नई दिल्लीकोविड संबंधी प्रतिबंधों की वजह से परिवार के सदस्यों के साथ दुख न बांट पाने या अकेले दुख सहन न कर पाने के कारण दिल्ली में ऐसे लोगों में अवसाद, चिंता, अनिद्रा और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों के मामलों में वृद्धि हुई है जो महामारी से सीधे या परोक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के कई अस्पतालों और क्लीनिकों में आघात के बाद के तनाव से उत्पन्न होने वाली मानसिक बीमारियों से संबंधित लक्षणों की शिकायत करने वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है।दिल्ली महामारी की भयंकर दूसरी लहर की चपेट में आ गई थी, जिसमें विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी होने के कारण प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही थी, जिससे संकट और बढ़ गया था। अस्पताल परिसर और श्मशान घाटों पर मातम के दृश्य पसरे हुए थे।दिल्ली में चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि सुरक्षा संबंधी प्रतिबंधों और सामाजिक दूरियों के मानदंडों के कारण लोग अपने प्रियजनों को कोविड के कारण खोने के बाद परिवार के साथ शोक भी नहीं मना पाते।उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में, कई मामलों में ऐसा देखा गया कि पूरा परिवार कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है और उसमें से किसी की मृत्यु के बाद वे उनका अंतिम संस्कार नहीं कर सके, जिससे लोगों में अवसाद पैदा हो गया, जिससे वे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य विकारों की चपेट में आ रहे हैं।बढ़ गया मानसिक तनाव(अभिघातजन्य तनाव विकार) जागरूकता दिवस पर डॉक्टरों ने रविवार को कहा कि कई मामलों में, भले ही परिवारों में कोई मृत्यु नहीं हुई, लेकिन कई लोगों ने अपने दोस्तों, परिचितों या किसी ऐसे व्यक्ति को खो दिया, जिसे वे करीब से जानते थे, या वे बड़ी कठिनाई से बच गए, जिसको लेकर उनका मानसिक तनाव बढ़ गया। यहां बीएलके अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग के डॉक्टर मनीष जैन ने कहा, ‘उदासी, अलगाव, अपनों को खोने के डर का शोक, आय में कमी और समाजीकरण में कमी मानसिक स्वास्थ्य विकार को बढ़ा रही हैं। मामलों में वृद्धि के बाद से ओपीडी में मरीजों की संख्या में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’ उन्होंने कहा कि जीवन शैली में प्रतिबंध और कोविड -19 के डर ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर डालना शुरू कर दिया है।मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, साकेत के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक और प्रमुख समीर मल्होत्रा ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के दौरान आबादी में देखी गई चिंता और अवसाद के मामलों में निश्चित रूप से वृद्धि हुई है।’