हाइलाइट्स:क्या दरभंगा ब्लास्ट मामले में ATS की टीम के हाथ लगा है कोई बड़ा सुरागदरभंगा ब्लास्ट ने दबा दिया बांका मदरसा ब्लास्ट का मामलाक्या आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू उर्फ डॉक्टर फिर से हो चुका है सक्रिय ?तहसीन अख्तर ने दरभंगा में तैयार की है आतंक की जमीनपटना।दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए केमिकल से ब्लास्ट मामले की जांच करने पहुंची एनआईए की टीम आज वापस दिल्ली लौट गई। पुलिस के सूत्र बताते हैं कि दरभंगा से दिल्ली लौटने के क्रम में एनआईए (NIA) की टीम ने बिहार एटीएस (ATS) चीफ से मुलाकात कर हाल के दिनों में हुए सभी घटनाओं की भी जानकारी ली है। आपको बता दें कि एटीएस की टीम ने शुक्रवार को दरभंगा डीआईजी अजिताभ कुमार, दरभंगा एसएसपी बाबूराम, दरभंगा रेलवे स्टेशन जीआरपी आरपीएफ के थाना प्रभारियों से बातचीत करने के बाद विस्फोट के वक्त का सीसीटीवी फुटेज भी देखी थी।क्या एटीएस (ATS) की टीम के हाथ लगा है कोई बड़ा सुरागदरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए विस्फोट की जांच जिस तरह से एनआईए की टीम कर रही थी और उनके द्वारा घटनास्थल के साथ उसके आसपास की तस्वीर ली जा रही थी। उसे देख कर इस घटना के पीछे किसी साजिश को समझा जा सकता है। पुलिस के सूत्र बताते हैं कि एनआईए की टीम ने पड़ताल के दौरान एक मोबाइल नंबर को भी ट्रेस किया है जो रेलवे प्लेटफार्म पर हुए विस्फोट के बाद लगातार सक्रिय था। पार्सल से आए इस विस्फोटक को भेजने वालों की तलाश में तेलंगाना के सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पार्सल घर में भी एनआईए द्वारा पूछताछ की गई है। सूत्र बताते हैं कि दरभंगा ब्लास्ट का तार उत्तर प्रदेश से भी जुड़ रहा है। यानी दरभंगा में केमिकल से हुए ब्लास्ट का मामला कोई मामूली मामला नहीं बल्कि यह एक गहरी साजिश का नतीजा है।दरभंगा ब्लास्ट ने दबा दिया बांका मदरसा ब्लास्ट का मामलाक्या किसी साजिश के तहत ही दरभंगा रेलवे स्टेशन पर केमिकल के जरिए धमाका कराया गया। क्योंकि दरभंगा ब्लास्ट के पहले बांका के मदरसे में हुए ब्लास्ट का मामला सुर्खियों में था और एनआईए (NIA) इसमें भी सक्रिय भूमिका निभाते हुए जांच कर रही थी। हालांकि बांका के बाद अररिया में बम विस्फोट की घटना घटी थी। इसके बाद दरभंगा रेलवे स्टेशन पर ब्लास्ट का मामला ज्यादा बड़ा हो गया। यही वजह है कि बांका के मदरसे में हुए ब्लास्ट का मामला दबने लगा है। जबकि इस मामले में धमाके के वक्त मदरसे के अंदर मौजूद लोग अभी तक ट्रेस नहीं किए जा सके हैं। न ही यह बात सामने आई है कि मदरसे में हुए धमाके में कौन सा विस्फोटक इस्तेमाल किया गया था।क्या तहसीन अख्तर उर्फ मोनू उर्फ डॉक्टर फिर से हो चुका है सक्रिय ?प्रतिबंधित इंडियन मुजाहिदीन (IM) का आतंकी तहसीन अख्तर जो अब यासीन भटकल के बाद IM चीफ बन चुका है, क्या बिहार में हाल के दिनों घटी घटनाओं के पीछे इसी का हाथ है ? दरअसल तहसीन के आतंकी कनेक्शन का खुलासा पहली बार 2011 को तब हुआ था जब दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने समस्तीपुर और मधुबनी के अलावा दरभंगा के लॉज में छापेमारी की थी। बिहार के समस्तीपुर के रहने वाला तहसीन अख़्तर 2005 से 2013 तक इंडियन मुजाहिदीन के आईटी सेल का मुख्य सदस्य भी रह चुका है। तहसीन अख्तर उर्फ मोनू उर्फ डॉक्टर को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और कम्प्यूटर की अच्छी खासी जानकारी है। इसलिए वह इंडियन मुजाहिदीन के कई मॉड्यूल को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को बनाने और ऑपरेट करने की ट्रेनिंग भी देता था। तहसीन अख्तर को साउथ इंडिया मॉड्यूल का चीफ भी कहा जाता था। उस वक्त इसके साथ दस खुंखार आतंकी भी साथ होते थे। जानकारी के अनुसार यासीन भटकल के कहने पर ही तहसीन अख्तर ने साल 2010 से 2013 के बीच कई धमाकों को अंजाम दिया था जिनमें साल 2013 का हैदराबाद बम ब्लास्ट भी शामिल है। बता दें कि हैदराबाद में किए दो बम ब्लास्ट में 17 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।आतंकी तहसीन अख्तर ने दरभंगा में तैयार की है आतंक की जमीनबताया जाता है कि 2013 में रक्सौल से इंडियन मुजाहिदीन के चीफ यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद तहसीन अख्तर को आईएम (IM) का चीफ बनाया गया। मिली जानकारी के अनुसार यासीन भटकल दरभंगा में एक साइकिल दुकान से अपना आतंक का नेटवर्क चलाया करता था। इंडियन मुजाहिद्दीन का चीफ बनने के बाद तहसीन अख्तर ने दरभंगा मॉड्यूल को जन्म दिया। आज तहसीन अख्तर उर्फ मोनू उर्फ डॉक्टर का नेटवर्क पूरे मिथिलांचल में बताया जाता है।बताया जाता है कि तहसीन ने दरभंगा के अलावा समस्तीपुर, मधुबनी समेत पूरे मिथिलांचल में आइएम(IM) का मॉड्यूल तैयार कर लिया है। आपको यह भी बता दें कि साल 2000 से लेकर अब तक दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, किशनगंज और पूर्णिया से 22 संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और इनमें सबसे अधिक गिरफ्तारी दरभंगा से ही हुई है।उत्तर प्रदेश से क्यों जुड़ रहे हैं दरभंगा ब्लास्ट के तारदरभंगा रेलवे स्टेशन पर केमिकल से हुए धमाके के बाद एनआईए (NIA) एटीएस (ATS) और स्थानीय पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि इसके तार उत्तर प्रदेश से भी जुड़े हुए हैं। दरअसल 2013 में पटना के गांधी मैदान नरेंद्र मोदी की आयोजित रैली में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में भी तहसीन अख्तर का नाम सामने आया था। तब पटना में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में एक आतंकी इम्तियाज को गिरफ्तार किया गया था। एटीएस द्वारा पूछताछ के क्रम में आतंकी इम्तियाज ने तहसीन अख्तर का नाम लिया था।उसने एटीएस को यह भी बताया था कि वह यानी तहसीन अख्तर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में छिपा हुआ है। यानी इम्तियाज के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर भी आतंकियों का पनाहगाह बन चुका है। पटना में सीरियल ब्लास्ट की घटना को अंजाम देने के बाद तहसीन अख्तर पाकिस्तान भागने की फिराक में था। लेकिन दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2014 में उसे गिरफ्तार कर लिया।बिहार के समस्तीपुर का रहने वाला आतंकी तहसीन अख्तर कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के एंटीलिया आवास के बाहर मिले जिलेटिन मामले में भी तहसीन अख्तर से पूछताछ की गई थी। बता दें कि फिलहाल आतंकी तहसीन अख्तर दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है।क्या आतंकवादी तहसीन अख्तर के दरभंगा मॉड्यूल पर चल रहे आतंकी संगठनतो क्या यह माना जाए कि प्रतिबंधित सिमी और पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा रहा प्रतिबंधित इंडियन मुजाहिद्दीन के चीफ तहसीन अख्तर एक बार फिर सक्रिय हो चुका है। क्या तहसीन के आतंकी और स्लीपर सेल के साथ अन्य आतंकी संगठनों ने दरभंगा मॉड्यूल पर काम करना शुरू कर दिया है। क्या आतंकी संगठन, अख्तर के मॉड्यूल को लेकर बिहार से बंगाल तक आतंकी कोई बड़ी साजिश रच रहे हैं। क्या इसी आतंकी साजिश के तहत किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए विस्फोटक इकट्ठे किए जा रहे हैं। क्योंकि पूर्णिया, किशनगंज, बांका, अररिया, दरभंगा और सिवान में घटी घटनाएं कोई साधारण घटना नहीं है। क्योंकि अगर यह मात्र आपराधिक घटना होती तो एटीएस और एनआईए जैसी टीम इन घटनाओं की जांच के लिए नहीं पहुंचती।