी तैयारियां हैं, लेकिन हकीकत इसके एकदम विपरीत है। जिले ने ना केवल टेस्टिंग कम हो गई है, बल्कि वैक्सीनेशन की रफ्तार भी नहीं बढ़ पा रही है। अस्पतालों में अभी तक ऑक्सिजन प्लांट भी नहीं लग पाए।एक दिन में सिर्फ 6 हजार टेस्टिंग मई में शासन ने रोजाना टेस्टिंग के लिए जिले को 8150 का लक्ष्य दिया था। शासन स्तर से लक्ष्य को कम नहीं किया गया है, लेकिन जिले में महज 6000 से 6500 टेस्टिंग ही हो पा रही हैं। विभाग ने संक्रमण कम होने पर जांच भी कम कर दी है। जिले में रोजाना 2900 आरटीपीसीआर जांच का लक्ष्य है, जबकि औसतन 1800 लोगों की जांच हो रही है। एंटीजन जांच का लक्ष्य 5250 है जबकि औसतन जांच 3500 हो रही है।महीना- कोरोना जांच संक्रमितअप्रैल- 1,52,222 12,445मई- 1,98,069 15,313जून- (18 दिन) 90,389 430प्रतिदिन जांच14 जून- 608315 जून- 643916 जून- 643317 जून- 634218 जून- 6458वैक्सीनेशन का लक्ष्य घटाकर 10 हजार किया जिले के रोजाना 17 हजार लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य दिया गया था। वह लक्ष्य विभाग ने प्राप्त किया तो शासन स्तर से लक्ष्य को घटाकर 10 हजार कर दिया गया। इसके पीछे वैक्सीन की कमी को कारण बताया जा रहा है। सरकारी केंद्रों पर स्लॉट नहीं मिल रहे हैं और निजी अस्पतालों में हजारों स्लॉट खाली पड़े हैं। जिले में तीसरी लहर से निपटने की पूरी तैयारी है। सरकारी स्तर पर अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जा रही है। ग्रामीण इलाकों में सभी पीएचसी में भी मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था की जा रही है। सीएचसी में बेड बढ़ाए जा रहे हैं। टेस्टिंग और वैक्सीनेशन भी बढ़ाया जा रहा है। डेल्टा प्लस वेरिएंट का जिले में कोई केस नहीं है।डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओऑक्सिजन प्लांट लगाने की डेडलाइन मिस जिले के 9 सरकारी अस्पतालों में लगने वाले ऑक्सिजन प्लांट भी अभी तक नहीं लग सके हैं। प्रशासन स्तर से इसकी लगातार निगरानी भी की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद 6 स्थानों पर काम तक शुरू नहीं हो सका है। ऑक्सिजन प्लांट शुरू करने के लिए पहले 30 मई डेडलाइन थी, जिसे बढ़ाकर अब 30 जून कर दिया गया है। यदि तीसरी लहर आती है और मरीजों को ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती है तो स्थिति पहले से ज्यादा गंभीर हो सकती है। क्या कहते हैं एक्सपर्ट आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वीबी जिंदल का कहना है कि डेल्ट प्लस वेरिएंट पहले वाले सभी वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक है। यह उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जिन्हें वैक्सीन लगी है। ऐसे में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को गंभीर रहना चाहिए और परिस्थितियों पर काबू पाने के लिए सभी तरह की व्यवस्थाएं करनी चाहिए। एक भी लापरवाही जान पर जोखिम साबित हो सकती है।